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इस मंदिर में पिछले 55 सालों से जारी है अखंड रामायण का पाठ, दूर-दूर से पहुंचते हैं राम भक्त - मध्यप्रदेश न्यूज

जबलपुर के सूपाताल में पिछले 55 साल से एक मंदिर में अखंड रामायण का पाठ जारी है. अखंड रामायण की शुरुआत पुजारी रहे दादा भगवान ने की थी, जिसे अब यहां के स्थानीय लोग आगे बढ़ा रहे हैं. (recitation of Akhand Ramayana in jabalpur)

recitation of Akhand Ramayana in jabalpur
जबलपुर में अखंड रामायण का पाठ
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Published : May 4, 2022, 10:20 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी में बीते 55 सालों से लगातार अखंड रामायण पढ़ी जा रही है. गर्मी-बरसात या फिर ठंड किसी भी मौसम में बिना किसी व्यवधान के आज भी अखंड रामायण का पाठ जारी है. यह मंदिर जबलपुर के सूपाताल में है. जहां अखंड रामायण पाठ के अलावा अखंड जोत और धूनी भी जलाई जा रही है. मान्यता है कि इस मंदिर में विराजे भगवान हनुमान जी से जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. यही वजह है कि इस मंदिर में मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से राम भक्त यहां आते हैं. (Akhand Ramayana in jabalpur ram temple)

जबलपुर में अखंड रामायण पाठ
jabalpur famous ram temple
जबलपुर प्रसिद्ध राम मंदिर

55 सालों से अखंड रामायण का पाठ: कहा जाता है कि राम से बड़ा राम का नाम होता है. शायद यही वजह है कि जबलपुर के राम भक्त हनुमान के इस रामायण मंदिर में पांच दशक से भी ज्यादा समय से श्रीराम नाम की धुन गूंज रही है. इस रामायण मंदिर को लोग बजरंग मठ के नाम से भी जानते हैं. मंदिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन चुका है. इस बजरंग मठ में 16 अगस्त 1967 को श्रीराम चरित मानस यज्ञ शुरू हुआ था, और तभी से संकट मोचन के इस दरबार में अखंड मानस पाठ के साथ राम धुन लगातार जारी है. कहा जाता है कि अंजनी नंदन को भगवान राम के भजन के अलावा कुछ और नहीं सुहाता. यही वजह है कि इस मंदिर के पास से गुजरने वाले लोग राम रस में गोता लगाए बिना यहां से नहीं जा पाते हैं. (recitation of Akhand Ramayana from 55 years)

Akhand Ramayana in jabalpur ram temple
जबलपुर राम मंदिर में अखंड रामायण

एक माह में होते हैं 16 रामायण पाठ: बजरंग मठ में मानस यज्ञ का शुभारंभ 16 अगस्त 1967 को दादा भगवान जो यहां के पुजारी थे उन्होंने कराया था. भगवान दादा का असली नाम वीरेंद्र पुरी महाराज था जो एक नागा साधु थे. पिछले पांच दशकों से बजरंग मठ में चल रहे मानस यज्ञ में अभी तक 10 हजार से ज्यादा मानस पाठ हो चुके हैं. हर तीसरे दिन एक और माह में लगभग 16 पाठ पूरे हो जाते हैं. श्रीराम रस का ध्यान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, और श्रीराम महिमा के सागर में गोता लगाकर अपने जीवन को धन्य करते हैं. यहां विराजे श्री हनुमान जी के सम्मुख लोग अपनी मनोकामना के लिए नारियल रख कर अर्जी लगाते हैं, और मनोकामना पूरी होने पर सुंदरकांड का पाठ करवाते हैं.

recitation of Akhand Ramayana from 55 years
55 सालों से अखंड रामायण का पाठ

18 साल से चल रहा है रामायण का अखंड पाठ, कोरोना काल में नहीं रुका राम नाम का जाप

कैसे हुई इसकी शुरुआत: इस मंदिर में अखंड मानस पाठ करने वाले लोगों की कभी कमी नहीं रहती. कुछ राम भक्त तो ऐसे हैं, जो प्रतिदिन तय समय से पाठ करने के लिए पहुंच जाते हैं. रामचरित मानस पाठ की वर्षगांठ पर यहां 12 से 16 अगस्त तक भव्य आयोजन किया जाता है. सूपाताल मठ में अखंड रामायण पाठ शुरू कराने वाले वीरेंद्र पुरी महाराज 13 अप्रैल 1926 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के देवरख गांव में जन्मे थे. उनका मूल नाम रामचंद्र साठ्ये था जो पहले फौजी थे. बाद में 1954 में बसंत पुरी महाराज से दीक्षा ली और वीरेंद्र पुरी महाराज बन गए. पदयात्रा करते हुए वे साल 1965 में जबलपुर आए और सूपाताल के प्राचीन हनुमान मंदिर में अखंड रामायण पाठ कर वापस चले गए. 1967 में वे फिर इसी स्थान पर आए. वीरेंद्रपुरी महाराज ने 16 अगस्त 1967 को यहां अखंड रामायण पाठ शुरू किया. 15 जुलाई 2005 को महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद से आज तक यहां रामायण पाठ जारी है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी में बीते 55 सालों से लगातार अखंड रामायण पढ़ी जा रही है. गर्मी-बरसात या फिर ठंड किसी भी मौसम में बिना किसी व्यवधान के आज भी अखंड रामायण का पाठ जारी है. यह मंदिर जबलपुर के सूपाताल में है. जहां अखंड रामायण पाठ के अलावा अखंड जोत और धूनी भी जलाई जा रही है. मान्यता है कि इस मंदिर में विराजे भगवान हनुमान जी से जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. यही वजह है कि इस मंदिर में मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से राम भक्त यहां आते हैं. (Akhand Ramayana in jabalpur ram temple)

जबलपुर में अखंड रामायण पाठ
jabalpur famous ram temple
जबलपुर प्रसिद्ध राम मंदिर

55 सालों से अखंड रामायण का पाठ: कहा जाता है कि राम से बड़ा राम का नाम होता है. शायद यही वजह है कि जबलपुर के राम भक्त हनुमान के इस रामायण मंदिर में पांच दशक से भी ज्यादा समय से श्रीराम नाम की धुन गूंज रही है. इस रामायण मंदिर को लोग बजरंग मठ के नाम से भी जानते हैं. मंदिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन चुका है. इस बजरंग मठ में 16 अगस्त 1967 को श्रीराम चरित मानस यज्ञ शुरू हुआ था, और तभी से संकट मोचन के इस दरबार में अखंड मानस पाठ के साथ राम धुन लगातार जारी है. कहा जाता है कि अंजनी नंदन को भगवान राम के भजन के अलावा कुछ और नहीं सुहाता. यही वजह है कि इस मंदिर के पास से गुजरने वाले लोग राम रस में गोता लगाए बिना यहां से नहीं जा पाते हैं. (recitation of Akhand Ramayana from 55 years)

Akhand Ramayana in jabalpur ram temple
जबलपुर राम मंदिर में अखंड रामायण

एक माह में होते हैं 16 रामायण पाठ: बजरंग मठ में मानस यज्ञ का शुभारंभ 16 अगस्त 1967 को दादा भगवान जो यहां के पुजारी थे उन्होंने कराया था. भगवान दादा का असली नाम वीरेंद्र पुरी महाराज था जो एक नागा साधु थे. पिछले पांच दशकों से बजरंग मठ में चल रहे मानस यज्ञ में अभी तक 10 हजार से ज्यादा मानस पाठ हो चुके हैं. हर तीसरे दिन एक और माह में लगभग 16 पाठ पूरे हो जाते हैं. श्रीराम रस का ध्यान करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, और श्रीराम महिमा के सागर में गोता लगाकर अपने जीवन को धन्य करते हैं. यहां विराजे श्री हनुमान जी के सम्मुख लोग अपनी मनोकामना के लिए नारियल रख कर अर्जी लगाते हैं, और मनोकामना पूरी होने पर सुंदरकांड का पाठ करवाते हैं.

recitation of Akhand Ramayana from 55 years
55 सालों से अखंड रामायण का पाठ

18 साल से चल रहा है रामायण का अखंड पाठ, कोरोना काल में नहीं रुका राम नाम का जाप

कैसे हुई इसकी शुरुआत: इस मंदिर में अखंड मानस पाठ करने वाले लोगों की कभी कमी नहीं रहती. कुछ राम भक्त तो ऐसे हैं, जो प्रतिदिन तय समय से पाठ करने के लिए पहुंच जाते हैं. रामचरित मानस पाठ की वर्षगांठ पर यहां 12 से 16 अगस्त तक भव्य आयोजन किया जाता है. सूपाताल मठ में अखंड रामायण पाठ शुरू कराने वाले वीरेंद्र पुरी महाराज 13 अप्रैल 1926 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के देवरख गांव में जन्मे थे. उनका मूल नाम रामचंद्र साठ्ये था जो पहले फौजी थे. बाद में 1954 में बसंत पुरी महाराज से दीक्षा ली और वीरेंद्र पुरी महाराज बन गए. पदयात्रा करते हुए वे साल 1965 में जबलपुर आए और सूपाताल के प्राचीन हनुमान मंदिर में अखंड रामायण पाठ कर वापस चले गए. 1967 में वे फिर इसी स्थान पर आए. वीरेंद्रपुरी महाराज ने 16 अगस्त 1967 को यहां अखंड रामायण पाठ शुरू किया. 15 जुलाई 2005 को महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद से आज तक यहां रामायण पाठ जारी है.

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