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मध्य प्रदेश में बना था संविधान की पुस्तक का आवरण पृष्ठ, जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा ने किया था निर्माण - राममनोहर सिन्हा

भारत के संविधान के निर्माण में जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा का भी विशेष योगदान रहा है. भारतीय संविधान के प्रमुख पेज का निर्माण राम मनोहर सिन्हा ने किया था. जो संविधान के निर्माण में जबलपुर का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है.

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Published : Jan 25, 2020, 11:21 PM IST

जबलपुर। 26 जनवरी 1950 को लागू हुए देश के संविधान की चर्चा जब-जब होगी तब-तब जबलपुर के राममनोहर सिन्हा का नाम पूरी शिद्दत से लिया जाएगा. क्योंकि संविधान के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्णिम रंग भरकर उसे सजाने और संवारने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया था.

जबलपुर में बना था संविधान की पुस्तक का आवरण पृष्ठ

कलाकृतियां बनाने में माहिर राममनोहर सिन्हा को ये काम कैसे मिला इसकी कहानी भी रोचक है. दुनिया के सबसे बड़े संविधान को बनाने के लिए कुछ ऐसा किया जाना था कि उसकी झलक सबसे अलग हो.

स्वतंत्रता के ठीक बाद कला के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम शांतिनिकेतन में चल रहा था. इसलिए शांतिनिकेतन के पुमख नंदलाल बोस को संविधान को चित्रित करने का काम दिया गया. नंदलाल बोस ने संविधान के प्रमुख पृष्ठ के निर्माण की जिम्मेदारी अपने काबिल शिष्य राम मनोहर सिन्हा को सौंपी.

राम मनोहर सिन्हा के परिवार के सदस्य डॉ अनुपम सिन्हा कहते हैं कि संविधान को चित्रित करने का काम रात दिन चला और राम मनोहर सिन्हा इस भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरे और अपने काम को बखूबी अंजाम दिया.26 जनवरी को हर भारतीय नागरिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ताकत संविधान पर गर्व महसूस करता है. यही वजह है कि संविधान के निर्माण में राम मनोहर सिन्हा के इस योगदान के लिए 26 जनवरी के दिन उन्हें भी याद किया जाता है.

जबलपुर। 26 जनवरी 1950 को लागू हुए देश के संविधान की चर्चा जब-जब होगी तब-तब जबलपुर के राममनोहर सिन्हा का नाम पूरी शिद्दत से लिया जाएगा. क्योंकि संविधान के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्णिम रंग भरकर उसे सजाने और संवारने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया था.

जबलपुर में बना था संविधान की पुस्तक का आवरण पृष्ठ

कलाकृतियां बनाने में माहिर राममनोहर सिन्हा को ये काम कैसे मिला इसकी कहानी भी रोचक है. दुनिया के सबसे बड़े संविधान को बनाने के लिए कुछ ऐसा किया जाना था कि उसकी झलक सबसे अलग हो.

स्वतंत्रता के ठीक बाद कला के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम शांतिनिकेतन में चल रहा था. इसलिए शांतिनिकेतन के पुमख नंदलाल बोस को संविधान को चित्रित करने का काम दिया गया. नंदलाल बोस ने संविधान के प्रमुख पृष्ठ के निर्माण की जिम्मेदारी अपने काबिल शिष्य राम मनोहर सिन्हा को सौंपी.

राम मनोहर सिन्हा के परिवार के सदस्य डॉ अनुपम सिन्हा कहते हैं कि संविधान को चित्रित करने का काम रात दिन चला और राम मनोहर सिन्हा इस भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरे और अपने काम को बखूबी अंजाम दिया.26 जनवरी को हर भारतीय नागरिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ताकत संविधान पर गर्व महसूस करता है. यही वजह है कि संविधान के निर्माण में राम मनोहर सिन्हा के इस योगदान के लिए 26 जनवरी के दिन उन्हें भी याद किया जाता है.

Intro:भारत का संविधान से जुड़े रोचक तथ्य 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ लेकिन मई 1950 में बनकर तैयार हुआ भारत के संविधान से जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा का रोचक संबंधBody:जबलपुर भारतीय संविधान के निर्माण में जबलपुर का विशेष योगदान रहा है भारतीय संविधान के प्रस्तावना पेज पर बहुत छोटे से शब्दों में राम लिखा हुआ है दरअसल यह राम जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा के हस्ताक्षर हैं जो वे अपनी कलाकृतियों पर किया करते थे

भारत का संविधान दुनिया का इकलौता ऐसा संविधान है जिसमें संविधान को सजाया गया है हर पेज पर बारीक कलाकृतियां हैं हर पेज पर चित्रों के जरिए एक संदेश देने की कोशिश की गई है इसमें फूल है फल हैं भारतीय जन जीवन की झलक है जंगल है जंगली जानवर हैं हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्मों के धार्मिक चिन्ह है राम कृष्णा बुद्ध सभी को अलग-अलग पेजों में जगह दी गई है और यह काम उस जमाने के भारत के सबसे अच्छे कलाकारों ने किया था स्वतंत्रता के ठीक बाद कला के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम शांतिनिकेतन में चल रहा था इसलिए शांतिनिकेतन के नंदलाल बोस को संविधान को चित्रित करने का काम दिया गया नंदलाल बोस ने अपने शिष्यों के साथ इस काम को किया जबलपुर के राम मनोहर सिन्हा भी नंदलाल बोस के सबसे काबिल शिष्य थे इसलिए संविधान के प्रस्तावना पेज को चित्रित करने का काम राम मनोहर सिन्हा को मिला और उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया

जनवरी की बजाए मई में पूरा हुआ था संविधान

राम मनोहर सिन्हा के परिवार के सदस्य डॉ अनुपम सिन्हा बतलाते हैं कि संविधान कुछ चित्रित करने का काम रात दिन चल रहा था लेकिन 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के समय तक यह पूरा नहीं हो पाया था और मई के महीने में यह पूरा हुआ तब जाकर दुनिया का सबसे सुंदर संविधान अस्तित्व में आयाConclusion:संविधान की यह प्रति केवल चुनिंदा लोगों के पास ही है या चुनिंदा संस्थाओं के पास ही है उन्हें यह था कि देश की आत्मा से जुड़ी यह पुस्तक देश के हर शहर में कम से कम एक होनी चाहिए थी ताकि लोगों को भारत की सबसे अहम पुस्तक को देखने का मौका मिल सके

बाइट डॉ अनुपम सिन्हा
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