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श्रीसिद्ध गणेश जी को नारियल के साथ लगाएं अर्जी, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

जबलपुर के ग्वारीघाट में श्रीसिद्ध गणेश का मंदिर है जहां लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अर्जी भी लगाते हैं, गणेश उत्सव के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां जो भी मुराद लेकर लोग आते हैं और नारियल के साथ अर्जी लगाते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. बताया जाता है कि खुदाई के दौरान लगभग ढाई फुट ऊंची प्रतिमा मिली थी. मंदिर प्रबंध समिति से मिली जानकारी में अब तक एक लाख 80 हजार से ज्यादा लोग अर्जी लगा चुके हैं और उनमें से 60 हजार से ज्यादा लोगों की मनोकामना भी पूरी हो चुकी है.

siddh ganesh
श्रीसिद्ध गणेश
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Published : Sep 10, 2021, 5:44 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 5:58 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में गणेश जी (Ganesh ji) का एक ऐसा मंदिर है जहां लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अर्जी भी लगाते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर लोगों की मुराद पूरी होती है. यही कारण है की गणेश उत्सव (Ganeshotsav) के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. जबलपुर (Jabalpur) के ग्वारीघाट क्षेत्र में स्थित है श्रीसिद्ध गणेश का मंदिर. कहा जाता है कि यहां जो भी मुराद लेकर लोग आते हैं और नारियल के साथ अर्जी लगाते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. जो श्रद्धालु यहां अर्जी लगाते हैं उनका ब्यौरा भी मंदिर प्रबंध समिति द्वारा रखा जाता है. हर अर्जी में दर्ज नाम, पता और मोबाइल नंबर भी रजिस्टर में दर्ज किए जाते हैं. मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े लोगों का दावा है कि यहां अब तक एक लाख 80 हजार से ज्यादा लोग अर्जी लगा चुके हैं, इनमें से 60 हजार से ज्यादा लोगों की मनोकामना पूरी हो चुकी है.

खुदाई के दौरान निकली थी भगवान गणेश की प्रतिमा


इस मंदिर के निर्माण की भी कहानी है. बताया जाता है कि जब मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही थी तब मंदिर में भूमि तल से पांच से छह फीट ऊपर उठाकर बनाने का निर्णय लिया गया, पर जब मंदिर निर्माण के लिए खुदाई शुरू हुई तो चार फुट नीचे भगवान गणेश की लगभग ढाई फुट ऊंची प्रतिमा मिली बाद में इसी प्रतिमा को स्थापित किया गया.

"मंदिर के व्यवस्थापक रामानुज तिवारी की मानें तो मंदिर निर्माण के समय ही कई बाधाएं आई थीं, मगर इस मंदिर का निर्माण हुआ है, मंदिर निर्माण के लिए अर्जी लगाई गई थी. यही कारण है कि तब से यह मंदिर अर्जी वाले गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां अर्जी लगाने वाले नारियल के साथ आते हैं, अर्जी बकायदा रजिस्टर में दर्ज की जाती है."

मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि यहां अर्जी लगाने वालों का ब्यौरा दर्ज करने के लिए 50 से ज्यादा रजिस्टर हैं. इस मंदिर में गणेशोत्सव के दौरान चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक विशेष पूजन अनुष्ठान का दौर चलता है. इसके साथ ही दस दिनों तक भगवान का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. यहां हर रोज गए व्यक्ति को अनुष्ठान करने का मौका मिलता है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में गणेश जी (Ganesh ji) का एक ऐसा मंदिर है जहां लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अर्जी भी लगाते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर लोगों की मुराद पूरी होती है. यही कारण है की गणेश उत्सव (Ganeshotsav) के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. जबलपुर (Jabalpur) के ग्वारीघाट क्षेत्र में स्थित है श्रीसिद्ध गणेश का मंदिर. कहा जाता है कि यहां जो भी मुराद लेकर लोग आते हैं और नारियल के साथ अर्जी लगाते हैं तो उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. जो श्रद्धालु यहां अर्जी लगाते हैं उनका ब्यौरा भी मंदिर प्रबंध समिति द्वारा रखा जाता है. हर अर्जी में दर्ज नाम, पता और मोबाइल नंबर भी रजिस्टर में दर्ज किए जाते हैं. मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े लोगों का दावा है कि यहां अब तक एक लाख 80 हजार से ज्यादा लोग अर्जी लगा चुके हैं, इनमें से 60 हजार से ज्यादा लोगों की मनोकामना पूरी हो चुकी है.

खुदाई के दौरान निकली थी भगवान गणेश की प्रतिमा


इस मंदिर के निर्माण की भी कहानी है. बताया जाता है कि जब मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही थी तब मंदिर में भूमि तल से पांच से छह फीट ऊपर उठाकर बनाने का निर्णय लिया गया, पर जब मंदिर निर्माण के लिए खुदाई शुरू हुई तो चार फुट नीचे भगवान गणेश की लगभग ढाई फुट ऊंची प्रतिमा मिली बाद में इसी प्रतिमा को स्थापित किया गया.

"मंदिर के व्यवस्थापक रामानुज तिवारी की मानें तो मंदिर निर्माण के समय ही कई बाधाएं आई थीं, मगर इस मंदिर का निर्माण हुआ है, मंदिर निर्माण के लिए अर्जी लगाई गई थी. यही कारण है कि तब से यह मंदिर अर्जी वाले गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां अर्जी लगाने वाले नारियल के साथ आते हैं, अर्जी बकायदा रजिस्टर में दर्ज की जाती है."

मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि यहां अर्जी लगाने वालों का ब्यौरा दर्ज करने के लिए 50 से ज्यादा रजिस्टर हैं. इस मंदिर में गणेशोत्सव के दौरान चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक विशेष पूजन अनुष्ठान का दौर चलता है. इसके साथ ही दस दिनों तक भगवान का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. यहां हर रोज गए व्यक्ति को अनुष्ठान करने का मौका मिलता है.

Last Updated : Sep 10, 2021, 5:58 PM IST
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