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लॉकडाउन में 70 फीसदी निष्क्रिय रहीं सरकारी योजनाएं, कुपोषितों को आधा मिला पोषण

लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में कुपोषित बच्चों को आधा पोषण आहार ही मिल पाया, जबकि जरूरतमंदों को पीडीएस का राशन भी नहीं मिला, जिसका दावा एक स्वतंत्र संस्था ने अपने कराए सर्वे के आधार पर किया है, जिस पर सियासी बवाल मचा है.

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Published : Jun 9, 2020, 3:21 PM IST

Updated : Jun 9, 2020, 4:39 PM IST

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जबलपुर। कोरोना के चलते किए लॉकडाउन से यूं तो अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा ही है. इस दौरान मध्यप्रदेश में गर्भवती महिलाओं और कुपोषण के शिकार बच्चों को भी आधा-अधूरा पोषण ही मिल पाया. प्रदेश की एक संस्था ने लॉकडाउन के दौरान 45 दिनों तक मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, पन्ना, उमरिया, निवाड़ी और शिवपुरी जिलों में किए गए सर्वे के बाद जो स्टडी रिपोर्ट जारी की है, उसमें चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं.

लॉकडाउन में 70 फीसदी निष्क्रिय रहीं सरकारी योजनाएं

रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को सरकारी योजनाओं के तहत दिया जाने वाला पोषण आधा ही मिला, जबकि 30 फीसदी गरीबों को पीडीएस का राशन तक नहीं मिला. इस दौरान सरकार के विभिन्न पोषण और स्वास्थ्य कार्यक्रम 70 फीसदी तक निष्क्रिय रहे, यानि लॉकडाउन में बच्चों की जरुरत के हिसाब से उन्हें आधा पोषण आहार ही मिला.

मध्यप्रदेश में एक बच्चे के हिसाब से हर दिन 693 कैलोरी यानी 51 फीसदी पोषण की कमी दर्ज की गई है. इसी तरह रोजाना की जरूरत के हिसाब से 2157 कैलोरी यानी 67 फीसदी कम पोषण मिला. जिससे लॉकडाउन के दौरान गरीब परिवारों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया.

सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान हर गरीब परिवार को 3 से 4 हजार रुपए का कर्ज लेकर अपना गुजारा करना पड़ा. यानि 24 फीसदी परिवारों ने 21,250 रुपए का कर्ज लिया तो 9 फीसदी परिवारों ने 1000 या उससे कम कर्ज लेकर अपना गुजारा किया. हालांकि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सभी को पोषण आहार पहुंचाया गया है.

एक दूसरे पर निशाना साध रही बीजेपी-कांग्रेस

लॉकडाउन के दौरान गरीब, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की बदहाली बताने वाली इस रिपोर्ट पर बवाल मचा है. कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेश की शिवराज सरकार को लॉकडाउन के दौरान नाकाम बताते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया और विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि हमने हर घर तक राशन और बच्चों तक पोषण आहार पहुंचाया है. कांग्रेस इस मामले में केवल राजनीति करती है.

नेता कुछ भी कहें, लेकिन प्रदेश में एक गैर शासकीय संस्था की रिपोर्ट पोषण आहार की स्थिति पर सरकार की पोल खोलकर रख दी है. रिपोर्ट में किए गए खुलासे से सियासी बवाल मचा है, अब देखना होगा कि कुपोषण का दंश झेल रहे मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के दौरान मजबूरों के साथ हुई नाइंसाफी पर सरकार कब संज्ञान लेती है.

जबलपुर। कोरोना के चलते किए लॉकडाउन से यूं तो अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा ही है. इस दौरान मध्यप्रदेश में गर्भवती महिलाओं और कुपोषण के शिकार बच्चों को भी आधा-अधूरा पोषण ही मिल पाया. प्रदेश की एक संस्था ने लॉकडाउन के दौरान 45 दिनों तक मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, पन्ना, उमरिया, निवाड़ी और शिवपुरी जिलों में किए गए सर्वे के बाद जो स्टडी रिपोर्ट जारी की है, उसमें चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं.

लॉकडाउन में 70 फीसदी निष्क्रिय रहीं सरकारी योजनाएं

रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को सरकारी योजनाओं के तहत दिया जाने वाला पोषण आधा ही मिला, जबकि 30 फीसदी गरीबों को पीडीएस का राशन तक नहीं मिला. इस दौरान सरकार के विभिन्न पोषण और स्वास्थ्य कार्यक्रम 70 फीसदी तक निष्क्रिय रहे, यानि लॉकडाउन में बच्चों की जरुरत के हिसाब से उन्हें आधा पोषण आहार ही मिला.

मध्यप्रदेश में एक बच्चे के हिसाब से हर दिन 693 कैलोरी यानी 51 फीसदी पोषण की कमी दर्ज की गई है. इसी तरह रोजाना की जरूरत के हिसाब से 2157 कैलोरी यानी 67 फीसदी कम पोषण मिला. जिससे लॉकडाउन के दौरान गरीब परिवारों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया.

सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि लॉकडाउन के दौरान हर गरीब परिवार को 3 से 4 हजार रुपए का कर्ज लेकर अपना गुजारा करना पड़ा. यानि 24 फीसदी परिवारों ने 21,250 रुपए का कर्ज लिया तो 9 फीसदी परिवारों ने 1000 या उससे कम कर्ज लेकर अपना गुजारा किया. हालांकि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान सभी को पोषण आहार पहुंचाया गया है.

एक दूसरे पर निशाना साध रही बीजेपी-कांग्रेस

लॉकडाउन के दौरान गरीब, बच्चों और गर्भवती महिलाओं की बदहाली बताने वाली इस रिपोर्ट पर बवाल मचा है. कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेश की शिवराज सरकार को लॉकडाउन के दौरान नाकाम बताते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया और विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि हमने हर घर तक राशन और बच्चों तक पोषण आहार पहुंचाया है. कांग्रेस इस मामले में केवल राजनीति करती है.

नेता कुछ भी कहें, लेकिन प्रदेश में एक गैर शासकीय संस्था की रिपोर्ट पोषण आहार की स्थिति पर सरकार की पोल खोलकर रख दी है. रिपोर्ट में किए गए खुलासे से सियासी बवाल मचा है, अब देखना होगा कि कुपोषण का दंश झेल रहे मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के दौरान मजबूरों के साथ हुई नाइंसाफी पर सरकार कब संज्ञान लेती है.

Last Updated : Jun 9, 2020, 4:39 PM IST
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