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Jabalpur blunder संस्कृति की गेस्ट टीचर को बना दिया मेडिकल छात्रों का परीक्षक, विभाग में हड़कंप - जबलतपुर ब्लंडर संस्कृति की गेस्ट टीचर

मध्य प्रदेश में शिक्षा विभाग एक ऐसा विभाग है जहां नित नए ब्लंडर होते रहते हैं. चाहे प्राइमरी हो, माध्यमिक हो या फिर विश्व विद्यालय. कोई भी विभाग अपने अजीबो गरीब निर्णय से शिक्षा भाग की छवि धूमिल करने से बाज नहीं आ रहा है.  (jabalpur blunder sanskrit teacher)

jabalpur blunder sanskrit teacher
संस्कृति की गेस्ट टीचर को बना दिया मेडिकल छात्रों का परीक्षक
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Published : Sep 5, 2022, 7:12 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक से बढ़कर एक कारनामे देखने और सुनने को मिल रहे हैं. इस बार जबलपुर की सबसे बड़ी आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है. जहां विश्व विद्यालय के अधिकारियों ने एक बड़ा और विचित्र कारनामा कर दिखाया. इससे पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. मामला सामने आने के बाद अधिकारी इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे है. बताया जा रहा है कि संस्कृत पढ़ाने वाली गेस्ट टीचर को बीएएमएस यानी कि बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन सर्जरी का थर्ड ईयर एग्जाम के चरक संहिता के प्रेक्टिकल पेपर में परीक्षक बना दिया। मामला उजागर होने के बाद विश्व विद्यालय के अधिकारी पूरी गलती कॉलेज प्रबंधन की बता रहे हैं। इधर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बोर्ड ऑफ स्टीडज के द्वारा टीचरों का नाम तय किया जाता है इस पर कॉलेज की कोई गलती नहीं है। (jabalpur blunder sanskrit teacher)


जाने क्या है पूरा मामला: दरअसल पूरा मामला इंदौर के शासकीय आयुर्वेद कॉलेज का है. यहां 40 छात्रों के लिए होने वाले चरक संहिता के प्रेक्टिकल पेपर के लिए भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज की अतिथि शिक्षक वैशाली गवली को परीक्षक बना दिया गया है. वैशाली संस्कृत विषय की शिक्षिका है। नियम के अनुसार प्रेक्टिकल में संबंधित पेपर के विषय विशेषज्ञ को ही परीक्षक बनाया जा सकता है. इसके बाद भी जब मेडिकल यूनिवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर ने 27 अगस्त को आदेश जारी किया तो उसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया. जबकि इसके लिए किसी भी यूनिवर्सिटी में पहले से पैनल बनी होती है. इंदौर आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य सतीश शर्मा से बात की तो उनका कहना है कि निर्णय यूनिवर्सिटी का है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि यह नियमानुसार नहीं है. (mp jabalpur blunder sanskrit teacher)

MP: शिक्षा का हॉल बेहाल जिम्मेदार बने अनजान, इस कन्या विद्यालय में 9 कमरे में बैठती हैं 13 सौ छात्राएं

विश्व विद्यालय में भंग हो चुकीं हैं समितियांः यूनिवर्सिटी में धारा 51 लगने के बाद विवि की पूरी समितियां भंग हो गई थी. जिसके अंतर्गत बोर्ड ऑफ स्टडीज भी शामिल थी. इसके बाद फिर कैसे एक गेस्ट संस्कृत टीचर को डॉक्टरों का प्रेक्टिकल लेने भेजा गया. गौरतलब है कि इसके पहले भी बीएएमएस के फर्स्ट ईयर के विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास में गड़बड़ी हो चुकी है. इस पेपर में सवाल नंबर 14, 18, 19 और 20 आउट ऑफ सिलेबस आ गए थे. ऐसे ही बीएएमएस फर्स्ट ईयर के अनाटॉमी (रचना शरीर) पेपर में एक सेंटर पर देरी से एग्जाम कराए गए. इस पेपर में एक प्रश्न भी रिपीट किया गया. (Jabalpur blunder sanskrit teacher appointed medical examiner)

पैसों का लेन देन हो सकता है इस blunder का कारणः विवि के गलियारों में चर्चा है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी और कॉलेज प्रबंधन अपनी अपनी गलती छिपा रहा है. इस पूरे मामले में यह बात जानने लायक है कि एक गेस्ट टीचर को कैसे परीक्षक बनाया जा सकता है. इसलिए यह माना जा रहा है कि पैसों के लेन देन के कारण इस तरह का कारनामा किया जा रहा है. वही आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्टार डॉक्टर पुष्पराज बघेल का कहना है कि कॉलेज के द्वारा जो नाम दिए जाते हैं उसी आधार पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है. इस पर विवि प्रबंधन की किसी भी तरह की गलती नहीं है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक से बढ़कर एक कारनामे देखने और सुनने को मिल रहे हैं. इस बार जबलपुर की सबसे बड़ी आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है. जहां विश्व विद्यालय के अधिकारियों ने एक बड़ा और विचित्र कारनामा कर दिखाया. इससे पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. मामला सामने आने के बाद अधिकारी इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे है. बताया जा रहा है कि संस्कृत पढ़ाने वाली गेस्ट टीचर को बीएएमएस यानी कि बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन सर्जरी का थर्ड ईयर एग्जाम के चरक संहिता के प्रेक्टिकल पेपर में परीक्षक बना दिया। मामला उजागर होने के बाद विश्व विद्यालय के अधिकारी पूरी गलती कॉलेज प्रबंधन की बता रहे हैं। इधर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बोर्ड ऑफ स्टीडज के द्वारा टीचरों का नाम तय किया जाता है इस पर कॉलेज की कोई गलती नहीं है। (jabalpur blunder sanskrit teacher)


जाने क्या है पूरा मामला: दरअसल पूरा मामला इंदौर के शासकीय आयुर्वेद कॉलेज का है. यहां 40 छात्रों के लिए होने वाले चरक संहिता के प्रेक्टिकल पेपर के लिए भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज की अतिथि शिक्षक वैशाली गवली को परीक्षक बना दिया गया है. वैशाली संस्कृत विषय की शिक्षिका है। नियम के अनुसार प्रेक्टिकल में संबंधित पेपर के विषय विशेषज्ञ को ही परीक्षक बनाया जा सकता है. इसके बाद भी जब मेडिकल यूनिवर्सिटी के एग्जाम कंट्रोलर ने 27 अगस्त को आदेश जारी किया तो उसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा गया. जबकि इसके लिए किसी भी यूनिवर्सिटी में पहले से पैनल बनी होती है. इंदौर आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य सतीश शर्मा से बात की तो उनका कहना है कि निर्णय यूनिवर्सिटी का है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि यह नियमानुसार नहीं है. (mp jabalpur blunder sanskrit teacher)

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विश्व विद्यालय में भंग हो चुकीं हैं समितियांः यूनिवर्सिटी में धारा 51 लगने के बाद विवि की पूरी समितियां भंग हो गई थी. जिसके अंतर्गत बोर्ड ऑफ स्टडीज भी शामिल थी. इसके बाद फिर कैसे एक गेस्ट संस्कृत टीचर को डॉक्टरों का प्रेक्टिकल लेने भेजा गया. गौरतलब है कि इसके पहले भी बीएएमएस के फर्स्ट ईयर के विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास में गड़बड़ी हो चुकी है. इस पेपर में सवाल नंबर 14, 18, 19 और 20 आउट ऑफ सिलेबस आ गए थे. ऐसे ही बीएएमएस फर्स्ट ईयर के अनाटॉमी (रचना शरीर) पेपर में एक सेंटर पर देरी से एग्जाम कराए गए. इस पेपर में एक प्रश्न भी रिपीट किया गया. (Jabalpur blunder sanskrit teacher appointed medical examiner)

पैसों का लेन देन हो सकता है इस blunder का कारणः विवि के गलियारों में चर्चा है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी और कॉलेज प्रबंधन अपनी अपनी गलती छिपा रहा है. इस पूरे मामले में यह बात जानने लायक है कि एक गेस्ट टीचर को कैसे परीक्षक बनाया जा सकता है. इसलिए यह माना जा रहा है कि पैसों के लेन देन के कारण इस तरह का कारनामा किया जा रहा है. वही आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्टार डॉक्टर पुष्पराज बघेल का कहना है कि कॉलेज के द्वारा जो नाम दिए जाते हैं उसी आधार पर शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है. इस पर विवि प्रबंधन की किसी भी तरह की गलती नहीं है.

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