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MP High Court News: अपराध की प्रवृत्ति गंभीर नहीं तो बर्खास्ती गलत, नौकरी से निकालने का आदेश निरस्त

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Published : Jul 3, 2022, 6:49 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर (MP High Court) का एक बड़ा फैसला सामने आया है. कोर्ट में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू की एकलपीठ ने कहा अपराध की प्रवृत्ति गंभीर नहीं तो बर्खास्ती गलत है. (Dismissal Order Canceled)

MP high court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में नौकरी से बर्खास्त किए जाने को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर (Petition Filed) की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू की एकलपीठ ने अपराध की प्रवृत्ति गंभीर नहीं होने के कारण बर्खास्ती के आदेश को गलत करार दिया है. हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश (Supreme Court orders) का हवाला देते हुए नौकरी से निकालने का आदेश भी निरस्त कर दिया है.

ये था मामला: छिंदवाड़ा निवासी कमल कुमार वैध की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि, वह पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का कर्मचारी था. उसके घर में अक्टूबर 2010 में करंट लगने के कारण तीन साल के बच्चे की मौत हो गयी थी. पुलिस ने न्यायालय के समक्ष उसके खिलाफ अभियोजन पत्र दायर किया था. न्यायालय ने मई 2018 में धारा 304 ए के तहत दो साल की सजा तथा 5 सौ रुपये के अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया था. इसके बाद उसे जमानत मिल गई थी.

MP High Court News: नगर पालिका अध्यक्ष का प्रत्यक्ष चुनाव की मांग संबंधी याचिका खारिज

याचिका का निराकरण: सजा से दण्डित होने के कारण म.प्र सिविल सर्विस रुल्स 1966 के तहत उसे बर्खास्त कर दिया गया. बर्खास्ती की कार्रवाई के पूर्व उसे अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर तक प्रदान नहीं किया गया. एकलपीठ ने आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया. एकलपीठ ने नौकरी से निकाले जाने का आदेश बर्खास्त कर दिया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अजय कुमार नंदा ने पैरवी की.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में नौकरी से बर्खास्त किए जाने को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर (Petition Filed) की गयी थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू की एकलपीठ ने अपराध की प्रवृत्ति गंभीर नहीं होने के कारण बर्खास्ती के आदेश को गलत करार दिया है. हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश (Supreme Court orders) का हवाला देते हुए नौकरी से निकालने का आदेश भी निरस्त कर दिया है.

ये था मामला: छिंदवाड़ा निवासी कमल कुमार वैध की तरफ से याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि, वह पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का कर्मचारी था. उसके घर में अक्टूबर 2010 में करंट लगने के कारण तीन साल के बच्चे की मौत हो गयी थी. पुलिस ने न्यायालय के समक्ष उसके खिलाफ अभियोजन पत्र दायर किया था. न्यायालय ने मई 2018 में धारा 304 ए के तहत दो साल की सजा तथा 5 सौ रुपये के अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया था. इसके बाद उसे जमानत मिल गई थी.

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याचिका का निराकरण: सजा से दण्डित होने के कारण म.प्र सिविल सर्विस रुल्स 1966 के तहत उसे बर्खास्त कर दिया गया. बर्खास्ती की कार्रवाई के पूर्व उसे अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर तक प्रदान नहीं किया गया. एकलपीठ ने आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया. एकलपीठ ने नौकरी से निकाले जाने का आदेश बर्खास्त कर दिया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अजय कुमार नंदा ने पैरवी की.

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