जबलपुर। ऑटो रिक्शा चालकों द्वारा सडकों यातायात नियमों का पालन नहीं करने के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी.इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा को याचिका ने बताया कि इनपर कार्यवाही संबंधित कागजी रिपोर्ट पेश कर न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है. यातायात के सुधार के लिए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है. इस मामले में डबल बेंच ने सरकार को कार्यवाही का अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद निर्धारित की है.
पहले भी हो चुकी है सुनवाई: इस मामले में सरकार की तरफ से बताया गया था कि इंदौर में 10 हजार और भोपाल में 15 हजार ऑटो बिना परमिट संचालित हो रहे हैं. ऑटो संचालन के विनियामक प्रावधान के तहत अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रतिधंटा निर्धारित की गयी है. ऑटो में व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम अनिर्वाय होगा जो परिवाहन विभाग के सेंट्रल इंट्रीग्रेशन से लिंक होगा. इसके अलावा परमिट,क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारियों, तथा चालकों के कर्तव्य व आचरण भी निर्धारित किेए गये हैं. प्रदेश भर में दस साल पुराने ऑटो-डीजल रिक्शा को परमिट जारी नहीं किया जाएगा. ऐसे ऑटो रिक्शा को सीएनजी में कंवर्ट किया जाएगा. इन मानकों को पूरा न करने पर याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में में उपस्थित हुए ट्रॉसपोर्ट कमीश्नर को न्यायालय ने जमकर फटकार लगाई थी. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा ता कि पुलिस व ट्रांसपोर्ट विभाग कार्यवाही नहीं कर सकते तो क्या न्यायालय किसी दूसरी एजेन्सी को नियुक्त कर दे. जिसपर सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट 2019 प्रदेश में 45 दिनों के अंदर लागू कर दिया जाएगा.
कंपाइल रिपोर्ट, दिखावे की कार्रवाई: सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कम्पाइल रिपोर्ट पेश की गयी. जिसपर याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि वोट बैंक के कारण सिर्फ दिखावे की कार्यवाही की जाती है. संशोधित नियम में भारी जुर्माने का प्रावधान है. जिससे पूरे प्रदेश के ट्रेफिक में सुधार आ सकता है, लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक उसे लागू नहीं किया गया है. कार्यवाही के संबंध में सिर्फ कागजी रिपोर्ट पेश कर न्यायालय को गुमराह किया जा रहा है. मामले में अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.
नर्सिंग कॉलेज की मान्यता का मामला: हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशााल मिश्रा की युगलपीठ ने प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज की मान्यता संबंधित पूरा डिजिटल डाटा परिक्षण के लिए याचिकाकर्ता को उपलब्ध करवाने के निर्देश जारी किए हैं.पीठ ने कहा है कि याचिकाकर्ता से किसी प्रकार का डाटा नहीं छुपाया जाए. युगलपीठ ने डाटा परीक्षण के लिए याचिकाकर्ता को समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 20 जुलाई को निर्धारित की है.
यह है पूरा मामला: लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गयी थी. मप्र नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. याचिका में ऐसे कॉलेज की सूची तथा फोटो प्रस्तुत किये गये थे. याचिका में कहा गया था कि जब कॉलेज ही नहीं है तो छात्रों को कैसे पढाया जाता होगा. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने के निर्देष दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता कार्यालय की तरफ से प्रकरण में उपस्थित होने वाले अधिवक्ता का स्वास्थ खराब होने की जानकारी दी गई. याचिकाकर्ता ने परीक्षण के लिए सरकार के पास उपलब्ध डिजिटल डाटा प्रदान करने का आग्रह किया था. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किेए हैं.
पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का डाटा अपलोड नही: जिला,जनपद तथा ग्राम पंचायात का चुनाव लडने वाले प्रत्याशियों का डाटा राज्य चुनाव आयोग द्वारा बेवसाइड में अपलोड नहीं किया गया है. जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि प्रत्याशी के संबंध में मतदाताओं को पूरी जानकारी होगा चाहिए. याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिका में कहा गया था कि जिला पंचायत सदस्य,जनपद पंचायत सदस्य,सरपंच तथा पंच पद के उम्मीदवारों द्वारा स्वयं के संबंध में दी गयी जानकारी बेवसाइट में अपलोड नहीं की थी. चुनाव सम्पन्न होने के बाद चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के संबंध में आधी-अधूरी जानकारी अपलोड कर दी है. याचिका में प्रदेश सरकार, केन्द्रीय चुनाव आयोग तथा राज्य चुनाव आयोग को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने अनावेदकों की सूची से केन्द्रीय चुनाव आयोग का नाम हटाने के निर्देश जारी करते हुए अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.