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तेंदुए और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस की संभावना, SFRI कर रहा रिसर्च, जबलपुर में बन सकती है Leopard Sanctuary

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Published : Nov 17, 2021, 8:12 PM IST

जबलपुर (jabalpur news) में स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट SFRI (State Forest Research Institute) के वाईल्ड लाईफ साइंटिस्ट एक रिसर्च कर रहे हैं (Wild Life Scientist Research). जिसमें वह तेंदुए और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस की संभावनाओं को तलाश रहे हैं (Possibilities of Co-existence of Leopards and Humans). जबलपुर में मध्य प्रदेश की पहली लैपर्ड सैंचुरी (Leopard Sanctuary) बनाने की भी राह अब खुल रही है.

Leopard Sanctuary
Leopard Sanctuary

जबलपुर (Jabalpur News)। भारत के 'लैपर्ड स्टेट' में एक रिसर्च चल रही है. जबलपुर के स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (State Forest Research Institute) में चल रही रिसर्च में तेंदुओं और इंसानों के बीच दूरी कम करते हुए साथ-साथ रहने के तरीके तलाशे जा रहे हैं (Possibilities of Co-existence of Leopards and Humans). एसएफआरआई के वाईल्ड लाईफ साइंटिस्ट ये रिसर्च कर रहे हैं (Wild Life Scientist Research). जिसका नतीजा एक मॉडल के रूप में देशभर में लागू किया जाएगा. जबलपुर में मध्य प्रदेश की पहली लैपर्ड सैंचुरी (Leopard Sanctuary) बनाने की भी राह अब खुल रही है.

तेंदुए और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस की संभावना

मध्यप्रदेश में हैं सबसे ज्यादा लैपर्ड
देश का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश को लैपर्ड स्टेट का खिताब इसलिए दिया गया है, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा तेंदुए रहते हैं. तेंदुओं की आबादी पर हर चार साल में जारी होने वाली केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट साल 2018 में जारी हुई थी. जिसमें मध्यप्रदेश में तेंदुओं की तदाद साल 2014 के मुकाबले 88 फीसदी बढ़कर देश में सबसे ज्यादा 3421 हो गई थी. मध्यप्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां मध्य प्रदेश से लगभग आधे 1783 तेंदुए मिले.

Leopard Sanctuary
Leopard Sanctuary

तेंदुओं को भाया मध्यप्रदेश
लैपर्ड की अगली रिपोर्ट साल 2022 में जारी होनी है, लेकिन प्रदेश में लगातार बढ़ रही तेंदुओं की साईटिंग बताती है कि ये संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि तेंदुओं को मध्यप्रदेश भा गया है. जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट, रांझी, खमरिया और नयागांव में तेंदुओं का मूवमेंट लगातार बढ़ रहा है. जबकि प्रदेश की शहरी आबादी के पास भी तेंदुए तेजी से दिख रहे हैं.

ये सवाल तलाश रहा SFRI
कहा जाता है कि तेंदुए बहुत शर्मीले होते हैं, जो इंसानों का शिकार नहीं करते. तेंदुओं की ओर से अभी तक आगे बढ़कर इंसानों पर हमले की घटनाएं भी दर्ज नहीं हैं. ऐसे में सवाल है कि तेंदुए सघन जंगलों को छोड़कर बाहर क्यों आ रहे हैं. क्या तेंदुए इंसानी बस्तियों के आस पास रहना चाहते हैं. सवाल है कि क्या इंसान और तेंदुए साथ-साथ रह सकते हैं. ऐसे तमाम सवालों का जवाब जबलपुर में स्थित SFRI यानि स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में तलाशा जा रहा है. यहां हो रही रिसर्च का नतीजा देश में एक मॉडल के रूप में लागू किया जाना है.

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जबलपुर में बन सकती है 'लैपर्ड सेंचुरी'
एसएफआरआई (State Forest Research Institute) में अब तक की रिसर्च में मध्यप्रदेश में लैपर्ड सैंचुरी बनाने की जरूरत महसूस हुई है, जो प्रदेश में अब तक नहीं बनी है. रिसर्च टीम के वैज्ञानिक डॉक्टर अनिरुद्ध मजूमदार का मानना है कि जबलपुर प्रदेश की पहली लैपर्ड सैंचुरी के लिए सबसे मुफीद जगह हो सकती है. तेंदुओं और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस के साथ इंदौर या जबलपुर में लैपर्ड सैंचुरी की तमाम संभावनाएं वाईल्ड लाईफ और वन विभाग की संयुक्त टीमें अपनी रिसर्च में तलाश रही हैं. जिसका नतीजा देखना अब दिलचस्प होगा, क्योंकि लैपर्ड सेंचुरी बनने से ना सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि इनकी साइटिंग भी होगी.

जबलपुर (Jabalpur News)। भारत के 'लैपर्ड स्टेट' में एक रिसर्च चल रही है. जबलपुर के स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (State Forest Research Institute) में चल रही रिसर्च में तेंदुओं और इंसानों के बीच दूरी कम करते हुए साथ-साथ रहने के तरीके तलाशे जा रहे हैं (Possibilities of Co-existence of Leopards and Humans). एसएफआरआई के वाईल्ड लाईफ साइंटिस्ट ये रिसर्च कर रहे हैं (Wild Life Scientist Research). जिसका नतीजा एक मॉडल के रूप में देशभर में लागू किया जाएगा. जबलपुर में मध्य प्रदेश की पहली लैपर्ड सैंचुरी (Leopard Sanctuary) बनाने की भी राह अब खुल रही है.

तेंदुए और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस की संभावना

मध्यप्रदेश में हैं सबसे ज्यादा लैपर्ड
देश का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश को लैपर्ड स्टेट का खिताब इसलिए दिया गया है, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा तेंदुए रहते हैं. तेंदुओं की आबादी पर हर चार साल में जारी होने वाली केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट साल 2018 में जारी हुई थी. जिसमें मध्यप्रदेश में तेंदुओं की तदाद साल 2014 के मुकाबले 88 फीसदी बढ़कर देश में सबसे ज्यादा 3421 हो गई थी. मध्यप्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां मध्य प्रदेश से लगभग आधे 1783 तेंदुए मिले.

Leopard Sanctuary
Leopard Sanctuary

तेंदुओं को भाया मध्यप्रदेश
लैपर्ड की अगली रिपोर्ट साल 2022 में जारी होनी है, लेकिन प्रदेश में लगातार बढ़ रही तेंदुओं की साईटिंग बताती है कि ये संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि तेंदुओं को मध्यप्रदेश भा गया है. जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट, रांझी, खमरिया और नयागांव में तेंदुओं का मूवमेंट लगातार बढ़ रहा है. जबकि प्रदेश की शहरी आबादी के पास भी तेंदुए तेजी से दिख रहे हैं.

ये सवाल तलाश रहा SFRI
कहा जाता है कि तेंदुए बहुत शर्मीले होते हैं, जो इंसानों का शिकार नहीं करते. तेंदुओं की ओर से अभी तक आगे बढ़कर इंसानों पर हमले की घटनाएं भी दर्ज नहीं हैं. ऐसे में सवाल है कि तेंदुए सघन जंगलों को छोड़कर बाहर क्यों आ रहे हैं. क्या तेंदुए इंसानी बस्तियों के आस पास रहना चाहते हैं. सवाल है कि क्या इंसान और तेंदुए साथ-साथ रह सकते हैं. ऐसे तमाम सवालों का जवाब जबलपुर में स्थित SFRI यानि स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में तलाशा जा रहा है. यहां हो रही रिसर्च का नतीजा देश में एक मॉडल के रूप में लागू किया जाना है.

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जबलपुर में बन सकती है 'लैपर्ड सेंचुरी'
एसएफआरआई (State Forest Research Institute) में अब तक की रिसर्च में मध्यप्रदेश में लैपर्ड सैंचुरी बनाने की जरूरत महसूस हुई है, जो प्रदेश में अब तक नहीं बनी है. रिसर्च टीम के वैज्ञानिक डॉक्टर अनिरुद्ध मजूमदार का मानना है कि जबलपुर प्रदेश की पहली लैपर्ड सैंचुरी के लिए सबसे मुफीद जगह हो सकती है. तेंदुओं और इंसानों के को-एक्जिस्टेंस के साथ इंदौर या जबलपुर में लैपर्ड सैंचुरी की तमाम संभावनाएं वाईल्ड लाईफ और वन विभाग की संयुक्त टीमें अपनी रिसर्च में तलाश रही हैं. जिसका नतीजा देखना अब दिलचस्प होगा, क्योंकि लैपर्ड सेंचुरी बनने से ना सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि इनकी साइटिंग भी होगी.

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