जबलपुर। मध्य प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए शुरू की गई जननी एक्सप्रेस के पहिए गुरुवार से थम गए हैं. सेवा बंद करने के पीछे कंपनी के द्वारा बकाया डिपॉजिट राशि और दो माह से वाहन का किराया न देना बताया जा रहा है. जननी एक्सप्रेस के बंद हो जाने से प्रसूता महिलाओं को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में परिजन गर्भवती महिलाओं को ऑटो में लेकर आने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग वैकल्पिक व्यवस्था करने में जुटा हुआ है.
संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित
जबलपुर के लेडी एल्गिन अस्पताल में सिर्फ जबलपुर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों की भी प्रसूता डिलीवरी के लिए आती हैं. जननी सुरक्षा एक्सप्रेस के न चलने से अब दूर दराज से आने वाली गर्भवती महिलाओं को अपने साधनों से आना पड़ रहा है. कोई ऑटो से आ रहा है तो कोई अन्य दूसरे वाहनों से. लिहाजा प्रसूताओं की परेशानी जननी सुरक्षा एंबुलेंस बंद होने से बढ़ गई है.
जब तक पैसा नहीं तब तक काम नहीं
जननी सुरक्षा एक्सप्रेस संचालकों की मानें तो 8 सितंबर को उनका ठेका खत्म हो गया है. जिसके बाद अब ठेका कंपनी को या तो जननी एक्सप्रेस का ठेका आगे बढ़ाना था या फिर उनकी डिपॉजिट मनी वापस करनी थी, लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया. जिसके चलते अब मध्य प्रदेश के सभी जननी सुरक्षा एक्सप्रेस संचालकों ने निर्णय लिया है कि अब एम्बुलेंस नहीं चलाई जाएगी.
प्रदेश में 840, जबलपुर में 18 जननी एक्सप्रेस
जानकारी के मुताबिक, गर्भवती महिलाओं को उनके घर से लाने और फिर डिलीवरी के पश्चात वापस घर छोड़ने का काम जननी सुरक्षा एक्सप्रेस का होता है. मध्य प्रदेश में अभी 840 जननी सुरक्षा एक्सप्रेस एम्बुलेंस चल रही हैं. वहीं जबलपुर में 18 एंबुलेंस को लगाया गया है. एम्बुलेंस संचालक बताते हैं कि प्रति किलोमीटर उन्हें 11 रुपए दिया जाता है. जिसका भुगतान दो माह से रुका हुआ है. साथ ही उनकी डिपॉजिट मनी जो कि प्रति एम्बुलेंस 50 हजार रुपए है वह भी नहीं मिली है.
वैकल्पिक व्यवस्था में जुटा अस्पताल प्रबधंन
जबलपुर में जननी सुरक्षा एक्सप्रेस एंबुलेंस के अचानक बंद हो जाने से स्वास्थ्य प्रबंधन भी सकते में आ गया है. लिहाजा, एल्गिन अस्पताल प्रबंधन मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी और संयुक्त संचालक मिलकर प्रस्ताव को लाने ले-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है. जिसके चलते अब प्रसूता को अपने-अपने साधन से अस्पताल आना-जाना पड़ रहा है.