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दिव्यांगों की पेंशन पर सरकार की बढ़ी टेंशन! हाईकोर्ट ने दिया अल्टीमेटम - जबलपुर हाईकोर्ट

दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाले पेंशन को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को 3 माह के भीतर मामले का निराकरण करने का आदेश दिया है.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Feb 4, 2021, 7:18 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाले पेंशन को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को 3 माह के भीतर मामले का निराकरण करने का आदेश दिया है. याचिका में सरकार की ओर से मिलने वाले 600 रुपये को हास्यासपद बताते हुए राशि को बढ़ाने की मांग की गई है.

वकील आदित्य संघी

मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार की ओर से 600 रुपय की राशि बतौर पेंशन दी जाती है. पेंशन की इस बेहद कम राशि को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका के जरिए दो बातों पर आपत्ति जताई गई है.

  1. मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की पेंशन 6 साल के बाद शुरू की जाती है, 6 साल के पहले इन्हें मानसिक रूप से दिव्यांग नहीं माना जाता, जो गलत है. जबकि कई बच्चे जन्म से ही इस बीमारी से पीड़ित होते हैं. इन बच्चों को 6 साल की उम्र से पहले ही पेंशन मिलनी चाहिए
  2. एक तरफ विधायकों और सांसदों को जो पेंशन दी जाती है, उसमें हर साल बढ़ोतरी होती है. यह जरूरत से ज्यादा भी दी जा रही है. लेकिन जिन लोगों को इस पेंशन की सच में बहुत जरूरत है, उनके लिए मात्र 600 रुपये दिया जाना हास्यास्पद है

याचिका लगाने वाले वकील आदित्य संघी का कहना है कि ये बच्चे पूरे समाज की जिम्मेदारी है और इन पर पूरे समाज को ध्यान देना चाहिए. वहीं सरकार को इस महंगाई के दौर में इस रकम को बढ़ाना चाहिए, जिससे इनके लिए इनके पालक कुछ जरूरी सुविधाएं जुटा सकें.

जबलपुर। प्रदेश में दिव्यांग बच्चों को दी जाने वाले पेंशन को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार को 3 माह के भीतर मामले का निराकरण करने का आदेश दिया है. याचिका में सरकार की ओर से मिलने वाले 600 रुपये को हास्यासपद बताते हुए राशि को बढ़ाने की मांग की गई है.

वकील आदित्य संघी

मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार की ओर से 600 रुपय की राशि बतौर पेंशन दी जाती है. पेंशन की इस बेहद कम राशि को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका के जरिए दो बातों पर आपत्ति जताई गई है.

  1. मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों की पेंशन 6 साल के बाद शुरू की जाती है, 6 साल के पहले इन्हें मानसिक रूप से दिव्यांग नहीं माना जाता, जो गलत है. जबकि कई बच्चे जन्म से ही इस बीमारी से पीड़ित होते हैं. इन बच्चों को 6 साल की उम्र से पहले ही पेंशन मिलनी चाहिए
  2. एक तरफ विधायकों और सांसदों को जो पेंशन दी जाती है, उसमें हर साल बढ़ोतरी होती है. यह जरूरत से ज्यादा भी दी जा रही है. लेकिन जिन लोगों को इस पेंशन की सच में बहुत जरूरत है, उनके लिए मात्र 600 रुपये दिया जाना हास्यास्पद है

याचिका लगाने वाले वकील आदित्य संघी का कहना है कि ये बच्चे पूरे समाज की जिम्मेदारी है और इन पर पूरे समाज को ध्यान देना चाहिए. वहीं सरकार को इस महंगाई के दौर में इस रकम को बढ़ाना चाहिए, जिससे इनके लिए इनके पालक कुछ जरूरी सुविधाएं जुटा सकें.

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