जबलपुर। एम.पी.पी.एस.सी 2019 के रिजल्ट को चुनौती देने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस पीएस कौरव (high court Justice PS Kaurav) ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है. कौरव हाई कोर्ट जज बनने से पहले प्रदेश के महाधिवक्ता की हैसियत से एम.पी.एस.सी परीक्षा से जुड़ी याचिकाओं पर सरकार की तरफ से पैरवी कर चुके थे. उनके इस केस से अलग हो जाने के बाद अब प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई ऐसी बेंच में तय की गई है जिसमें कौरव शामिल नहीं होंगे.
10 फरवरी को याचिकाओं पर सुनवाई तय
चीफ जस्टिस ने 10 फरवरी को याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख तय की है. इस मामले पर राज्य सरकार और एमपीपीएससी को सुनवाई से पहले हाईकोर्ट में जवाब भी देना है. हाईकोर्ट में दायर इन याचिकाओं में आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में ना चुने जाने की नियम को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया है कि बीती 20 दिसंबर को राज्य सरकार ने यह विवादित नियम रद्द कर दिया था. बावजूद इसके एमपीपीएससी ने 31 दिसंबर को इसी नियम के आधार पर एमपीएससी 2019 के रिजल्ट जारी कर दिए. इसमें आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में नहीं चुना गया.
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आरिफ मसूद की याचिका निराकृत
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित किये गये सूर्य नमस्कार कार्यक्रम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि आजादी के अमृत मोहत्सव के तहत यह कार्यक्रम किया जा रहा है. कार्यक्रम में शैक्षणिक संस्थानों को शामिल होने के लिए बाध्य किया जा रहा है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस कौरव की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया की कार्यक्रम 1 जनवरी से 7 फरवरी तक आयोजित किया गया था. कार्यक्रम के आयोजन की डेट खत्म होने के कारण युगलपीठ ने याचिका को सराहनीय मानते हुए निराकृत कर दी. भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि आजादी के अमृत मोहत्सव आयोजन के तहत राष्ट्रीय योगासन स्पोर्ट फेडरेशन ने 1 जनवरी से 7 फरवरी तक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया है.
बक्सवाहा जंगल के लिए हीरा खदान के लिए आवंटित मामले में जवाब पेश
बक्सवाहा जंगल की जमीन को हीरा खदान के लिए आवंटित किये जाने को चुनौती देने वाले मामले में आर्कियोलॉजी सर्वे आफ इंडिया की ओर से अपना जवाब पेश किया गया है. जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार उन्हीं संपदा का संरक्षण करती है, जिन्हें नोटिफाई किया गया है. बक्सवाहा में एएसआई ने वर्ष 1958 के कानून के तहत सर्वे किया है, जहां पुरातात्विक संपदा पायी है, अब इसे नोटिफाई करने हेतु पुरातात्विक आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया में सक्रियता से विचार हो रहा है, वर्तमान में उक्त क्षेत्र नोटिफाईड नहीं है और न ही राज्य सरकार की सूची में शामिल है. (MPPSC 2019 Result) (high court Justice PS Kaurav)