जबलपुर: हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने नाबालिग लड़की को माता-पिता के सुपुर्द करने के आदेश जारी किए थे. युगलपीठ ने पिता की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए भोजपुर, बिहार के निवासी युवक के खिलाफ फिर से तीसरी बार डीआईजी के माध्यम से गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी ने पैरवी की.
याचिकाकर्ता पिता की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus petition) में कहा गया था कि उसकी 17 साल की बेटी को भोजपुर, बिहार निवासी पवन तिवारी अपने साथ ले गया है और बंधक बनाकर रखे हुए है. उसकी बेटी जनवरी माह से गायब है और जिसकी तलाश पुलिस अभी तक नहीं कर पाई है. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए लापता लड़की को पेश करने के निर्देश दिये थे.
आधारताल पुलिस द्वारा लड़की को युगलपीठ के समक्ष पेश किया गया. लड़की ने युगलपीठ को बताया कि वह 6 जनवरी को ट्रेन से दिल्ली गई थी. दिल्ली में अपनी दोस्त आहना खान के घर पर उसके माता-पिता के साथ थी. याचिका के संबंध में जानकारी मिलने पर वह जबलपुर लौट आई है. सरकार की तरफ से बताया गया कि पुलिस ने अनावेदक पवन तिवारी के खिलाफ धारा 363 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. जिसके संबंध में पुलिस को अभी तक सुराग नहीं मिल पाया है. पुलिस जांच में किशोर द्वारा हाईकोर्ट को बताई गई कहानी झूठी पाई गई थी. युगलपीठ ने अपहरण के आरोपी युवक के खिलाफ बिहार डीआईजी के माध्यम से गैर जमानती वांरट करते हुए किशोरी को चाईल्ड केयर सेंटर (Child Care Center Jabalpur) भेजने के निर्देश जारी किए थे.
गुरूवार को हुई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas corpus petition) की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा बेटी की कस्टडी के लिए पेश आवेदन की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उसे माता-पिता को सुपुर्द करने के निर्देश जारी किए. युगलपीठ ने तीसरी बार आरोपी युवक के खिलाफ बिहार (Bihar police DIG) डीईजी के माध्यम से गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.