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नवजात की मौत पर HC ने मांगा जवाब, स्वास्थ्य विभाग को जारी किया नोटिस

नवजात की मौत के बाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग पर नाराजगी जताई है, साथ ही स्वास्थ्य विभाग, प्रमुख सचिव, शहडोल आयुक्त, सीएमओ सहित कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी किया है. और जल्द से जल्द कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए कहा है.

Madhya Pradesh High Court
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Dec 3, 2020, 5:38 PM IST

जबलपुर। नवजात की मौत के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और उमरिया जिला प्रशासन से जवाब मांगा है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक नवजात की मृत्यु के मामले में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग, प्रमुख सचिव, शहडोल आयुक्त, सीएमओ सहित कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी किया है.

हाईकोर्ट ने नवजात की मौत के मामले में मांगा जवाब

दरअसल मामला इसी साल जून का है, जब बिरसिंहपुर पाली के स्वास्थ्य केंद्र में एक स्टाफ नर्स सरिता मेहरा की डिलीवरी होनी थी, सरिता मेहरा इसी अस्पताल में नर्स थी, इसलिए उन्हें भरोसा था कि उनके साथ कोई लापरवाही नहीं होगी, और उन्होंने बिरसिंहपुर के स्वास्थ्य केंद्र में ही डिलीवरी करवाने का फैसला किया. अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति है और मौके पर डॉक्टर मौजूद थे, लेकिन स्टाफ ने लापरवाही बरतते हुए एक रिटायर्ड एएनएम उमा कुशवाह को बुला लिया, और उससे डिलेवरी कराई गई,

गर्दन फंसने से नवजात की मौत

उमा कुशवाह रिटायर्ड हैं लेकिन इसके बावजूद अस्पताल का नियमित स्टाफ काम कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद रिटायर्ड नर्स की सेवाएं ली जाती हैं. इस दौरान उमा कुशवाह ने डिलीवरी शुरू की लेकिन इसी दौरान बच्चे की गर्दन फंस गया और डिलीवरी नहीं हो पाई. रिटायर्ड डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे को सिर पकड़ कर खींच लिया गया, जिसकी वजह से बच्चे के शरीर में गंभीर चोटें आई, और उसकी मौत हो गई. बच्चे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बताया गया है कि शुरुआत में बच्चा जिंदा था, लेकिन फिर कुछ ऐसा घटा जिसकी वजह से उसके शरीर में गंभीर चोटें आई, जिसकी वजह से एक घंटे बाद उसकी मौत हो गई.

लापरवाही के चलते नवजात की मौत

वहीं सरिता मेहरा अपने बच्चे के खोने का दर्द सहन नहीं कर पाई, जब सरिता मेहरा थोड़ी ठीक हुई, तो उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट की शरण ली, और एक रिट पिटिशन हाई कोर्ट में दायर की. सरिता मेहरा का कहना है कि उनके बच्चे की मौत अस्पताल स्टाफ की लापरवाही की वजह से हुई है. जब अस्पताल स्टाफ स्वास्थ्य विभाग के ही एक कर्मचारी के बच्चे को नहीं बचा पाया, तो जरा सोचिए कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता होगा, इन्हीं मुद्दों पर विशाल धाकड़ की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रूपेश पटेल ने अपना पक्ष रखा कोर्ट ने गंभीर लापरवाही मानते हुए स्वास्थ्य विभाग के पूरे अमले सहित प्रशासन से जवाब तलब किया है.

हालांकि यह मामला पुराना है, लेकिन ऐसा नहीं है कि शहडोल संभाग में बच्चों की मृत्यु बंद हो गई हो, बल्कि अभी भी यहां लगातार बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है. यहां स्वास्थ्य विभाग लापरवाही से काम करता है. फिलहाल हाईकोर्ट ने इस मामले में जवाब तलब किया है.

जबलपुर। नवजात की मौत के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और उमरिया जिला प्रशासन से जवाब मांगा है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक नवजात की मृत्यु के मामले में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग, प्रमुख सचिव, शहडोल आयुक्त, सीएमओ सहित कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी किया है.

हाईकोर्ट ने नवजात की मौत के मामले में मांगा जवाब

दरअसल मामला इसी साल जून का है, जब बिरसिंहपुर पाली के स्वास्थ्य केंद्र में एक स्टाफ नर्स सरिता मेहरा की डिलीवरी होनी थी, सरिता मेहरा इसी अस्पताल में नर्स थी, इसलिए उन्हें भरोसा था कि उनके साथ कोई लापरवाही नहीं होगी, और उन्होंने बिरसिंहपुर के स्वास्थ्य केंद्र में ही डिलीवरी करवाने का फैसला किया. अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति है और मौके पर डॉक्टर मौजूद थे, लेकिन स्टाफ ने लापरवाही बरतते हुए एक रिटायर्ड एएनएम उमा कुशवाह को बुला लिया, और उससे डिलेवरी कराई गई,

गर्दन फंसने से नवजात की मौत

उमा कुशवाह रिटायर्ड हैं लेकिन इसके बावजूद अस्पताल का नियमित स्टाफ काम कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद रिटायर्ड नर्स की सेवाएं ली जाती हैं. इस दौरान उमा कुशवाह ने डिलीवरी शुरू की लेकिन इसी दौरान बच्चे की गर्दन फंस गया और डिलीवरी नहीं हो पाई. रिटायर्ड डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे को सिर पकड़ कर खींच लिया गया, जिसकी वजह से बच्चे के शरीर में गंभीर चोटें आई, और उसकी मौत हो गई. बच्चे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बताया गया है कि शुरुआत में बच्चा जिंदा था, लेकिन फिर कुछ ऐसा घटा जिसकी वजह से उसके शरीर में गंभीर चोटें आई, जिसकी वजह से एक घंटे बाद उसकी मौत हो गई.

लापरवाही के चलते नवजात की मौत

वहीं सरिता मेहरा अपने बच्चे के खोने का दर्द सहन नहीं कर पाई, जब सरिता मेहरा थोड़ी ठीक हुई, तो उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट की शरण ली, और एक रिट पिटिशन हाई कोर्ट में दायर की. सरिता मेहरा का कहना है कि उनके बच्चे की मौत अस्पताल स्टाफ की लापरवाही की वजह से हुई है. जब अस्पताल स्टाफ स्वास्थ्य विभाग के ही एक कर्मचारी के बच्चे को नहीं बचा पाया, तो जरा सोचिए कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता होगा, इन्हीं मुद्दों पर विशाल धाकड़ की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रूपेश पटेल ने अपना पक्ष रखा कोर्ट ने गंभीर लापरवाही मानते हुए स्वास्थ्य विभाग के पूरे अमले सहित प्रशासन से जवाब तलब किया है.

हालांकि यह मामला पुराना है, लेकिन ऐसा नहीं है कि शहडोल संभाग में बच्चों की मृत्यु बंद हो गई हो, बल्कि अभी भी यहां लगातार बच्चों की मृत्यु के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है. यहां स्वास्थ्य विभाग लापरवाही से काम करता है. फिलहाल हाईकोर्ट ने इस मामले में जवाब तलब किया है.

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