जबलपुर। मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ता जा रहा है, प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा रही है, लेकिन प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन न होने से विपक्ष सत्ता पक्ष पर निशाना भी साध रहा है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि इस वक्त प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री का होना बहुत जरूरी था. इन्हीं सब मुद्दों पर ईटीवी भारत ने प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई से बात की.
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई का कहना है कि फिलहाल प्रदेश में ये जरुरी नहीं है कि स्वास्थ्य मंत्री क्यों नहीं है, इस वक्त केवल कोरोना से लड़ना हमारी अहम जिम्मेदारी है. जिसके लिए प्रदेश सरकार जी जान से जुटी हुई है. विश्नोई ने कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस के चलते प्रशासन जो व्यवस्थाएं कर रहा है वो संतोषजनक है, प्रदेश में कहीं-कहीं स्थितियां बिगड़ी हैं, उसकी बड़ी वजह मध्य प्रदेश की 15 महीने की पिछली सरकार है. क्योंकि कमलनाथ सरकार के दौरान प्रशासन नाम की चीज नहीं थी. जिसका खामियाजा हमें अब उठाना पड़ रहा है.
जबलपुर में प्रशासन ने उठाए सख्त कदम
अजय विश्नोई ने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जबलपुर के प्रशासनिक अधिकारी अलर्ट थे. जिसके चलते पहले से ही उचित कदम उठाए जाने शुरू हो गए थे. उन्होंने कहा कि जिस परिवार को सबसे पहले कोरोना के संक्रमण मिले थे. उसे तत्काल आईसोलेट करा दिया गया था. जबकि अखबारों में उनके नाम भी छपवाए गए थे. ताकि लोग उनके संपर्क में अगर आएं हो तो खुद को आइसोलेट कर लें. इन सभी कारणों से जबलपुर में कोरोना का कहर बढ़ नहीं पाया.
इंदौर में समय रहते नहीं उठाए गए ठोस कदम
अजय विश्नोई ने कहा कि इंदौर में स्थितियां इसलिए बिगड़ीं क्योंकि वहां के कलेक्टर ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए. अगर ऐसा होता तो इंदौर के जो थोड़े बहुत हालात बिगड़े थे उन पर काबू पा लिया जाता. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अब सीएम शिवराज ने एक्शन लेते हुए इंदौर में सख्त कदम उठाए हैं, जिससे इंदौर में भी जल्द से जल्द काबू पा लिया जाएगा.
जनप्रतिनिधि करें अपने क्षेत्र में काम
अजय विश्नोई ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं का ये आरोप व्यर्थ है कि राज्य में अगर मंत्री होते तो करोना वायरस की इस लड़ाई में ज्यादा अच्छे इंतजाम हो सकते थे. उन्होंने कहा कि अगर मंत्रालयों में मंत्री बैठे भी होते तो संक्रमण के इस समय में उन्हें भी अपने से ही काम करना होता. जो काम हम अभी भी कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल ना बन पाने की कोई जल्दी नहीं है क्योंकि फिलहाल सभी का फोकस इस महामारी से लड़ना है. जब ये शांत हो जाएगा तो मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा.