जबलपुर। माता त्रिपुर सुंदरी राज राजेश्वरी का मंदिर शहर से करीब 14 किलोमीटर दूर तेवर गांव में भेड़ाघाट रोड पर हथियागढ़ नामक स्थान पर स्थित है. 11वीं शताब्दी में कल्चुरी राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण कराया था. यहां पर एक शिलालेख है, जिससे इसकी पुष्टि होती है. यहां साल भर भक्तों की आवाजाही रहती है. मां त्रिपुर सुंदरी की खासियत पूरी दुनिया में फैली हुई है. इनके दर्शन के लिए देश प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के भक्त आते हैं. नवरात्रि पर यहां की रौनक देखने लायक होती है. दशहरा उत्सव के दौरान भी यहां भारी भीड़ उमड़ती है. (maa tripura sundari temple jabalpur)
मन्नत में बांधते हैं नारियल: कलचुरी काल के इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को स्वयं से प्रकट माना जाता है. त्रिपुर सुंदरी की यह मूर्ति द्वापर युग की मूर्ति बताई जाती है. देवी कलचुरी राजा कर्ण की कुल देवी हैं. त्रिपुर सुंदरी मां ने कर्ण को वरदान दिया था कि वह चाहे जितना भी दान कर ले उसके खजाने में हमेशा सवा मन सोना बना रहेगा. जब कर्ण ने मां से वरदान मांगा कि जिस तरह मैं हमेशा आपकी सेवा करता हूं और मैंने स्वयं को आपके लिए अर्पित कर दिया भविष्य में आप के भक्तों को भी आपकी कृपा मिल सके कोई ऐसा उपाय करिए. इस पर त्रिपुर सुंदरी मां ने वरदान दिया कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से उनके दरबार में एक नारियल चढ़ाएगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी. तब से त्रिपुर सुंदरी मंदिर में नारियल बांधे जाने लगे. (Chaitra Navratri 2022)
भूमि से हुई थीं अवतरित: बताया जाता है कि त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रथम पुजारी को 10 साल की उम्र में मां भगवती ने सपने में दर्शन दिए थे और अपने त्रिपुर सुंदरी स्वरूप का स्थान बताया था. इसके बाद उन्होंने इस स्थान की खोज की. उस जमाने में यह भयानक जंगल हुआ करता था, जंगल के बीचोबीच एक बेल के पेड़ के नीचे उन्होंने त्रिपुर सुंदरी मां का स्वरूप मिला और फिर उनकी सेवा शुरू कर दी. तब से ही पूरे साल माता के दर्शन के लिए लाखों भक्त आते हैं.
नवरात्रि में यहां रहती है बहुत भीड़: नवरात्र पर तेवर में मेला लगाया जाता है. दूर दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं. त्रिपुर सुंदरी मंदिर समिति के प्रधान शिव पटेल बताते हैं कि इस मंदिर की खास बात यह है कि, यह पुरातात्विक महत्व रखता है. पुरातत्व विभाग ने त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा की जांच कर बताया कि यह प्रतिमा करीब 2000 साल पुरानी है, लेकिन धार्मिक मान्यताएं बताती हैं यह मूर्ति 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है. (tripura sundari ancient temple)