ईटीवी भारत डेस्क : बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस को दुनिया भर के राम भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था इसलिए हर साल चैत्र नवरात्रि की नवमी को राम नवमी मनाई जाती है. भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के तौर पर इस पर्व को मनाया जाता है. इस बार राम नवमी पर तीन योग इस दिन को अतिशुभ बना रहे हैं. रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग का शुभ फलदायक संयोग बन रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक त्रेतायुग में राक्षसों के अत्याचारों को समाप्त करने और धरती पर एक बार फिर धर्म और शांति की स्थापना करने के लिये भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में धरती पर अवतार लिया था. मान्यताओं के अनुसार जब श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में राजा दशरथ के घर अयोध्या में हुआ था तब चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न का उदय था और पांच ग्रह मंगल, शुक्र, सूर्य, शनि एवं बृहस्पति उच्च स्थान पर विद्यमान थे. विशेष कार्यों को शुरु करने और सूर्य देव की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम है. रामनवमी का त्योहार राम जन्मोत्सव के तौर पर देशभर में पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है.
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ऐसी मान्यता है कि रामनवमी (Lord Ram birthday celebration Ram Navami) पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की विधि पूर्वक पूजा करने पर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है. रामनवमी पर भगवान श्रीराम की आराधना का सबसे उत्तम दिन है. आज के दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होता है और इस दिन नवगृह में प्रवेश से लेकर शादी-ब्याह भी कर सकते हैं. इस दिन रामनवमी के स्वयं सिद्ध मुहूर्त में खरीदारी करना भी सिद्धि दायक रहेगा. इसलिए रामनवमी पर सोना-चांदी, भूमि, भवन, वाहन की खरीददारी स्थाई समृद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है.
राम नवमी शुभ मुहूर्त एवं राहुकाल
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ: 10 अप्रैल, दिन रविवार, 01:23 AM पर
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का समापन: 11 अप्रैल, दिन सोमवार, 03:15 AM पर
राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त: दिन में 11:09 बजे से दोपहर 01:37 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर : दोपहर 2:39 बजे से दोपहर 03:21 बजे तक
राहुकाल : शाम 05 बजकर 07 मिनट से सूर्यास्त तक
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रामनवमी की पूजा विधि
रामनवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं और फिर स्नान आदि करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनें. पूजा स्थान पर पूजन सामग्री के साथ आसान लगाकर बैठें. भगवान श्रीराम की पूजा में तुलसी का पत्ता होना अनिवार्य है. क्योंकि श्रीराम विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है. राम जी की पूजा में तुलसी के प्रयोग से प्रभु श्रीराम प्रसन्न होते हैं. उसके बाद रोली, चंदन, धूप और गंध से रामजी की पूजा करें. दीपक जलाएं, सभी देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं और आरती करें. फिर श्रीराम को मिष्ठान, फल, फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद मंत्रों का जाप करें और हवन भी करें. इस दिन रामनवमी की पूजा के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ जरूर करें. इसे पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है. Chaitra navratri 2022 last day.