इंदौर। मध्यप्रदेश में जंगल लगातार कम होते जा रहे हैं. पर्यावरण (carbon credit plantation in MP) और जलवायु संकट के बीच वनों और हरियाली की कटाई का सीधा असर इंसानों पर पड़ेगा. इसको देखते हुए प्रदेश में जंगलों और हरियाली की भरपाई अब कार्बन क्रेडिट बेचकर की जाएगी. राज्य के वन विकास निगम ने ऐसी योजना तैयार की है जिसके मद्देनजर अंडमान निकोबार से लेकर विभिन्न राज्यों में जारी विकास कार्यों के दौरान हो रही वनों की कटाई के बदले में दुनिया भर की निर्माण एजेंसियां वृक्षारोपण कराने के बदले कार्बन क्रेडिट हासिल कर सकेंगी.
परिणामस्वरूप उन्हें उन राज्यों में भी निर्माण एवं उद्योग स्थापित करने की अनुमति मिल सकेगी जहां वृक्षारोपण के बदले में कार्बन क्रेडिट की शर्त अनिवार्य है. इसके लिए वन विभाग ने अपने सिवनी स्थित निगम मुख्यालय को इंदौर स्थानांतरित किया है.
निर्माण एजेंसियां आईं आगे
राज्य के पश्चिमी इलाके खास तौर पर मालवा निमाड़ में रिक्त पड़ी जमीन पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा सकता है. इसको देखते हुए वन विभाग एवं वन विकास निगम ने फैसला किया है कि खाली पड़ी जमीन पर वृक्षारोपण करने के लिए निर्माण एजेंसियों और विभिन्न कारपोरेट कंपनियों को कार्बन क्रेडिट बेच दिया जाए. यह पहला मौका होगा जब निर्माण एजेंसियां वन विकास निगम को भुगतान करके वृक्षारोपण कराएंगे. वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार कि कुछ निर्माण एजेंसियां इसके लिए आगे आई हैं, गोवा से भी इसको लेकर बात चल रही है. हमारे पास जगह है, अच्छी व्यवस्था है, बड़ी बड़ी कंपनियां वन विकास निगम पर भरोसा करती हैं.
क्यों लिया सरकार ने फैसला
दुनिया में हर जगह कार्बन क्रेडिट के बदले निर्माण अनुमति या एवं उद्योग स्थापित करने की अनुमति मिलती है. जो इलाके जमीन से घिरे हैं या जमीन की कमी है, उन्हें कंपनियां और एजेंसियां चाह कर वृक्षारोपण नहीं कर पाती, लिहाजा मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसी तमाम एजेंसियों को प्रदेश के विभिन्न इलाकों में वृक्षारोपण के बदले में कार्बन क्रेडिट देने का फैसला किया है. प्रदेश के पश्चिमी इलाके में जल्द ही सघन वृक्षारोपण हो सके इसके लिए भी वन विभाग ने अपने सिवनी स्थित निगम मुख्यालय को इंदौर स्थानांतरित किया है.