इंदौर। अनाज और जल की समृद्ध की विरासत को लेकर एक कहावत है 'मालव माटी धीर गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर'. लेकिन यह कहावत अब इंदौर समेत पूरे मालवा अंचल में बेमानी हो सकती है. भूजल स्तर तेजी से गिरने के कारण कई इलाकों में पानी 800 फीट से नीचे चला गया है. लिहाजा डार्क जोन से बचने के लिए अब इंदौर के हर घर में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए भूजल स्तर बढ़ाने के प्रयास शुरू हो गए हैं. इसी मामले से जुड़ा एक आदेश अब राज्य शासन के स्तर पर भी जारी हो सकता है जिसमें घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने संबंधी आदेश दिया जा सकता है.
जल संकट के डार्क जोन में इंदौर: केंद्र सरकार ने देश के 29 शहरों को संभावित जल संकट के डार्क जोन में रखा है, उसमें से एक इंदौर भी है. यहां कई इलाकों में भूजल का स्तर 600 से 800 फीट नीचे तक चला गया है. विशेषज्ञों ने भी आशंका जताई है कि यदि इसी तरह बोरिंग और ट्यूबेल खोदे जाते रहे तो इंदौर समेत आसपास के इलाकों में हालात खराब हो सकते हैं. इसी को देखते हुए इंदौर नगर निगम ने शहर के सभी घरों का रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने का फैसला किया है.
शहर में अभियान शुरू करेंगे ननि के स्वयंसेवी संगठन: रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए आगामी 607 दिनों में नगर निगम से संबंधित स्वयंसेवी संगठनों द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों में एक अभियान शुरू किया जाएगा. ये लोगों को घरों में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए प्रेरित करेगा. इंदौर नगर निगम के आयुक्त ने बताया कि जल्द ही शासन द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है, इसके बाद नगरीय निकायों से भवन निर्माण की अनुमति के दौरान ही रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने की व्यवस्था भी अनिवार्य की जाएगी.
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य: वैसे तो इंदौर में अभी भी कई घरों में बारिश का पानी सहेजने के लिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं, लेकिन फिर भी यहां जिस तेजी से नलकूप और बोरिंग खोदे जा रहे हैं उस तेजी से भूजल स्तर की भरपाई नहीं हो रही है. लिहाजा अब इंदौर को भूजल स्तर के डार्क जोन से बचाने के लिए नगर निगम रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर रहा है.
कई इलाके डार्क जोन की कगार पर: इंदौर में देवगुराडिया से लेकर राऊ इलाके में भूजल का स्तर 800 फीट से नीचे चला गया है. इन जल स्त्रोतों के भरोसे शहर के लिंबूदी, बिलावली, पिपलियापाला तालाब होते हैं एवं कान्ह नदी का भी यह जल स्रोत है. शहर में 42% रहवासी बोरिंग के पानी पर निर्भर हैं. जबकि 58% इलाके में नर्मदा जल से सप्लाई होती है. इसके बावजूद शहर के पूर्वी क्षेत्र में निपानिया क्षेत्र की अधिकांश टाउनशिप में मार्च से जून तक जल संकट बना रहता है. हर साल यहां इन महीनों का 3 से 4 लाख का पानी टैंकरों द्वारा खरीदा जाता है. यही स्थिति दक्षिण क्षेत्र के राहु इलाके में विभिन्न टाउनशिप की है. जहां भूजल का स्तर 600 तक नीचे उतर गया है अधिकांश इलाकों में गर्मी आते ही बोर सूख जाते हैं.
(Indore in dark zone of water crisis) (Roof water harvesting system in indore)