इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में महिला अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए इंदौर पुलिस ने विभिन्न तरह की हेल्प डेस्क सेवा की शुरुआत की है. वहीं महिलाओं की शिकायतों के निराकरण के लिए महिला थानों का भी निर्माण किया गया. लेकिन साल 2020 में भी महिला संबंधी अपराधों का ग्राफ बढ़ता ही रहा. साल 2020 में महिलाओं से संबंधित अपराधों के कुल 3000 मामले शहर में दर्ज किए गए.
शिकायतों के निराकण के लिए बना हेल्फ डेस्क
इंदौर पुलिस ने महिलाओं की शिकायतों की सुनवाई और महिला अपराध को कम करने के लिए हेल्प डेस्क की शुरुआत की. यहां महिलाओं को उचित मार्गदर्शन दिया जाता है और उनकी शिकायतों का निराकरण किया जाता है. इसके अलावा प्रत्येक थाने में शक्ति समूह भी बनाया गया है, जो विशेषकर महिलाओं की समस्याओं को सुनती हैं. पीड़ित महिलाओं, युवतियों और बच्चियों की काउंसलिंग करती है.
दर्जनभर प्लेटफार्म पर हो हो रहा शिकायतों का निराकरण
इंदौर पुलिस ने महिलाओं की शिकायत के निराकरण के लिए दर्जन भर से अधिक प्लेटफार्म बनाए हुए हैं. जिनमें से डायल हंड्रेड, FIR आपके द्वार, महिला थाना, वी केयर फॉर यू शक्ति समूह, सिटीजन कॉपी, एमपी ई-कॉप और पुलिस की हेल्प डेस्क शामिल है. अधिकारियों की कोशिश होती है कि इन सभी प्लेटफार्म के मदद से महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए.
शिकायत के बाद पीड़ित को मिलता है अपडेट
पुलिस विभाग की तरफ से बनाए गए प्लेटफार्म में जैसे ही कोई पीड़ित शिकायत लेकर आती है, उसकी शिकायत के बाद मामले में हो रही कार्रवाई को लेकर उसे अपडेट किया जाता है. लेकिन कई बार गंभीर मामलों में पीड़िता को पुलिस जानकारी देने में भी बचाव भी करती है. क्योंकि बार-बार पीड़िता को उसके संबंध में जानकारी देने से पीड़िता का दर्द बढ़ता है.
स्वाबलंबी डेस्क से मिल रही रोजगार की ट्रेनिंग
पुलिस विभाग द्वारा बनाए स्वाबलंबी डेस्क के जरिए पीड़ित महिलाओं की मदद की जाती है. पुलिस ने अहिल्या स्वावलंबी टेस्ट का का निर्माण किया है, इससे पीड़ित महिला की काउंसलिंग कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास किया जाता है. इसके माध्यम से पीड़ित महिलाओं को रोजगार दिलाने का प्रयास भी किया जाता है.
जमीनी हकीकत कुछ और ही
भले ही पुलिस विभाग महिलाओं के शिकायतों को निपटाने के लिए भले ही इतने डेस्क बना लिए हो, लेकिन जमीनी हकीकत की जब जानकारी ली गई तो बात कुछ और ही निकल के आई. एक पीड़िता से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उसने बताया विभिन्न प्लेटफार्म पर जाकर तकरीबन 2 साल बाद उसकी शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की.
कोर्ट के हस्ताक्षेप बाद मिलता है न्याय
महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों और उसके लिए हो रहे पुलिस के प्रयाशों को लेकर जिला कोर्ट के अधिवक्ता ने कहा कि इंदौर के पुलिस अधिकारियों ने महिलाओं की शिकायत के निराकरण के लिए हेल्प डेस्क का निर्माण तो जरूर लिया लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है. क्योंकि कई जगह पर अभी भी पुलिस कर्मियों के द्वारा पीड़ित महिला की शिकायत नहीं सुनी जाती है. जिसके बाद कई मामलों में कोर्ट के हस्ताक्षेप के बाद पीड़िता को न्याय मिल पाता है.