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मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्सों की भर्ती प्रक्रिया को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती, याचिकाकर्ता ने कहा नियम विरुद्ध की जा रही है भर्ती - medical collage recruitment processis challenge in hc

दतिया-ग्वालियर मेडिकल कालेज में नर्स के पदों पर की जा रहीं भर्ती प्रकिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में भर्ती प्रक्रिया के नियमों का पालन न करने काआरोप लगाते हुए हाई कोर्ट की शरण ली गई है.

मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्सों की भर्ती प्रक्रिया को हाई कोर्ट में दी गई चुनौती
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Published : Oct 5, 2021, 10:07 PM IST

जबलपुर। दतिया-ग्वालियर मेडिकल कालेज में नर्स के पदों पर की जा रहीं भर्ती प्रकिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में भर्ती प्रक्रिया के नियमों का पालन न करने काआरोप लगाते हुए हाई कोर्ट की शरण ली गई है. मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस मो.रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की है.


भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी को लेकर दाखिल की गई यह जनहित याचिका ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर की गई है. जिसमें मेडिकल कालेज दतिया एवं गजराजा मेडीकल कालेज ग्वालियर में नर्स के पदों पर की जा रही भर्ती की संवैधनिकता को चुनौती दी गई है. आवेदकों की ओर से कहा गया कि उक्त भर्तियों में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के मेरिटोरियस छात्राओं को उन्हीं की केटेगिरी में चयनित किया गया है, जबकि सामान्य नियम है कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयन किया जाना चाहिए. इन मेडीकल कॉलेजों द्वारा वर्गवार मेरिट सूची बनाई गई है, जिसके कारण आरक्षित श्रेणी का काट आफ मार्क, अनारक्षित-सामान्य से ज्यादा है जो अपने आप में त्रुटिपूर्ण है. प्रदेश में आरक्षित वर्ग की 87 फीसदी आबादी को देखते हुए तथा पीडि़तों द्वारा सक्षम विधिक कार्यवाही न कर पाने को देखते हुए उक्त जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का तर्क है कि उक्त मेडिकल कॉलेजो द्वारा भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई है तथा लोक सेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4, तथा इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ में 9 जजो की संवैधानिक पीठ के निर्णय में प्रतिपादित नियमों के विरूद्ध उक्त भर्ती की गई है, जो आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 14 के तहत शून्य है तथा अभ्यावेदनों के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज के डीन ने नियम विरुद्ध भर्ती को अंजाम दिया है जो अधिनियम 1994 की धारा 6 के तहत आपराधिक कृत्य है. तथा संबंधितों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिए. माननीय हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को निर्धारित की है.

जबलपुर। दतिया-ग्वालियर मेडिकल कालेज में नर्स के पदों पर की जा रहीं भर्ती प्रकिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में भर्ती प्रक्रिया के नियमों का पालन न करने काआरोप लगाते हुए हाई कोर्ट की शरण ली गई है. मामले में प्रारंभिक सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस मो.रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की है.


भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी को लेकर दाखिल की गई यह जनहित याचिका ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से दायर की गई है. जिसमें मेडिकल कालेज दतिया एवं गजराजा मेडीकल कालेज ग्वालियर में नर्स के पदों पर की जा रही भर्ती की संवैधनिकता को चुनौती दी गई है. आवेदकों की ओर से कहा गया कि उक्त भर्तियों में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के मेरिटोरियस छात्राओं को उन्हीं की केटेगिरी में चयनित किया गया है, जबकि सामान्य नियम है कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयन किया जाना चाहिए. इन मेडीकल कॉलेजों द्वारा वर्गवार मेरिट सूची बनाई गई है, जिसके कारण आरक्षित श्रेणी का काट आफ मार्क, अनारक्षित-सामान्य से ज्यादा है जो अपने आप में त्रुटिपूर्ण है. प्रदेश में आरक्षित वर्ग की 87 फीसदी आबादी को देखते हुए तथा पीडि़तों द्वारा सक्षम विधिक कार्यवाही न कर पाने को देखते हुए उक्त जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का तर्क है कि उक्त मेडिकल कॉलेजो द्वारा भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई है तथा लोक सेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4, तथा इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ में 9 जजो की संवैधानिक पीठ के निर्णय में प्रतिपादित नियमों के विरूद्ध उक्त भर्ती की गई है, जो आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 14 के तहत शून्य है तथा अभ्यावेदनों के बावजूद भी मेडिकल कॉलेज के डीन ने नियम विरुद्ध भर्ती को अंजाम दिया है जो अधिनियम 1994 की धारा 6 के तहत आपराधिक कृत्य है. तथा संबंधितों के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिए. माननीय हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को निर्धारित की है.

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