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डबरा विधानसभाः समधी-समधन के बीच मुकाबला, कमलनाथ के बयान के बाद गरमायी सियासत

ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प तस्वीर बनी है. यहां दोनों ही पार्टियों ने दूसरी पार्टी से आने वाले प्रत्याशियों को मौका दिया है. बीजेपी ने जहां कांग्रेस से इस्तीफा देने वाली इमरती देवी को मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने बीजेपी में शामिल रहे सुरेश राजे को उम्मीदवार बनाया है. लिहाजा यहां दल बदल बड़ा मुद्दा नजर नहीं आ रहा और मुकाबला भी दिलचस्प दिख रहा है. देखिए डबरा से ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट....

dabra assembly seat
डबरा की डगर
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Published : Oct 20, 2020, 7:10 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर जिले की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव में डबरा विधानसभा सीट भी शामिल है. जो ग्वालियर-चंबल की सबसे हाईप्रोफाइल सीट मानी जा रही है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे से हैं. खास बात यह है कि एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इमरती देवी पर दिए गए बयान से इस सीट पर सियासत और तेज हो गयी है.

डबरा विधानसभा पर समधी-समधन के बीच मुकाबला

2008 से पहले तक सामान्य रही डबरा विधानसभा सीट परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी. बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे आपस में समथी-समथन है. तो दूसरी अहम बात यह है कि दोनों प्रत्याशी यहां दल बदल कर मैदान में उतरे हैं. इमरती देवी पहले कांग्रेस में थी लेकिन सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गयी. तो वही सुरेश राजे पहले बीजेपी में थे लेकिन अब कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव मैदान में हैं. लिहाजा यहां मुकाबला और दिलचस्प होता दिख रहा है.

ये भी पढ़ेंः दलितों को घास-कूड़ा समझते हैं कमलनाथ, बाहर नहीं किया तो बर्बाद होगी जाएगी कांग्रेस: इमरती देवी

आरक्षित है डबरा विधानसभा सीट

डबरा विधानसभा सीट गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. आरक्षित होने से पहले इस सीट से वे तीन बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि आरक्षित होने के बाद इमरती देवी ने इस सीट को कांग्रेसमय कर दिया था. 2008 से अब तक इस सीट पर हुए तीन चुनावों में से तीनों बार कांग्रेस को जीत मिली. जबकि बीजेपी और अन्य दलों का खाता भी नहीं खुला.

डबरा सीट आरक्षित होने के बाद तीन चुनाव हुए हैं
डबरा सीट आरक्षित होने के बाद तीन चुनाव हुए हैं

डबरा के जातिगत समीकरण

डबरा विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो यहां एससी-एसटी वर्ग प्रभावी भूमिका में नजर आता है, तो ब्राह्मण वैश्य और कुशवाहा यहां के चुनावों में अहम भूमिका निभाता है. जबकि अन्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी भले ही छोटी-छोटी है. लेकिन उनके वोट भी अहम माने जाते हैं. जिससे डबरा पर सबकी निगाहें टिकी रहती है.

डबरा के जातिगत समीकरण
डबरा के जातिगत समीकरण

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

डबरा के मतदाता

वही बात अगर डबरा विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 1लाख 49हजार 696 है. जिनमें 81 हजार 204 पुरुष मतदाता, तो 68 हजार 492 महिला मतदाता शामिल है. जो उपचुनाव में वोटिंग कर अपने नए विधायक का चयन करेंगे.

डबरा के मतदाता
डबरा के मतदाता

जीत के प्रति आश्वास्त इमरती देवी

डबरा के चुनावी समर में दोनों प्रत्याशी ताबड़तोड़ प्रचार में जुटे हैं. बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी कहती है कि जनता उन्हें उनके कामों पर एक बार फिर आशीर्वाद देगी. दो बार विपक्ष में बैठने के बाद जब वे मंत्री बनी तो क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य कराना चाहती थी. लेकिन कमलनाथ सरकार ने डबरा के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया लगातार उपेक्षा की गयी. जिससे वे सिंधिया के साथ बीजेपी में गयी. इस बार भी जनता उन्हें फिर से आशीर्वाद देगी.

इमरती देवी, बीजेपी प्रत्याशी
इमरती देवी, बीजेपी प्रत्याशी

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर विधानसभा सीटः चेहरा वही निशान नया, दांव पर है सिंधिया के सच्चे सिपाही की साख

डबरा में विकास कराना पहली प्राथमिकता

कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे बीजेपी पर धोखा करने का आरोप लगाते हुए विकास की बात कर रहे हैं. वे कहते है कि डबरा में किसानों की कर्जमाफी, बिजली के बिल के साथ अन्य विकास के जो काम होने है. यह उनकी पहली प्राथमिकता है. इसलिए डबरा के विकास के लिए जनता इस बार उन्हें मौका देगी.

सुरेश राजे, कांग्रेस प्रत्याशी
सुरेश राजे, कांग्रेस प्रत्याशी

राजनीतिक जानकारों की राय

डबरा विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार देवश्री माली कहते हैं कि आरक्षित होने के बाद डबरा कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट रही है. यहां कांग्रेस का दबदबा माना जाता है. ऐसे में इस बार भी यहां कड़ा मुकाबला होता दिख रहा है. क्योंकि आरक्षित होने के बाद कभी भी डबरा सीट पर कांग्रेस को हार नहीं मिली है. सीधा कहा जाए तो यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट ही मानी जाती है. जिससे डबरा में तो नतीजों का ही इंतजार करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः मेहगांव विधानसभाः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी के ओपीएस के सामने कांग्रेस के हेमंत कटारे

चौथी बार चुनाव मैदान में इमरती देवी

डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी 2008 से कांग्रेस के टिकिट पर इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीतती आ रही है. जहां हर चुनाव में उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ता गया. 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के कप्तान सिंह को 57 हजार 446 हराया और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनी. लेकिन बाद में वे विधायकी से इस्तीफा देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गयी और शिवराज सरकार में भी मंत्री बनायी गयी. लिहाजा मंत्री पद पर रहते हुए इमरती देवी चौथी बार चुनाव लड़ रही हैं.

खास बात यह है कि डबरा विधानसभा सीट पर से नरोत्तम मिश्रा विधायक रह चुके हैं. लिहाजा यहां बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी उन्ही के कंधों पर है. तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज भी डबरा में इमरती देवी के पक्ष में लगातार प्रचार कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के पक्ष में कमलनाथ की टीम जुटी हुई है. कमलनाथ भी यहां सभा कर चुके हैं. जबकि कमलनाथ के इमरती देवी पर दिए गए बयान के बाद तो यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है. लिहाजा यहां मुकाबला बेहद कड़ा होता नजर आ रहा है. जहां किस्मत किसकी चमकेगी. यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा.

ग्वालियर। ग्वालियर जिले की तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव में डबरा विधानसभा सीट भी शामिल है. जो ग्वालियर-चंबल की सबसे हाईप्रोफाइल सीट मानी जा रही है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे से हैं. खास बात यह है कि एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के इमरती देवी पर दिए गए बयान से इस सीट पर सियासत और तेज हो गयी है.

डबरा विधानसभा पर समधी-समधन के बीच मुकाबला

2008 से पहले तक सामान्य रही डबरा विधानसभा सीट परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी. बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे आपस में समथी-समथन है. तो दूसरी अहम बात यह है कि दोनों प्रत्याशी यहां दल बदल कर मैदान में उतरे हैं. इमरती देवी पहले कांग्रेस में थी लेकिन सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गयी. तो वही सुरेश राजे पहले बीजेपी में थे लेकिन अब कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव मैदान में हैं. लिहाजा यहां मुकाबला और दिलचस्प होता दिख रहा है.

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आरक्षित है डबरा विधानसभा सीट

डबरा विधानसभा सीट गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है. आरक्षित होने से पहले इस सीट से वे तीन बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि आरक्षित होने के बाद इमरती देवी ने इस सीट को कांग्रेसमय कर दिया था. 2008 से अब तक इस सीट पर हुए तीन चुनावों में से तीनों बार कांग्रेस को जीत मिली. जबकि बीजेपी और अन्य दलों का खाता भी नहीं खुला.

डबरा सीट आरक्षित होने के बाद तीन चुनाव हुए हैं
डबरा सीट आरक्षित होने के बाद तीन चुनाव हुए हैं

डबरा के जातिगत समीकरण

डबरा विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो यहां एससी-एसटी वर्ग प्रभावी भूमिका में नजर आता है, तो ब्राह्मण वैश्य और कुशवाहा यहां के चुनावों में अहम भूमिका निभाता है. जबकि अन्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या भी भले ही छोटी-छोटी है. लेकिन उनके वोट भी अहम माने जाते हैं. जिससे डबरा पर सबकी निगाहें टिकी रहती है.

डबरा के जातिगत समीकरण
डबरा के जातिगत समीकरण

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

डबरा के मतदाता

वही बात अगर डबरा विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 1लाख 49हजार 696 है. जिनमें 81 हजार 204 पुरुष मतदाता, तो 68 हजार 492 महिला मतदाता शामिल है. जो उपचुनाव में वोटिंग कर अपने नए विधायक का चयन करेंगे.

डबरा के मतदाता
डबरा के मतदाता

जीत के प्रति आश्वास्त इमरती देवी

डबरा के चुनावी समर में दोनों प्रत्याशी ताबड़तोड़ प्रचार में जुटे हैं. बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी कहती है कि जनता उन्हें उनके कामों पर एक बार फिर आशीर्वाद देगी. दो बार विपक्ष में बैठने के बाद जब वे मंत्री बनी तो क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य कराना चाहती थी. लेकिन कमलनाथ सरकार ने डबरा के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया लगातार उपेक्षा की गयी. जिससे वे सिंधिया के साथ बीजेपी में गयी. इस बार भी जनता उन्हें फिर से आशीर्वाद देगी.

इमरती देवी, बीजेपी प्रत्याशी
इमरती देवी, बीजेपी प्रत्याशी

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर विधानसभा सीटः चेहरा वही निशान नया, दांव पर है सिंधिया के सच्चे सिपाही की साख

डबरा में विकास कराना पहली प्राथमिकता

कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे बीजेपी पर धोखा करने का आरोप लगाते हुए विकास की बात कर रहे हैं. वे कहते है कि डबरा में किसानों की कर्जमाफी, बिजली के बिल के साथ अन्य विकास के जो काम होने है. यह उनकी पहली प्राथमिकता है. इसलिए डबरा के विकास के लिए जनता इस बार उन्हें मौका देगी.

सुरेश राजे, कांग्रेस प्रत्याशी
सुरेश राजे, कांग्रेस प्रत्याशी

राजनीतिक जानकारों की राय

डबरा विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार देवश्री माली कहते हैं कि आरक्षित होने के बाद डबरा कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट रही है. यहां कांग्रेस का दबदबा माना जाता है. ऐसे में इस बार भी यहां कड़ा मुकाबला होता दिख रहा है. क्योंकि आरक्षित होने के बाद कभी भी डबरा सीट पर कांग्रेस को हार नहीं मिली है. सीधा कहा जाए तो यह सीट कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट ही मानी जाती है. जिससे डबरा में तो नतीजों का ही इंतजार करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः मेहगांव विधानसभाः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी के ओपीएस के सामने कांग्रेस के हेमंत कटारे

चौथी बार चुनाव मैदान में इमरती देवी

डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी 2008 से कांग्रेस के टिकिट पर इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीतती आ रही है. जहां हर चुनाव में उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ता गया. 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के कप्तान सिंह को 57 हजार 446 हराया और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनी. लेकिन बाद में वे विधायकी से इस्तीफा देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गयी और शिवराज सरकार में भी मंत्री बनायी गयी. लिहाजा मंत्री पद पर रहते हुए इमरती देवी चौथी बार चुनाव लड़ रही हैं.

खास बात यह है कि डबरा विधानसभा सीट पर से नरोत्तम मिश्रा विधायक रह चुके हैं. लिहाजा यहां बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी उन्ही के कंधों पर है. तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज भी डबरा में इमरती देवी के पक्ष में लगातार प्रचार कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के पक्ष में कमलनाथ की टीम जुटी हुई है. कमलनाथ भी यहां सभा कर चुके हैं. जबकि कमलनाथ के इमरती देवी पर दिए गए बयान के बाद तो यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है. लिहाजा यहां मुकाबला बेहद कड़ा होता नजर आ रहा है. जहां किस्मत किसकी चमकेगी. यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा.

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