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आर्य समाज स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत ही कराएं शादी वर्ना मानी जाएगी अवैध -हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आर्य समाज को शादी कराने के मामले में आदेश देते हुए कहा है कि कि स्पेशल मैरिज एक्ट की 1954 की धारा 5,6,7,8 के तहत ही अब मैरिज हो सकेंगी अन्यथा शादी अवैध मानी जाएगी.

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Published : Dec 15, 2020, 9:15 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 9:55 PM IST

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ

ग्वालियर: आर्य समाज और इससे जुड़ी संस्थाओं में होने वाली शादियों पर अब संकट के बादल छा गए हैं. मूल संस्कार आर्य समाज वैदिक संस्था की उन पांच दर्जन शादियों पर भी अवैध होने का खतरा है, जो यहां पिछले दो माह में हुई हैं. दरअसल, पिछले दिनों एक अंतरजातीय विवाह को लेकर कोर्ट में हुरावली स्थित मूल संस्कार आर्य समाज वैदिक संस्था का विवाह प्रमाण पत्र पेश किया गया था. प्रेमी जोड़े ने कहा था कि वह शादीशुदा हैं और उन्होंने आर्य समाज में शादी की है, उन्हें अपने अभिभावकों से जान का खतरा है.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ
आर्य समाज ने उक्त संस्था से अपने किसी भी तरह के संबंध होने से इंकार कर दिया. आर्य समाज ने कहा कि वहां आर्य समाज के नियम 1937 के मुताबिक शादी में संपन्न कराते हैं. इस पर कोर्ट ने आर्य समाज को डायरेक्शन दिए हैं कि स्पेशल मैरिज एक्ट की 1954 की धारा 5,6,7,8 के तहत ही अब मैरिज हो सकेंगी अन्यथा और समाज की शादियों को अवैध माना जाएगा. इसमें प्रावधान है कि शादी करने के वाले जोड़े को आर्य समाज में आवेदन के लिए कम से कम एक माह पहले आवेदन देना होगा.आर्य समाज को दोनों के अभिभावकों को सूचना भेजना होगी और अखबार में भी विज्ञप्ति निकालने होगी. अन्यथा शादी को वैध नहीं माना जाएगा, फिलहाल इस प्रेमी जोड़े की शादी को अवैध करार दिया गया है और कोर्ट ने मूल संस्कार वैदिक आर्य समाज वैदिक संस्था द्वारा कराई गई शादियों को अवैध करार दिया है. इस संस्था के क्रियाकलापों की जांच में भी आदेश कोर्ट द्वारा दिए गए हैं.

ग्वालियर: आर्य समाज और इससे जुड़ी संस्थाओं में होने वाली शादियों पर अब संकट के बादल छा गए हैं. मूल संस्कार आर्य समाज वैदिक संस्था की उन पांच दर्जन शादियों पर भी अवैध होने का खतरा है, जो यहां पिछले दो माह में हुई हैं. दरअसल, पिछले दिनों एक अंतरजातीय विवाह को लेकर कोर्ट में हुरावली स्थित मूल संस्कार आर्य समाज वैदिक संस्था का विवाह प्रमाण पत्र पेश किया गया था. प्रेमी जोड़े ने कहा था कि वह शादीशुदा हैं और उन्होंने आर्य समाज में शादी की है, उन्हें अपने अभिभावकों से जान का खतरा है.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ
आर्य समाज ने उक्त संस्था से अपने किसी भी तरह के संबंध होने से इंकार कर दिया. आर्य समाज ने कहा कि वहां आर्य समाज के नियम 1937 के मुताबिक शादी में संपन्न कराते हैं. इस पर कोर्ट ने आर्य समाज को डायरेक्शन दिए हैं कि स्पेशल मैरिज एक्ट की 1954 की धारा 5,6,7,8 के तहत ही अब मैरिज हो सकेंगी अन्यथा और समाज की शादियों को अवैध माना जाएगा. इसमें प्रावधान है कि शादी करने के वाले जोड़े को आर्य समाज में आवेदन के लिए कम से कम एक माह पहले आवेदन देना होगा.आर्य समाज को दोनों के अभिभावकों को सूचना भेजना होगी और अखबार में भी विज्ञप्ति निकालने होगी. अन्यथा शादी को वैध नहीं माना जाएगा, फिलहाल इस प्रेमी जोड़े की शादी को अवैध करार दिया गया है और कोर्ट ने मूल संस्कार वैदिक आर्य समाज वैदिक संस्था द्वारा कराई गई शादियों को अवैध करार दिया है. इस संस्था के क्रियाकलापों की जांच में भी आदेश कोर्ट द्वारा दिए गए हैं.
Last Updated : Dec 15, 2020, 9:55 PM IST
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