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ग्वालियर में तैयार होता है देश का राष्ट्रध्वज, देशभर में फहराया जाता है यहां से बना तिरंगा - देश का राष्ट्रध्वज

26 जनवरी, गणतंत्र दिवस, इसी दिन से हमारा संविधान देश में लागू हुआ. इस बार हम 71वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं. जहां देश के गांव-हांव शहर-शहर, के साथ स्कूल से लेकर सरकारी और निजी संस्थानों के साथ देश-दुनिया में अपना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहराया जाएगा.

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ग्वालियर में तैयार होता है देश का राष्ट्रध्वज
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Published : Jan 25, 2020, 3:55 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 5:28 PM IST

ग्वालियर। भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद ही ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम और रोशन किए हुए हैं. राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है आपको जानकारी पाकर गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराया तिरंगा झंडा ग्वालियर में तैयार होता है.

ग्वालियर में तैयार होता है देश का राष्ट्रध्वज

ग्वालियर में बनने वाले इन तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा और प्रदेश का पहला मध्य भारत खादी संघ बना रहा है. खादी केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगते हैं। इन दोनों यूनिटों में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं.

इसमें बड़े राष्ट्रीय ध्वज साल भर में 75 से 80 अलग-अलग राज्यों के लिए भेजे जाते हैं. इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं और अभी तक 70 से 75 लाख तक के झंडे सप्लाई कर चुके हैं. खादी के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला था. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है.

खास बात यह है कि इस तरह के झंडे मुंबई और कर्नाटक के हुबली के अलावा केवल ग्वालियर में ही बनते हैं. जिनमें ग्वालियर के तिरंगों की टेस्टिंग के मामले में ग्वालियर का मप्र खादी संघ देश में सबसे अव्वल आता है. 26 जनवरी को भी देशभर में ग्वालियर में बना तिरंगा शान से लहराया गया.

ग्वालियर। भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद ही ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम और रोशन किए हुए हैं. राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है आपको जानकारी पाकर गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराया तिरंगा झंडा ग्वालियर में तैयार होता है.

ग्वालियर में तैयार होता है देश का राष्ट्रध्वज

ग्वालियर में बनने वाले इन तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा और प्रदेश का पहला मध्य भारत खादी संघ बना रहा है. खादी केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगते हैं। इन दोनों यूनिटों में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं.

इसमें बड़े राष्ट्रीय ध्वज साल भर में 75 से 80 अलग-अलग राज्यों के लिए भेजे जाते हैं. इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं और अभी तक 70 से 75 लाख तक के झंडे सप्लाई कर चुके हैं. खादी के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला था. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है.

खास बात यह है कि इस तरह के झंडे मुंबई और कर्नाटक के हुबली के अलावा केवल ग्वालियर में ही बनते हैं. जिनमें ग्वालियर के तिरंगों की टेस्टिंग के मामले में ग्वालियर का मप्र खादी संघ देश में सबसे अव्वल आता है. 26 जनवरी को भी देशभर में ग्वालियर में बना तिरंगा शान से लहराया गया.

Intro:ग्वालियर- यूं तो भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद ही ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम और रोशन किए हुए हैं राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है आपको जानकारियां पाकर गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराया तिरंगा झंडा हमारे शहर में तैयार होता है इन तिरंगे को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा प्रदेश का पहला मध्य भारत संघ बना रहा है। खास बात यह है कि देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है और हमारी ग्वालियर का जिक्र सभी के जुबान पर होता है।




Body:केंद्र में जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है आईएसआई तिरंगे झंडे देश में हुगली, मुंबई और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं। आदि केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगते है। इन दोनों यूनिटों में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं। यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा बिहार,राजस्थान ,उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,गुजरात सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों में पहुंचाए जाते हैं। हमारे लिए गौरब की बात तो यह है कि देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे की शान बढ़ाते हैं।




Conclusion:साथ ही उनका कहना है कि यहां जो तरंगे तैयार किए जाते हैं उसका धागा भी हाथों से इसी केंद्र में तैयार किया जाता है वर्तमान में यहां तीन कैटेगरी में तरंगे तैयार किए जा रहे हैं मैनेजर के अनुसार अभी 2 बाई 3 और 6 बाई 4 तक के झंडे बनाई जा रही है। इसमें बड़े राष्ट्रीय ध्वज साल भर में 75 से 80 अलग-अलग राज्यों के लिए भेजे जाते हैं । और इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं। और अभी तक 70 से 75 लाख तक की झंडे सप्लाई कर चुके हैं। खादी के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है। उनका मानना है किसी भी खादी संघ के लिए तरंगे तैयार करना बड़ी मुश्किल का काम होता है। क्योंकि सरकार की अपनी गाइडलाइन है उसी के अनुसार तिरंगे तैयार करने होते हैं।

बाईट- नीलू ,मैनेजर, ध्वजा निर्माता इकाई
Last Updated : Jan 25, 2020, 5:28 PM IST
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