ग्वालियर। भारत की आजादी में ग्वालियर का प्रमुख योगदान रहा है. आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद ही ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम और रोशन किए हुए हैं. राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की प्रमुख पहचान होती है आपको जानकारी पाकर गर्व होगा कि देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराया तिरंगा झंडा ग्वालियर में तैयार होता है.
ग्वालियर में बनने वाले इन तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का तीसरा और प्रदेश का पहला मध्य भारत खादी संघ बना रहा है. खादी केंद्र की मैनेजर का कहना है कि किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगते हैं। इन दोनों यूनिटों में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं.
इसमें बड़े राष्ट्रीय ध्वज साल भर में 75 से 80 अलग-अलग राज्यों के लिए भेजे जाते हैं. इस केंद्र में एक साल में लगभग 10 से 12 हजार खादी के झंडे तैयार किए जाते हैं और अभी तक 70 से 75 लाख तक के झंडे सप्लाई कर चुके हैं. खादी के पदाधिकारी बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी साल 1956 में मध्य भारत खाद्य संघ को आयोग का दर्जा मिला था. इस संस्था से मध्य भारत की कई प्रमुख राजनितिक हस्तियां भी जुड़ी रही है.
खास बात यह है कि इस तरह के झंडे मुंबई और कर्नाटक के हुबली के अलावा केवल ग्वालियर में ही बनते हैं. जिनमें ग्वालियर के तिरंगों की टेस्टिंग के मामले में ग्वालियर का मप्र खादी संघ देश में सबसे अव्वल आता है. 26 जनवरी को भी देशभर में ग्वालियर में बना तिरंगा शान से लहराया गया.