मुरैना/ग्वालियर। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बार फिर दमदार तरीके से सियासी संदेश दिया है कि वे मध्य प्रदेश में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा बनने आए हैं. वे ग्वालियर चंबल तक ही सीमित रहना नहीं चाहते. उनकी नजर और बड़ी जिम्मेदारी पर है. रोड शो (Jyotiraditya Scindia Road Show) में उमड़ी जनता ने ये तो बता ही दिया है कि वे यहां सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं. बीजेपी के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी से भी ये लगता है कि बीजेपी आलाकमान भी सिंधिया पर बड़ा दांव खेलने के मूड में है.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: सिंधिया का जलवा
एक केन्द्रीय मंत्री दिल्ली से अपने गृहक्षेत्र में आता है. उसके स्वागत के लिए एक और कैबिनेट मंत्री, राज्य के 6 मंत्री और दर्जनों पदाधिकारी स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए इंतजार कर रहे हैं पूरी सरकारी मशीनरी एक पैर पर खड़ी है. इससे पता चलता है कि 'महाराज' आ रहे हैं. जी हां, सिंधिया राज घराने की सियासत के ताजा वारिस और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्यप्रदेश में रुतबा ऐसा ही है. खासतौर पर ग्वालियर चंबल अंचल में 'श्रीमंत' का जलवा देखने लायक है.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: रोड शो तो बहाना था, अंचल में दबदबा दिखाना था
कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के रोड शो (Jyotiraditya Scindia Road Show) की जैसी कल्पना लोगों ने की थी, रोड शो का चमक उससे भी ज्यादा दिखी. 'श्रीमंत' (Jyotiraditya Scindia) दिल्ली से हवाई जहाज से इंदौर पहुंचे. फिर वहां से सड़क मार्ग से मुरैना आए. यहां राजघाट पर उनके स्वागत के लिए पूरा नेशनल हाईवे होर्डिंग्स और बैनरों से अट गया. 60 किलोमीटर के सफर में सिंधिया का करीब 500 जगह स्वागत हुआ. सिंधिया के लिए लोगों में कितना क्रेज दिखा, इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि चंबल राजघाट पुल से लेकर मुरैना के टोल टैक्स तक लगभग 25 किलोमीटर का सफर तय करने में सिंधिया के काफिले को ढाई घंटे लग गए. सिंधिया के काफिले में करीब 1000 से ज्यादा गाड़ियां थीं. प्रशासन भी एक पैर पर खड़ा था. राजघाट पर चंबल नदी के पुल पर और मुरैना में फ्लाईओवर पर सभी वाहनों को रोक दिया गया. सिंधिया के काफिले के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग को पूरी तरह खाली कर दिया गया. इस कारण लगभग 3 घंटे से ज्यादा समय तक लोग जाम में फंसे रहे.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: सिंधिया के सामने कोई नहीं
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद वे अनेक कार्यक्रमों में ग्वालियर चंबल अंचल(Gwalior Chambal Region) आए हैं. लेकिन तब सिर्फ उनके समर्थक और भारतीय जनता पार्टी के कुछ पदाधिकारी ही उनके साथ नजर आते थे. मोदी कैबिनेट में भारी भरकम उड्डयन मंत्रालय मिलने के बाद उनका कद भी पहले से काफी बढ़ गया है. कैबिनेट मंत्री बनने के बाद वे पहली बार अंचल में अपना दमखम दिखाने आए . इस बार नजारा भी बदला हुआ था. इस बार उनके स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Central Minister Narendra Singh Tomar) से लेकर मध्य प्रदेश सरकार के 6 मंत्री इंतजार कर रहे थे. ऐसा दिख रहा था कि ग्वालियर चंबल अंचल में अब बीजेपी में कोई गुटबाजी नहीं. खुद कैबिनेट मंत्री और इसी रीजन से सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर खुद उनका वेल्कम करने पहुंचे थे.सियासी गलियारों में नरेन्द्र सिंह तोमर और सिंधिया को एक दूसरे का प्रतियोगी माना जाता है. दोनों इस अंचल में अपना दबदबा रखना चाहते हैं. खैर आज कहीं वर्चस्व की जंग नही दिखाई दी. सबकुछ सिंधिया की प्लेट में सजाकर रख दिया गया.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: 'पूरी जिंदगी हाथ में कमल का फूल थामे रहूंगा'
स्वागत सत्कार से अभिभूत सिंधिया ने भी बीजेपी की शान में कसीदे गढ़े. उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्र के विकास के लिए लगातार डबल इंजन की सरकार के माध्यम से काम करूंगा. मैं पूरे जीवन हाथ में कमल का फूल लेकर भाजपा के माध्यम से जनता की सेवा करता रहूंगा. केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के साथ मिलकर मैं प्रदेश के विकास के लिए काम करूंगा.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: यहां तो सिंधिया का ही सिक्का चलेगा
ग्वालियर-चंबल से BJP के कई कद्दावर नेता आते हैं. इनमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Central Minister Narendra Singh Tomar), प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma )और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) हैं. लेकिन चंबल के इलाके में 'महाराज' के बराबर इनकी ऊंचाई नहीं है. इसकी झलक तब दिखाई दी जब ग्वालियर-चंबल के इलाके में सिंधिया के हिसाब से जिलों के प्रभारी मंत्री बनाए गए. मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट के विस्तार के बाद से कांग्रेस छोड़कर BJP में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का अच्छा खासा दबदबा है. शिवराज मंत्रिमंडल में 28 मंत्रियों में सिंधिया खेमे के 9 विधायक शामिल हैं. फिर मोदी कैबिनेट (Narendra Modi Cabinet )में नागरिक उड्डयन जैसे बड़ा मंत्रालय मिलने से 'श्रीमंत' का कद और भी बढ़ गया. साथ ही बढ़ गई सिंधिया की महत्वाकांक्षा.
रोड शो के जरिए सिंधिया ने ये बताने की कोशिश की है, कि ग्वालियर-चंबल में तो उन्हीं की चलेगी. यहां उनको चुनौती देने वाला अब कोई नहीं दिखता. ना बीजेपी में और न ही कांग्रेस में. आज जिस तरह कभी उनको चुनौती देने वाले नरेन्द्र सिंह तोमर उनके स्वागत में व्यस्त दिखे, उससे लगता है कि आलाकमान से कोई संदेश आया है कि अभी सिंधिया का समय है.सिंधिया के साथ चलने में ही सबकी भलाई है.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: नरेंद्र सिंह तोमर बनाम ज्योतिरादित्य सिंधिया
नरेंद्र सिंह तोमर (Central Minister Narendra Singh Tomar) राज्य से ज्यादा केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ सबसे खास करीबियों में गिना जाता है. यही वजह है कि जब नरेंद्र मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो उसमें कई बड़े नेताओं के मंत्रालय चले गए, लेकिन नरेंद्र सिंह तोमर अपने मंत्री पद पर बरकरार रहें. जबकि कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश भर में आंदोलन हुए, यहां तक कि दिल्ली में अभी भी आंदोलनकारी जमे हुए हैं. नरेंद्र सिंह तोमर जिस क्षेत्र से राजनीति करते हैं वही राजनीतिक क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का भी है और ज्योतिरादित्य सिंधिया जितनी तेजी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के बड़े नेताओं के करीब आते जा रहे हैं इसे देखकर नरेंद्र सिंह तोमर के मन में भविष्य के लिए डर जरूर बैठ रहा होगा.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: तोमर की जड़े कैसे काट रहे हैं सिंधिया
राजनाति के जानकार कहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र सिंह तोमर की जड़ कितनी तेजी से काट रहे हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसी साल जनवरी में जब नरेंद्र सिंह तोमर के निर्वाचन क्षेत्र मुरैना में 26 लोग जहरीली शराब पीकर मर गए थे तब न सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया नरेंद्र सिंह तोमर के निर्वाचन क्षेत्र के दौरे पर गए बल्कि पीड़ितों को पचास-पचास हजार रुपए की मुआवजा राशि भी दी.
Scindia In Gwalior Chambal Politics: ग्वालियर-चंबल में ही रुकने वाले नहीं हैं सिंधिया
जानकार मानते हैं कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से सीधा संवाद होने की वजह से सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की पकड़ अब ग्वालियर-चंबल के साथ-साथ प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी काफी मजबूत हो गई है. बीजेपी के 15 साल के लंबे कार्यकाल की वजह से जनता के बीच बीजेपी नेताओं का क्रेज कम हो गया था. जनता के बीच लाने के लिए बीजेपी के पास कोई नया चेहरा भी नहीं था.
सिंधिया के रूप मे बीजेपी को एक तरोताजा और साफ छवि वाला युवा नेता मिल गया है, जिसके सहारे बीजेपी अपने भविष्य की सियासत को मजबूत करेगी. पिछले कुछ समय से हो रही राजनैतिक हलचल से तो कुछ ऐसा ही लग रहा है. सिंधिया बीजेपी में आए हैं, तब से अंचल मे किसी दूसरे बीजेपी नेता का कोई खास रसूख नजर नहीं आ रहा है.