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जीडीए की जमीन को अपना बता रहे दो लोगों पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार का जुर्माना - gwalior

ग्वालियर विकास प्राधिकरण की जमीन को फर्जी तरीके से अपनी बता रहे दो लोगों को ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच ने फ्रॉड करार देते हुए 25000 रुपए का जुर्माना लगाया है.

जीडीए के हित में कोर्ट ने सुनाया फैसला
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Published : Sep 17, 2019, 11:42 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच विकास प्राधिकरण बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी जमीन पर दावा करने वाले दो लोगों पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जमीन के दावेदारों ने दस्तावेजों में हेराफेरी करके जमीन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की थी. जबकि जमीन ग्वालियर विकास प्राधिकरण की थी.

जीडीए के हित में कोर्ट ने सुनाया फैसला

जयारोग्य अस्पताल परिसर में हॉस्पिटल रोड से लगी करीब 35 हजार वर्ग फुट जमीन पर अपना हक जताते हुए लक्ष्मी सिंह और स्वदेश कुकरेजा नाम के दो लोगों ने हाईकोर्ट से अपने पक्ष में डिक्री करा ली थी. उनका कहना था कि यह जमीन 1940 से गोधना नाम के किसान की है, जिससे उन्होंने 1988 में यह जमीन खरीदकर किसी तरह नामांतरण तहसीलदार से मिलकर अपने पक्ष में करा लिया था.

जबकि तहसीलदार के नामांतरण आदेश को तत्कालीन कलेक्टर ने 1992 में ही खारिज कर दिया था और जमीन को टाउन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की बताया था. कलेक्टर के आदेश के खिलाफ लक्ष्मी सिंह और स्वदेश हाईकोर्ट गए और तथ्यों को छुपा कर किसी तरह डिक्री अपने हक में करा ली, इसके खिलाफ ग्वालियर विकास प्राधिकरण में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

सुप्रीम कोर्ट की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट को आदेश दिया कि जीडीए का पक्ष सुनने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए, जीडीए ने अपने पक्ष में कई दस्तावेज पेश किए, वहीं लक्ष्मी सिंह और स्वदेश को जमीन खरीदने और उसके दावेदार होने संबंधी कोई ठोस दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर सके. हाईकोर्ट ने माना कि इन कथित दावेदारों ने कागजातों में हेराफेरी करके जमीन को हड़पने की कोशिश की. इसी आधार पर उन पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया गया है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच विकास प्राधिकरण बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी जमीन पर दावा करने वाले दो लोगों पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जमीन के दावेदारों ने दस्तावेजों में हेराफेरी करके जमीन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की थी. जबकि जमीन ग्वालियर विकास प्राधिकरण की थी.

जीडीए के हित में कोर्ट ने सुनाया फैसला

जयारोग्य अस्पताल परिसर में हॉस्पिटल रोड से लगी करीब 35 हजार वर्ग फुट जमीन पर अपना हक जताते हुए लक्ष्मी सिंह और स्वदेश कुकरेजा नाम के दो लोगों ने हाईकोर्ट से अपने पक्ष में डिक्री करा ली थी. उनका कहना था कि यह जमीन 1940 से गोधना नाम के किसान की है, जिससे उन्होंने 1988 में यह जमीन खरीदकर किसी तरह नामांतरण तहसीलदार से मिलकर अपने पक्ष में करा लिया था.

जबकि तहसीलदार के नामांतरण आदेश को तत्कालीन कलेक्टर ने 1992 में ही खारिज कर दिया था और जमीन को टाउन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की बताया था. कलेक्टर के आदेश के खिलाफ लक्ष्मी सिंह और स्वदेश हाईकोर्ट गए और तथ्यों को छुपा कर किसी तरह डिक्री अपने हक में करा ली, इसके खिलाफ ग्वालियर विकास प्राधिकरण में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

सुप्रीम कोर्ट की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट को आदेश दिया कि जीडीए का पक्ष सुनने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए, जीडीए ने अपने पक्ष में कई दस्तावेज पेश किए, वहीं लक्ष्मी सिंह और स्वदेश को जमीन खरीदने और उसके दावेदार होने संबंधी कोई ठोस दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर सके. हाईकोर्ट ने माना कि इन कथित दावेदारों ने कागजातों में हेराफेरी करके जमीन को हड़पने की कोशिश की. इसी आधार पर उन पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया गया है.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच विकास प्राधिकरण बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी जमीन पर दावा करने वाले 2 लोगों पर 25000 रुपए का जुर्माना लगाया है हाईकोर्ट ने कहा है जमीन के दावेदारों ने दस्तावेजों में हेराफेरी करके जमीन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की थी जबकि जमीन ग्वालियर विकास प्राधिकरण की थी खास बात यह है जयारोग्य अस्पताल परिसर की बेशकीमती जमीन की कीमत वर्तमान में करोड़ों रुपए है।


Body:दरअसल जयारोग्य अस्पताल परिसर में हॉस्पिटल रोड से लगी करीब 35000 वर्ग फुट जमीन पर अपना हक जताते हुए लक्ष्मी सिंह और स्वदेश कुकरेजा नामक दो लोगों ने हाईकोर्ट से अपने पक्ष में डिक्री करा ली थी उनका कहना था कि यह जमीन 1940 से गोधना नामक किसान की है जिससे उन्होंने 1988 में यह जमीन खरीद ली थी और किसी तरह नामांतरण तहसीलदार से मिलकर अपने पक्ष में करा लिया था जबकि तहसीलदार के नामांतरण आदेश को तत्कालीन कलेक्टर ने 1992 में ही खारिज कर दिया था और जमीन को टाउन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की बताया था कलेक्टर के आदेश के खिलाफ लक्ष्मी सिंह और स्वदेश को करेगा हाई कोर्ट गए और तथ्यों को छुपा कर किसी तरह बिक्री अपने हक में करा ली इसके खिलाफ ग्वालियर विकास प्राधिकरण में सुप्रीम कोर्ट में अपील की।


Conclusion:सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट को आदेश दिया कि जीडीए का पक्ष सुनने के बाद भी कोई निर्णय लिया जाए जीडीए ने अपने पक्ष में कई दस्तावेज पेश किए लेकिन लक्ष्मी सिंह और स्वदेश को करेगा जमीन खरीदने अथवा उसके दावेदार होने संबंधी कोई दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर सके । हाईकोर्ट ने माना कि इन कथित दावेदारों ने कागजातों में हेराफेरी करके जमीन को हड़पने की कोशिश की । इसी आधार पर उन पर 25000 रुपए का हर्जाना लगाया गया है।
बाइट राघवेंद्र दीक्षित जीडीए के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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