नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताने के लिए कांग्रेस पार्टी में 3 जनवरी, 2025 तक कोई बड़ी बैठक या कार्यक्रम नहीं होगा. हालांकि एनडीए के खिलाफ साल भर चलने वाले विरोध प्रदर्शन की योजना 4 जनवरी के बाद ही शुरू होगी.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, केंद्र की नीतियों के खिलाफ 26 जनवरी 2025 से 26 जनवरी 2026 तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इस दौरान कांग्रेस 2022 उदयपुर घोषणापत्र के अनुसार अपने संगठन में भी बदलाव करेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि उदयपुर घोषणापत्र में तय सात बिंदुओं में से चार को कांग्रेस ने लागू कर दिया है और शेष तीन को 2025 में लागू किया जाएगा. जहां तक देशव्यापी विरोध का सवाल है, तो आंदोलन को 2022 में राहुल गांधी द्वारा की गई भारत जोड़ो यात्रा और 2023 में भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर फिर से तैयार करना होगा ताकि कांग्रेस को 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में मोदी सरकार से मुकाबला करने के लिए तैयार किया जा सके.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस को अपने विरोध प्रदर्शन को व्यापक बनाने के लिए गांवों में जाने की जरूरत है तथा संगठन को मजबूत करने के लिए नए चेहरों को मौका देने की जरूरत है. एआईसीसी पदाधिकारी बीएम संदीप ने ईटीवी भारत को बताया कि जैसा कि घोषणा की गई है, शोक अवधि 3 जनवरी, 2025 तक होगी. इसलिए, आगामी योजनाओं पर कोई भी आगे की कार्रवाई 4 जनवरी के बाद ही होगी. उन्होंने कहा कि लेकिन यह तय है कि कांग्रेस अगले साल एनडीए का मुकाबला करने के लिए सड़कों पर रहेगी.
उन्होंने कहा, "संगठन सर्वोच्च प्राथमिकता होगी. एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए, एक मजबूत संगठन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चुनाव जीतने में मदद करता है जो पार्टी को सत्ता में लाता है और नेतृत्व को अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने की अनुमति देता है." पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले एक दशक में संगठनात्मक बदलाव किए गए थे, लेकिन अब नए चेहरों को मौका देने की जरूरत है. एक दशक तक एआईसीसी सचिव रहे और विभिन्न राज्यों में काम कर चुके संदीप ने कहा, "जिन लोगों को संगठन में काम करने का मौका मिला, उनका मूल्यांकन किया जा सकता है, लेकिन पार्टी में ऐसे काबिल लोग भी हैं, जिन्हें संगठन की सेवा करने का कभी मौका नहीं मिला. ऐसे लोगों को ढूंढना मुश्किल नहीं है."
राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का व्यापक विचार 26 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की महत्वपूर्ण विस्तारित बैठक के दौरान तय किया गया था, जहां 100 साल पहले इसी दिन महात्मा गांधी पार्टी अध्यक्ष बने थे. हालांकि, 27 दिसंबर को उसी स्थान पर ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ महारैली के माध्यम से पार्टी के संकल्प की अभिव्यक्ति को 26 दिसंबर की रात को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. सिंह के निधन के कारण रद्द करना पड़ा था.
मध्य प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव चंदन यादव ने कहा कि रैली का नारा बहुत सावधानी से चुना गया था ताकि महात्मा गांधी, डॉ. बीआर अंबेडकर, जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया था, जिससे उनके आदर्शों के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता और आज संवैधानिक मूल्यों और संस्थानों की रक्षा करने की आवश्यकता को दोहराया जा सके.
उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता और नेता ऊपर से नीचे तक गांव-गांव जाकर पार्टी का संदेश लोगों तक पहुंचाएंगे. भारत जोड़ो यात्रा पार्टी का अब तक का सबसे बड़ा जनसंपर्क कार्यक्रम था और इसे लोगों से भारी प्रतिक्रिया मिली. इसलिए नए साल में भी प्रयास उतने ही मजबूत होने चाहिए. कांग्रेस सत्ता की लालसा नहीं रखती, बल्कि सत्ता में हो या न हो, वह जनता के लिए काम करती है. आज लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है.
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