ग्वालियर (Gwalior News)। फर्जी फाइलों के जरिए भुगतान कराने के आरोप में नगर निगम के पूर्व कमिश्नर विवेक सिंह के खिलाफ जिला न्यायालय में सुनवाई पूरी हो चुकी है. मामले में कुल 10 आरोपी हैं, जिनमें तीन ठेकेदार शामिल हैं, बाकी सभी आरोपी नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी हैं. 2004 में हुए घोटाले में फर्जी फाइलें सिर्फ भुगतान के मकसद से तैयार की गईं थी (Payment Through Fake Files Case). जिनका भौतिक रूप से कोई अस्तित्व नहीं था.
कुल 1800 से ज्यादा फाइलों में से 1600 फाइलें लोकायुक्त पुलिस ने वापस लौटा दी थी. जबकि सिर्फ 69 फायलों की ही जांच की थी. इनमें 10 मामले अलग-अलग लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए. सुनवाई पूरी होने के बाद अब अगले हफ्ते पूर्व निगम कमिश्नर सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ फैसला सुनाया जाएगा.
आरोपियों ने HC में दी थी चुनौती
आरोपियों ने लोकायुक्त की जांच को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने याचिकाओं का निराकरण करते हुए निर्देश दिया कि सत्र न्यायालय में जल्द सुनवाई पूरी की जाएं. वहां निर्णय के बाद उच्च न्यायालय में सुनवाई की जाएगी. जिन पार्षदों के लेटर पेड पर प्रस्ताव तैयार किए थे, उन्होंने सुनवाई के दौरान प्रस्ताव भेजना अस्वीकार कर दिया था. जांच अधिकारी की गवाही पूरी होने के बाद बचाव पक्ष को सुना गया. आरोपियों की ओर से अपने बचाव में तर्क दिए गए. विगत मंगलवार 23 नवंबर को इस मामले में बहस पूरी हो गई.
MSP पर हो बाजरे की खरीदी, पीसीसी चीफ कमलनाथ ने CM शिवराज को लिखा पत्र
अगले हफ्ते तक आ सकता है फैसला
विशेष लोक अभियोजक अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि यह मामला प्रमाणित है और स्वच्छ साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं. मंगलवार को अंतिम बहस के दौरान तत्कालीन नगर निगम आयुक्त विवेक सिंह (Former Corporation Commissioner Gwalior) ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनको IAS अवॉर्ड होने वाला था, इसलिए इस मामले में फंसाया गया है. जबकि इस मामले से उनका कोई भी सीधा लेना देना नहीं है. माना जा रहा है कि 29 नवंबर को मामले की सुनवाई के बाद निर्णय जारी किया जाएगा.