ग्वालियर। अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. लेकिन उनका बचपन ग्वालियर के कमल सिंह के बाग में गुजरा था. उन्होंने प्राथमिक और स्नातक की शिक्षा भी ग्वालियर से हासिल की थी. राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भी ग्वालियर से हुई थी. इसलिए ग्वालियर से जुड़ी यादें और उनकी कार्यशैली को लोग आज भी याद करते हैं. ग्वालियर से उनका खास नाता रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, पूरे देश भर में इकलौते प्रधानमंत्री के रूप में उनकी आज भी पूजा की जाती है. यहां उनका मंदिर स्थापित है. सुबह शाम उनकी आरती उतारी जाती है. साथ ही ग्वालियर से जुड़ी कई ऐसी रोचक कहानियां हैं जो आज भी एहसास दिलाती हैं कि, अटल जी कहीं ना कहीं ग्वालियर की गलियों में ही घूम रहे हैं.
ग्वालियर से दिल्ली तक का सफर: ग्वालियर में उनका पैतृक घर कमल सिंह के बाग में स्थित है. इन्हीं गलियों से होकर उन्होंने राजनीति की शुरुआत की और उसके बाद वह ग्वालियर से दिल्ली तक के सफर को तय किया था. अब ग्वालियर स्थित अटल जी का घर एक लाइब्रेरी के रूप में तब्दील कर दिया गया है. अटल जी जब जिंदा थे तब उन्होंने अपने घर को लाइब्रेरी बनाने का निर्णय लिया था. आज उनका यह सपना पूरा हो गया है.Atal Bihari Vajpayee death anniversary
स्कूल रजिस्टर सुरक्षित: अटल बिहारी वाजपेई ने जिस स्कूल में पढ़ाई की थी उस स्कूल के छात्र और शिक्षक अपने आप में गर्व महसूस करते हैं. ग्वालियर स्थित गोरखी स्कूल का हर कमरा और मैदान अटल जी की यादों से संजोया गया है. 1935 -37 में जब अटल जी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेई इस स्कूल में शिक्षक थे. स्कूल प्रबंधक ने आज भी उस रजिस्टर को सुरक्षित रखा है जिसमें अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी.
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Today, on the Punya Tithi of respected Atal Ji, visited Sadaiv Atal and paid tributes to him. We remain inspired by Atal Ji’s efforts to serve India. He made pioneering efforts to transform India and prepare our nation for the challenges of the 21st century. pic.twitter.com/L3UyXfFnyf
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चाहने वालों का प्यार: पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन ग्वालियर वासियों ने उनकी यादों को संजोए रखा है. उन्हें हमेशा याद किया जाता है. अटल जी से लोग किस कदर प्यार करते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, चाहने वाले लोगों ने ग्वालियर में उनका मंदिर बनाया है. यहां रोज सुबह शाम उनकी आरती उतारी जाती है. अटल बिहारी वाजपेई देश के ऐसे इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिनकी पूजा की जाती है.Atal Bihari Vajpayee death anniversary