ETV Bharat / city

47 मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन! महीनों से दफ्तर नहीं पहुंचे आबकारी आयुक्त

author img

By

Published : Jan 18, 2021, 10:06 PM IST

Updated : Jan 18, 2021, 10:53 PM IST

ग्वालियर-चंबल अंचल के मुरैना में जहरीली शराब के कारण ने अब तक 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मामला देश भर में सुर्खियों में है लेकिन माफियाओं पर अंकुश लगाने का जिम्मा संभाले आबकारी आयुक्त बीते तीन माह से मुख्यालय नहीं पहुंचे. अब सवाल खड़ा होता है कि उन पर कार्रवाई क्यों नहीं ?

Poisonous liquor case
शराब कांड

ग्वालियर। मुरैना का जहरीली शराब कांड देशभर में सुर्खियां हुआ है. जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा 25 के पार पहुंच चुका है, तो वहीं अभी भी कई लोग जलील शराब के कारण ग्वालियर और मुरैना के अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है. लेकिन जिस आबकारी विभाग के मुखिया पर शराब माफियाओं पर अंकुश लगाने का जिम्मा था. वह अपने मुख्यालय ऑफिस पर बीते 3 महीने से नहीं पहुंचा. नतीजा यह हुआ कि प्रदेश में शराब माफिया बेखौफ होकर अवैध शराब के कारोबार में लग गए.

तीन माह से आबकारी आयुक्त कार्यलय से गैरहाजिर

असंवेदनशील आबकारी आयुक्त

अब सवाल इस बात का है कि विभाग के मुखिया को शराब तस्करी रोकने का काम है. वह मुखिया अपने 3 महीने से दफ्तर में ही नहीं बैठा है, इससे साफ जाहिर होता है की आबकारी आयुक्त अपने काम के प्रति कितने लापरवाह और असंवेदनशील है.

कैंप ऑफिस से चला रहा आबकारी विभाग

मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग का मुख्यालय दफ्तर ग्वालियर में है. बीते 2 नवंबर से विभाग के मुखिया यानी आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने यहां कदम नहीं रखा है. राजीव चंद्र दुबे आबकारी विभाग का दफ्तर भोपाल के कैंप ऑफिस संचालित कर रहे हैं. हालात यह हो गये है की अवैध शराब की छापेमारी की कार्रवाई कुछ पन्नों में सिमटी हुई है, जिस पर विपक्ष और सरकार आबकारी आयुक्त को निशाने पर ले रहे हैं.

डाक के जरिए हो रहा फाइलों का आवागमन

आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे की कार्रवाई पर सवाल इसलिए पैदा हो रहे हैं कि आबकारी आयुक्त का सीधा नियंत्रण शराब माफिया पर होना चाहिए, ताकि अवैध शराब के परिवहन निर्माण और उसकी बिक्री पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सके. लेकिन आयुक्त अपनी सुविधा को देखते हुए भोपाल से ही काम करते रहे. जरूरी फाइलों को डाक के जरिए मंगाते रहे और आबकारी का अमला उन्हें वह फाइल पहुंचाता रहा.

जहरीली शराब से हुई मौतें

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे जहरीली शराब के कारोंबार के कारण बीते 9 महीने में जहरीली शराब के कुल 47 लोगों की मौत हो चुकी है.

Poisonous liquor case
शराब कांड में मौतें

अन्य प्रदेशों से होती है तस्करी

दूसरी बात यह भी है कि चंबल का मुरैना जिला राजस्थान के धौलपुर सीमा से जुड़ा है और राजस्थान से शराब तस्करी भी होती है. हरियाणा की शराबी मुरैना में तस्करी कर लाई जाती है. यह स्थिति किसी से छिपी नहीं है.

रिक्त पड़े आबकारी विभाग के पद

अफसर यहां आबकारी अमला तैनात नहीं कर पाते, क्योंकि राजनीति छत्रछाया वाला अफसर व कर्मचारी अपनी पदस्थापना बड़े शहरों में करा लेते हैं. हालात यह हैं कि मुरैना में आबकारी अधिकारियों के आधे से ज्यादा पद लंबे समय से रिक्त हैं. मुरैना जिले में सहायक जिला आबकारी अधिकारी के 4 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 2 पद लंबे समय से हैं.

सुर्खियों में मुरैना का मामला

मुरैना का मामला जबरदस्त सुर्खियों में है. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए एसपी और कलेक्टर को हटा दिया साथ ही एसडीओपी को निलंबित कर दिया है. एक जांच कमेटी भी गठित की गई, जो मामले की जांच कर रही है. जिसके अध्यक्ष राजेश राजौरा ने भी कहा है कि दोषियों बख्शा नहीं जाएगा.

ग्वालियर। मुरैना का जहरीली शराब कांड देशभर में सुर्खियां हुआ है. जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा 25 के पार पहुंच चुका है, तो वहीं अभी भी कई लोग जलील शराब के कारण ग्वालियर और मुरैना के अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है. लेकिन जिस आबकारी विभाग के मुखिया पर शराब माफियाओं पर अंकुश लगाने का जिम्मा था. वह अपने मुख्यालय ऑफिस पर बीते 3 महीने से नहीं पहुंचा. नतीजा यह हुआ कि प्रदेश में शराब माफिया बेखौफ होकर अवैध शराब के कारोबार में लग गए.

तीन माह से आबकारी आयुक्त कार्यलय से गैरहाजिर

असंवेदनशील आबकारी आयुक्त

अब सवाल इस बात का है कि विभाग के मुखिया को शराब तस्करी रोकने का काम है. वह मुखिया अपने 3 महीने से दफ्तर में ही नहीं बैठा है, इससे साफ जाहिर होता है की आबकारी आयुक्त अपने काम के प्रति कितने लापरवाह और असंवेदनशील है.

कैंप ऑफिस से चला रहा आबकारी विभाग

मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग का मुख्यालय दफ्तर ग्वालियर में है. बीते 2 नवंबर से विभाग के मुखिया यानी आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने यहां कदम नहीं रखा है. राजीव चंद्र दुबे आबकारी विभाग का दफ्तर भोपाल के कैंप ऑफिस संचालित कर रहे हैं. हालात यह हो गये है की अवैध शराब की छापेमारी की कार्रवाई कुछ पन्नों में सिमटी हुई है, जिस पर विपक्ष और सरकार आबकारी आयुक्त को निशाने पर ले रहे हैं.

डाक के जरिए हो रहा फाइलों का आवागमन

आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे की कार्रवाई पर सवाल इसलिए पैदा हो रहे हैं कि आबकारी आयुक्त का सीधा नियंत्रण शराब माफिया पर होना चाहिए, ताकि अवैध शराब के परिवहन निर्माण और उसकी बिक्री पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सके. लेकिन आयुक्त अपनी सुविधा को देखते हुए भोपाल से ही काम करते रहे. जरूरी फाइलों को डाक के जरिए मंगाते रहे और आबकारी का अमला उन्हें वह फाइल पहुंचाता रहा.

जहरीली शराब से हुई मौतें

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे जहरीली शराब के कारोंबार के कारण बीते 9 महीने में जहरीली शराब के कुल 47 लोगों की मौत हो चुकी है.

Poisonous liquor case
शराब कांड में मौतें

अन्य प्रदेशों से होती है तस्करी

दूसरी बात यह भी है कि चंबल का मुरैना जिला राजस्थान के धौलपुर सीमा से जुड़ा है और राजस्थान से शराब तस्करी भी होती है. हरियाणा की शराबी मुरैना में तस्करी कर लाई जाती है. यह स्थिति किसी से छिपी नहीं है.

रिक्त पड़े आबकारी विभाग के पद

अफसर यहां आबकारी अमला तैनात नहीं कर पाते, क्योंकि राजनीति छत्रछाया वाला अफसर व कर्मचारी अपनी पदस्थापना बड़े शहरों में करा लेते हैं. हालात यह हैं कि मुरैना में आबकारी अधिकारियों के आधे से ज्यादा पद लंबे समय से रिक्त हैं. मुरैना जिले में सहायक जिला आबकारी अधिकारी के 4 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 2 पद लंबे समय से हैं.

सुर्खियों में मुरैना का मामला

मुरैना का मामला जबरदस्त सुर्खियों में है. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए एसपी और कलेक्टर को हटा दिया साथ ही एसडीओपी को निलंबित कर दिया है. एक जांच कमेटी भी गठित की गई, जो मामले की जांच कर रही है. जिसके अध्यक्ष राजेश राजौरा ने भी कहा है कि दोषियों बख्शा नहीं जाएगा.

Last Updated : Jan 18, 2021, 10:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.