भोपाल। प्रदेश में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत दूसरे दिन सुशासन पर वेबिनार संपन्न हुआ. वेबिनार को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश में सुशासन के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं.
मध्यप्रदेश भी उनकी सुशासन एवं आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए कृत-संकल्पित है और इसके लिए प्रदेश में तेज गति से कार्य हो रहा है. विषय विशेषज्ञों के साथ वेबिनार के आयोजन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ योजनाएं बनाकर, उन्हें प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू करना है. वेबिनार में मंथन के उपरांत निकले अमृत को जनता तक पहुंचाने में मध्यप्रदेश में तत्परता के साथ कार्य होगा.
विशेषज्ञों के प्रमुख सुझाव
- राज्य शासन 'ईज ऑफ लाईफ' की अवधारणा का क्रियान्वयन करें.
- जनसामान्य को मूलभूत सुविधाएं घर बैठे मिल सकें, इसके लिए डिजिटल सुविधा का विस्तार किया जाए.
- 'फेसलैस तकनीक' के माध्यम से व्यक्ति की शासकीय कार्यालयों में भौतिक उपस्थिति के बिना ही उसके कार्य हो सकें.
- विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिभावान युवाओं को शासकीय व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में कार्य हो.
- शासन के सभी विभागों की जानकारियों को 'सिंगल डाटाबेस' पर उपलब्ध कराया जाए.
- ई-ऑफिस व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाए.
- प्रदेश में 'आउटसोर्सिंग कार्पोरेशन' बनाया जाए, जो सभी विभागों के लिए आउटसोर्सिंग का काम करें.
- 'वर्क फ्रॉम होम' को बढ़ावा दिया जाए.
- जिला स्तर पर सभी विभाग 'डैशबोर्ड' विकसित करें, जिससे कलेक्टर द्वारा ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो सके.
- सीएम हेल्पलाइन को विस्तार देकर 'सीएम सिटीजन केयर पोर्टल' प्रारंभ किया जाए.
- राजस्व, कृषि, सिंचाई आदि में ड्रोन तकनीक का उपयोग.
- योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का परीक्षण 'आउट कम इंडीकेटर' के आधार पर किया जाए.
- कर्मचारियों के कार्य के आंकलन के लिए 'परफार्मेंस इंडीकेटर' तय होंगे.
- शासकीय गतिविधियों की नागरिक केन्द्रित मॉनिटरिंग की व्यवस्था.
- हितग्राही मूलक योजनाओं के क्रियान्वयन का 'थर्ड पार्टी' मूल्यांकन हो.
- कानूनों तथा नियमों में 'सनसैट क्लॉज' लागू किया जाए, जिससे समयावधि पश्चात उनका पुनरीक्षण हो सके.
- 'आगे आएं लाभ उठाएं' को डिजिटल स्वरूप में लाया जाए. जानकारी अपलोड करने पर पात्रता की जानकारी मिल जाए.
- प्रदेश में 'टेलीमेडिसन' तथा 'ऑनलाइन शिक्षा सुविधा.'
- 'आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस', 'ब्लॉक चैन', 'ड्रोन', 'क्लाउड' को प्रोत्साहित करने के लिए 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस.'
- शासकीय कानून एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो.
- सभी अधिनियम, नियम आदि एक वेबसाइट पर उपलब्ध हों.
- आईआईटी, आई.आई.एम, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जैसी शैक्षणिक संस्थाओं, औद्योगिक संगठनों, सिविल सोसायटी के सहयोग से नियमों तथा अधिनियमों में सुधार.
आपको बता दें आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को लेकर दो दिवसीय वेबिनार में कई केंद्रीय मंत्री सामाजिक संस्थानों से जुड़े लोग और प्रदेश के मंत्रियों ने अपने अपने सुझाव दिए हैं. अब देखना ये होगा कि सरकार इन सुझावों पर कितना अमल करती है और क्या वाकई आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश की जनता आत्मनिर्भर बन पाएगी.