भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि राज्य सरकार ने स्कूलों पर अभी प्रतिबंध नहीं लगाया है. लेकिन ओमीक्रोन की दहशत इतनी है कि लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं. राज्य में स्कूल अगस्त और सितंबर में खुले थे. शुरु में अच्छी संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचे, लेकिन अब ओमीक्रॉन के डर से बच्चों की उपस्थिति 40 फीसदी ही रह गई है.
अगस्त-सितंबर के मुकाबले 40% रह गई बच्चों की हाजिरी
3 जनवरी से बच्चों को टीका लगना है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तैयारी कर रहा है. लेकिन स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. बच्चों का टीका भले ही आ गया हो, लेकिन अभी भी माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. (only 40% students are coming to schools mp)अगस्त और सितंबर के बीच जब स्कूल खुले थे, तो 100% संख्या के साथ बच्चों की आमद स्कूलों में दर्ज की गई थी. उस समय सरकारी स्कूलों में तो बच्चे पहुंचे थे लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने फीस का पेच अटका कर मामला अटका दिया था. जो अभी तक चल रहा है.
बच्चों पर तीसरी लहर और ओमीक्रॉन का खतरा
ऐसे में मध्यप्रदेश में स्कूलों में बच्चों की संख्या का ग्राफ दिसंबर आते-आते गिर गया है. स्कूलों में मात्र 40% ही बच्चों की उपस्थिति देखी रही है. स्कूलों में माता-पिता बच्चों को भेज ही नहीं रहे. जिसका एक कारण ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों कक्षाओं का ऑप्शन है. माता-पिता नहीं चाहते कि बच्चों को कोई खतरा हो. ऐसे में स्कूलों में उपस्थिति का ग्राफ लगातार गिर रहा है. तीसरी लहर और नए वेरिएंट के खतरे के बीच यह संख्या और गिरी है.(schools corona students presence mp )
जनवरी में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा
सितंबर की बात की जाए तो स्कूलों में बच्चों की संख्या अच्छी खासी नजर आती थी. अक्टूबर में भी यह (corona current cases in mp )आंकड़ा 50 से 70% रहा. कई सरकारी स्कूलों में तो अक्टूबर और नवंबर के शुरुआती दौर में 90% तक बच्चे स्कूल जा रहे थे. लेकिन अब स्थिति इसके बिल्कुल उलट है. दिसंबर के अंत तक प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या 35 से 40% ही रह गई है. जिसका मुख्य कारण जनवरी में तीसरी लहर का खतरा है. मध्य प्रदेश पालक संघ भी सरकार से मांग कर रहा है कि जब तक नए वेरिएंट के खतरे को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती, बच्चों की कक्षाएं ऑनलाइन ही लगाई जाए.
सरकार जल्द ले ठोस फैसला
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी सरकार से मांग की है कि स्कूलों को लेकर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जाए. क्योंकि बच्चे अभी तो ऑफलाइन कक्षाओं में आ ही नहीं रहे और ऑनलाइन में भी इनकी संख्या कम ही है.
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कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं
इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक बीएस कुशवाह का कहना है कि यह शासन के निर्देश हैं कि अभिभावक पर छोड़े दें, कि वे बच्चों को ऑफलाइन भेजें या ऑनलाइन. लेकिन अभी सरकार की ओर से कोई नए दिशा-निर्देश नहीं हैं. लेकिन जैसे ही निर्देश आएंगे ऑफलाइन या ऑनलाइन कक्षाओं के, उसको लेकर पालन किया जाएगा.
मध्यप्रदेश में स्कूलों की संख्या
मध्यप्रदेश में कुल 90,000 सरकारी स्कूल हैं. प्राइवेट स्कूलों की संख्या 45 हजार के आसपास है. जिसमें सीबीएसई स्कूलों की संख्या 1300 है.
छात्रों की संख्या
वर्ष 2018-19 में मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में 91 लाख छात्र पढ़ रहे थे. जबकि प्राइवेट स्कूलों में 65 लाख स्टूडेंट्स थे. 2019-20 में सरकारी स्कूलों में 88 लाख 75 हजार स्टूडेंट थे. जबकि प्राइवेट में 66 लाख विद्यार्थी पढ़ रहे थे. अभी मध्यप्रदेश में कुल एक करोड़ 45 लाख के लगभग बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं.
29 करोड़ स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर बुरा असर
भारत में कोरोना की वजह से 29 करोड़ स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हुई है. इनमें 13 करोड़ लड़कियां हैं. UNESCO के मुताबिक, भारत में कुल स्कूल ड्रॉपआउट लड़कियों में से आधी से ज्यादा दोबारा स्कूल नहीं लौटतीं. कोरोना की वजह से प्री-प्राइमरी और सेकंडरी लेवल के 11 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे अभी भी स्कूली शिक्षा से दूर हैं. ये दुनियाभर के कुल स्टूडेंट्स का 7.5% है.कोरोना की वजह से दुनियाभर के स्कूल औसतन 4.5 महीने के लिए बंद रहे. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका असर बच्चों के पोषण से लेकर उनके भविष्य की इनकम पर भी होगा.