भोपाल। नारी, तुम्हारे किस रूप की व्याख्या करूं, मां... बहन... पत्नी... बेटी... या फिर दोस्त... नारी के बिना नर अधूरा ही नहीं बल्कि ये संसार और समाज भी कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पूरे जीवन नारी किसी न किसी रूप में नर के साथ मौजूद रहती है, मां बनकर, बहन बनकर, प्रेमिका या पत्नी बनकर, हर कदम पर साथ निभाती है. हर किसी के जीवन में महिला का योगदान पूरी उम्र रहता है, बस समय के साथ रिश्तों में बदलाव आता रहता है.
आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की चर्चाएं खूब होती हैं. सरकार भी महिला सुरक्षा, साक्षरता और जागरुकता के दावे करती है, लेकिन देश में आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां महिलाओं को उनके सम्मान में मनाया जाने वाला महिला दिवस के बारे में भी कुछ नहीं पता है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और जगह-जगह महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं. ये दिन पूरी तरह महिलाओं के सम्मान में समर्पित होता है, लेकिन आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें इस दिन के बारे में पता तक नहीं है. उनके लिए ये दिन हर दिन की तरह अपने और अपने परिवार की भूख मिटाने की जद्दोजहद के सिवाय कुछ भी नहीं है.
ऐसी कई तस्वीरें सामने आती हैं, जहां महिलाएं निर्माण कार्य में रेत की तगाड़ी उठाती हैं तो कहीं फावड़ा चलाती मिल जाती हैं. खास बात ये है कि सिर्फ गांव में ही नहीं शहरों में भी ऐसी महिलाएं रहती हैं, जो इस दिन से पूरी तरह बेखबर हैं. जब उनसे पूछा गया कि आज महिलाओं के सम्मान में मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है तो आज आप क्या करेंगी. इस पर महिलाओं का कहना था कि ये क्या होता है हमें नहीं पता. उनका कहना था कि दिन का मतलब उनके लिए सिर्फ मजदूरी करना है, जिससे वे अपने परिवार को पाल सकें.
सरकार महिला जागरुकता और साक्षरता के कितने ही दावे कर ले, लेकिन आए दिन सरकार के इन झूठे दावों की पोल खुलती रहती है. शायद ही ऐसा कभी हो जब इन महिलाओं के लिए भी महिला दिवस साधारण दिनों से हटकर जश्न का दिन होगा.