ETV Bharat / city

इनके लिए भूख मिटाने की जद्दोजहद से अधिक कुछ भी नहींः महिला दिवस - एमपी

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी महिलाओं का एक ऐसा तबका है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का पता तक नहीं है. उनका यह दिन भी मजदूरी करते ही निकलता है.

मजदूर महिला
author img

By

Published : Mar 8, 2019, 12:18 AM IST

भोपाल। नारी, तुम्हारे किस रूप की व्याख्या करूं, मां... बहन... पत्नी... बेटी... या फिर दोस्त... नारी के बिना नर अधूरा ही नहीं बल्कि ये संसार और समाज भी कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पूरे जीवन नारी किसी न किसी रूप में नर के साथ मौजूद रहती है, मां बनकर, बहन बनकर, प्रेमिका या पत्नी बनकर, हर कदम पर साथ निभाती है. हर किसी के जीवन में महिला का योगदान पूरी उम्र रहता है, बस समय के साथ रिश्तों में बदलाव आता रहता है.


आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की चर्चाएं खूब होती हैं. सरकार भी महिला सुरक्षा, साक्षरता और जागरुकता के दावे करती है, लेकिन देश में आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां महिलाओं को उनके सम्मान में मनाया जाने वाला महिला दिवस के बारे में भी कुछ नहीं पता है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और जगह-जगह महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं. ये दिन पूरी तरह महिलाओं के सम्मान में समर्पित होता है, लेकिन आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें इस दिन के बारे में पता तक नहीं है. उनके लिए ये दिन हर दिन की तरह अपने और अपने परिवार की भूख मिटाने की जद्दोजहद के सिवाय कुछ भी नहीं है.

undefined
1

ऐसी कई तस्वीरें सामने आती हैं, जहां महिलाएं निर्माण कार्य में रेत की तगाड़ी उठाती हैं तो कहीं फावड़ा चलाती मिल जाती हैं. खास बात ये है कि सिर्फ गांव में ही नहीं शहरों में भी ऐसी महिलाएं रहती हैं, जो इस दिन से पूरी तरह बेखबर हैं. जब उनसे पूछा गया कि आज महिलाओं के सम्मान में मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है तो आज आप क्या करेंगी. इस पर महिलाओं का कहना था कि ये क्या होता है हमें नहीं पता. उनका कहना था कि दिन का मतलब उनके लिए सिर्फ मजदूरी करना है, जिससे वे अपने परिवार को पाल सकें.

सरकार महिला जागरुकता और साक्षरता के कितने ही दावे कर ले, लेकिन आए दिन सरकार के इन झूठे दावों की पोल खुलती रहती है. शायद ही ऐसा कभी हो जब इन महिलाओं के लिए भी महिला दिवस साधारण दिनों से हटकर जश्न का दिन होगा.

भोपाल। नारी, तुम्हारे किस रूप की व्याख्या करूं, मां... बहन... पत्नी... बेटी... या फिर दोस्त... नारी के बिना नर अधूरा ही नहीं बल्कि ये संसार और समाज भी कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि पूरे जीवन नारी किसी न किसी रूप में नर के साथ मौजूद रहती है, मां बनकर, बहन बनकर, प्रेमिका या पत्नी बनकर, हर कदम पर साथ निभाती है. हर किसी के जीवन में महिला का योगदान पूरी उम्र रहता है, बस समय के साथ रिश्तों में बदलाव आता रहता है.


आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की चर्चाएं खूब होती हैं. सरकार भी महिला सुरक्षा, साक्षरता और जागरुकता के दावे करती है, लेकिन देश में आज भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां महिलाओं को उनके सम्मान में मनाया जाने वाला महिला दिवस के बारे में भी कुछ नहीं पता है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और जगह-जगह महिला सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं. ये दिन पूरी तरह महिलाओं के सम्मान में समर्पित होता है, लेकिन आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्हें इस दिन के बारे में पता तक नहीं है. उनके लिए ये दिन हर दिन की तरह अपने और अपने परिवार की भूख मिटाने की जद्दोजहद के सिवाय कुछ भी नहीं है.

undefined
1

ऐसी कई तस्वीरें सामने आती हैं, जहां महिलाएं निर्माण कार्य में रेत की तगाड़ी उठाती हैं तो कहीं फावड़ा चलाती मिल जाती हैं. खास बात ये है कि सिर्फ गांव में ही नहीं शहरों में भी ऐसी महिलाएं रहती हैं, जो इस दिन से पूरी तरह बेखबर हैं. जब उनसे पूछा गया कि आज महिलाओं के सम्मान में मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है तो आज आप क्या करेंगी. इस पर महिलाओं का कहना था कि ये क्या होता है हमें नहीं पता. उनका कहना था कि दिन का मतलब उनके लिए सिर्फ मजदूरी करना है, जिससे वे अपने परिवार को पाल सकें.

सरकार महिला जागरुकता और साक्षरता के कितने ही दावे कर ले, लेकिन आए दिन सरकार के इन झूठे दावों की पोल खुलती रहती है. शायद ही ऐसा कभी हो जब इन महिलाओं के लिए भी महिला दिवस साधारण दिनों से हटकर जश्न का दिन होगा.

Intro:भोपाल- कल पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा, हर क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं का सम्मान किया जाएगा और यह 1 दिन पूरी तरीके से उन्हें समर्पित किया जाएगा। पर कुछ तबके की महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें इस महिला दिवस के बारे में जानकारी ही नहीं है तो वह इसे मनाये ही कैसे..


Body:घरों में काम करने वाली या दिहाड़ी मजदूर करने वाली महिलाएं आज भी इस महिला दिवस के नाम से अछूती हैं उन्हें जरा भी इस बात की जानकारी नहीं है कि महिला दिवस नाम का भी कोई दिन होता है जो केवल महिलाओं के लिए होता है कल का दिन भी उनके लिए साधारण दिन के जैसा ही होगा।
इन महिलाओं से बात करने पर यह पता चलता है कि इनके लिए काम ज्यादा जरूरी है क्योंकि यदि यह काम नहीं करेगी तो उनके बच्चों और परिवार को 1 दिन का खाना नहीं मिलेगा।
और यदि ने कोई एक दिन सिर्फ खुद के लिए दिया जाए तो भी उस दिन यह काम को ही चुनेगी।


Conclusion:यदि भारत और दुनिया सच मायने में महिला दिवस पूरी तरीके से महिलाओं को समर्पित करना चाहती हैं तो पहले इन महिलाओं को जागृत करना होगा इन्हें इनके सही हक दिलाने होंगे तब जाकर कहीं हम हैप्पी विमेंस डे कह सकते हैं।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.