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कोरोना कर्फ्यू ने तोड़ी छोटे व्यापारियों की कमर, खर्चा चलाना भी हुआ मुश्किल - भोपाल में कोरोना कर्फ्यू

पिछले लगभग 2 महीनों से लोगों की दुकानें बंद पड़ी हैं और पर उनके नियमित खर्चे लगातार जारी है. उन खर्चो में न तो कोई कटौती है और न कोई राहत. ऊपर से बैंक की किश्तों, मकान और गाड़ी की किश्तें लोगों के लिये मुसीबत बन गई है.

Small traders trouble corona curfew
कोरोना कर्फ्यू ने तोड़ी छोटे व्यापारियों की कमर
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Published : May 28, 2021, 6:41 PM IST

भोपाल। प्रदेश में भले ही कोरोना महामारी को काबू करने में सफलता प्राप्त हुई है और प्रदेश में हालात काफी तेजी से सुधार रहे हैं. लोग भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन कर रहे है. दूसरी तरफ कोरोना कर्फ्यू में रिटेल व्यापार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में इन व्यापारियों के सामने कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, दुकान व गोडाउन का किराया, लोन की किश्तों, सीसी लिमिट का ब्याज आदि अन्य कई समस्या आ रही है.अब जब ऐसे में व्यापार खुलेंगे तो भी मांग और भुगतान में काफी अनिश्चितता भरा बाजार रहेगा.

छोटे कारोबारियों की हालत बहुत खराब

इन हालातों में जब कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है, ऐसे में व्यापार खास कर रिटेल व्यापार करने वाले लोगों के हालात जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं है. पिछले साल 2020 में भी लॉकडाउन खुलने के बाद भी व्यापार को सामान्य स्थिति में आने में 3 महीने का समय लगा था. पर उस समय सरकार ने व्यापारिक गतिविधियों के साथ लोगों को उनकी बैंक की किश्तों, सीसी लिमिट के ब्याज में काफी राहत प्रदान की थी, लेकिन इस बार व्यवसायिक गतिविधियों को चालू रखने की कोशिश में छोटे रिटेल कारोबारियों की हालत बहुत खराब हो गई है।

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नियमित खर्चों से त्रस्त है व्यापारी

पिछले लगभग 2 महीनों से लोगों की दुकानें बंद पड़ी हैं और पर उनके नियमित खर्चे लगातार जारी है. उन खर्चो में न तो कोई कटौती है और न कोई राहत. ऊपर से बैंक की किश्तों, मकान और गाड़ी की किश्तें लोगों के लिये मुसीबत बन गई है. घर के खर्चे, बच्चों की फीस और बढ़ी हुई महंगाई इन सब ने लोगों की बचत खत्म कर दी है. ऐसे में अब व्यापारी बाजार से या मित्रों व सहयोगियों से पैसा उधार ले कर बैंको की किश्तें भर रहा है.

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बाजार से दिए हुए माल का पैसा मिल नहीं रहा है, क्योंकि दुकानें बंद होने से माल बिका ही नहीं तो उसका पैसा नहीं आया. दूसरी तरफ माल देने वाली कम्पनियों की अपनी समस्याएं हैं. वे पैसे के लिये रिटेल व्यापारियों पर दबाव बना रही है. दुकान या गोडाउन मालिक को अपना किराया चाहिये, कर्मचारियों को वेतन चाहिये, ऐसे में रिटेल व्यवसायी पूरी तरह से टूट चुका है।

भोपाल। प्रदेश में भले ही कोरोना महामारी को काबू करने में सफलता प्राप्त हुई है और प्रदेश में हालात काफी तेजी से सुधार रहे हैं. लोग भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन कर रहे है. दूसरी तरफ कोरोना कर्फ्यू में रिटेल व्यापार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में इन व्यापारियों के सामने कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, दुकान व गोडाउन का किराया, लोन की किश्तों, सीसी लिमिट का ब्याज आदि अन्य कई समस्या आ रही है.अब जब ऐसे में व्यापार खुलेंगे तो भी मांग और भुगतान में काफी अनिश्चितता भरा बाजार रहेगा.

छोटे कारोबारियों की हालत बहुत खराब

इन हालातों में जब कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है, ऐसे में व्यापार खास कर रिटेल व्यापार करने वाले लोगों के हालात जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं है. पिछले साल 2020 में भी लॉकडाउन खुलने के बाद भी व्यापार को सामान्य स्थिति में आने में 3 महीने का समय लगा था. पर उस समय सरकार ने व्यापारिक गतिविधियों के साथ लोगों को उनकी बैंक की किश्तों, सीसी लिमिट के ब्याज में काफी राहत प्रदान की थी, लेकिन इस बार व्यवसायिक गतिविधियों को चालू रखने की कोशिश में छोटे रिटेल कारोबारियों की हालत बहुत खराब हो गई है।

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नियमित खर्चों से त्रस्त है व्यापारी

पिछले लगभग 2 महीनों से लोगों की दुकानें बंद पड़ी हैं और पर उनके नियमित खर्चे लगातार जारी है. उन खर्चो में न तो कोई कटौती है और न कोई राहत. ऊपर से बैंक की किश्तों, मकान और गाड़ी की किश्तें लोगों के लिये मुसीबत बन गई है. घर के खर्चे, बच्चों की फीस और बढ़ी हुई महंगाई इन सब ने लोगों की बचत खत्म कर दी है. ऐसे में अब व्यापारी बाजार से या मित्रों व सहयोगियों से पैसा उधार ले कर बैंको की किश्तें भर रहा है.

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बाजार से दिए हुए माल का पैसा मिल नहीं रहा है, क्योंकि दुकानें बंद होने से माल बिका ही नहीं तो उसका पैसा नहीं आया. दूसरी तरफ माल देने वाली कम्पनियों की अपनी समस्याएं हैं. वे पैसे के लिये रिटेल व्यापारियों पर दबाव बना रही है. दुकान या गोडाउन मालिक को अपना किराया चाहिये, कर्मचारियों को वेतन चाहिये, ऐसे में रिटेल व्यवसायी पूरी तरह से टूट चुका है।

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