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OBC RESERVATION कानून में संशोधन पर विचार, सरकार ले रही है विधि विशेषज्ञों से राय, शिवराज के मंत्री का बड़ा बयान - जरूरी हुआ तो ओबीसी आरक्षण कानून में करेंगे संशोधन

कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC RESERVATION IN PANCHAYAT ELECTION )को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकारआरक्षण कानून में संशोधन (obc-reservationon will change if need) का विचार कर रही है. इस बारे में विधि विशेषज्ञों से राय भी ली जा रही है.

obc reservation on panchayat election
शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन
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Published : Dec 18, 2021, 8:11 PM IST

भोपाल। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC RESERVATION IN PANCHAYAT ELECTION )को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार आरक्षण कानून में संशोधन (obc-reservationon will change if need) का विचार कर रही है. सरकार के मंत्री (shivraj governments statement) कमल पटेल ने कहा है कि सरकार इस बारे में विधि विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करेगी और बात नहीं बनी तो कानून में संशोधन करेगी. वहीं कांग्रेस की तरफ से मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि बीजेपी ओबीसी आरक्षण के मामले में कांग्रेस को बदनाम कर रही है.

शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन

BJP को अपना दांव फेल होने का डर
पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट कापै फैसला आने के बाद सरकार को लग रहा है कि कहीं इस फैसले से उसे आने वाले विधानसभा चुनावों में नुकसान न उठाना पड़े. सरकार जानती है कि प्रदेश में 52 फीसदी ओबीसी आबादी है. जिसे फोकस करते हुए राज्य सरकार कई योजनाएं भी चला रही हैं. इसके साथ ही ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए सरकार अध्यादेश भी लाई थी. हालांकि यह मामला भी न्यायालय में है. यही वजह है कि बीजेपी आरक्षण कानून में संशोधन पर भी विचार कर रही है. उसे लगता है कि 52 प्रतिशत आबादी वाला यह वर्ग पार्टी से नाराज हुआ तो 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.

शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन
शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन

चुनाव आयोग ने स्टे नहीं दिया, सरकार स्पष्ट करे अपनी स्थिति

सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव की याचिकाओं की पैरवी कर रहे एडवोकेट वरुण ठाकुर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चुनाव यदि संविधान सम्मत हैं तो ही कराईए, अन्यथा टैक्स पेयर की पैसा बर्बाद मत करिए. इसके साथ ही SC ने ओबीसी का आरक्षण हटाने के निर्देश भी दिए हैं. ठाकुर ने कहा कि मप्र सरकार को ओबीसी आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने साफ किया सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर कोई स्टे नहीं दिया है.

सरकार ने जल्दबाजी में किया फैसला
एडवोकेट वरुण ठाकुर कहते हैं कि ओबीसी को 13 फीसदी आरक्षण देने का फैसला मध्य प्रदेश सरकार ने जल्दबाजी में किया है. सरकार को इसपर अपना पक्ष रखना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में यह स्थिति क्लियर नहीं कराई गई कि मप्र ओबीसी को जो रिजर्वेशन लोकल बॉडीज के इलेक्शन में दिया जा रहा है वो सिर्फ 13 प्रतिशत है. इसे देने से आरक्षण का प्रतिशत 50 से ऊपर नहीं जा रहा है. वरूण के मुताबिक एमपी में टोटल रिजर्वेशन एससी, एसटी और ओबीसी को 30 प्रतिशत दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर इस तथ्य से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया जाए तो हमें लगता है कि निर्णय कुछ और होगा. ठाकुर ने कहा कि उन्हें लगता है कि इलेक्शन कमीशन जल्दबाजी में इलेक्शन करा रहा है. उन्होंने कहा कि जब सरकार पिछले 2 साल से पंचायत इलेक्शन नहीं करा पा रही है फिर अभी ऐसी जल्दबाजी क्या है. ठाकुर ने कहा सरकार को अपने फैसले पर फिर से सोचना चाहिए और इलेक्शन फिलहाल टाल देना चाहिए.

भोपाल। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC RESERVATION IN PANCHAYAT ELECTION )को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार आरक्षण कानून में संशोधन (obc-reservationon will change if need) का विचार कर रही है. सरकार के मंत्री (shivraj governments statement) कमल पटेल ने कहा है कि सरकार इस बारे में विधि विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करेगी और बात नहीं बनी तो कानून में संशोधन करेगी. वहीं कांग्रेस की तरफ से मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा है कि बीजेपी ओबीसी आरक्षण के मामले में कांग्रेस को बदनाम कर रही है.

शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन

BJP को अपना दांव फेल होने का डर
पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट कापै फैसला आने के बाद सरकार को लग रहा है कि कहीं इस फैसले से उसे आने वाले विधानसभा चुनावों में नुकसान न उठाना पड़े. सरकार जानती है कि प्रदेश में 52 फीसदी ओबीसी आबादी है. जिसे फोकस करते हुए राज्य सरकार कई योजनाएं भी चला रही हैं. इसके साथ ही ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए सरकार अध्यादेश भी लाई थी. हालांकि यह मामला भी न्यायालय में है. यही वजह है कि बीजेपी आरक्षण कानून में संशोधन पर भी विचार कर रही है. उसे लगता है कि 52 प्रतिशत आबादी वाला यह वर्ग पार्टी से नाराज हुआ तो 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है.

शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन
शिवराज सरकार ओबीसी कानून में कर सकती है संशोधन

चुनाव आयोग ने स्टे नहीं दिया, सरकार स्पष्ट करे अपनी स्थिति

सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव की याचिकाओं की पैरवी कर रहे एडवोकेट वरुण ठाकुर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि चुनाव यदि संविधान सम्मत हैं तो ही कराईए, अन्यथा टैक्स पेयर की पैसा बर्बाद मत करिए. इसके साथ ही SC ने ओबीसी का आरक्षण हटाने के निर्देश भी दिए हैं. ठाकुर ने कहा कि मप्र सरकार को ओबीसी आरक्षण को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने साफ किया सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर कोई स्टे नहीं दिया है.

सरकार ने जल्दबाजी में किया फैसला
एडवोकेट वरुण ठाकुर कहते हैं कि ओबीसी को 13 फीसदी आरक्षण देने का फैसला मध्य प्रदेश सरकार ने जल्दबाजी में किया है. सरकार को इसपर अपना पक्ष रखना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में यह स्थिति क्लियर नहीं कराई गई कि मप्र ओबीसी को जो रिजर्वेशन लोकल बॉडीज के इलेक्शन में दिया जा रहा है वो सिर्फ 13 प्रतिशत है. इसे देने से आरक्षण का प्रतिशत 50 से ऊपर नहीं जा रहा है. वरूण के मुताबिक एमपी में टोटल रिजर्वेशन एससी, एसटी और ओबीसी को 30 प्रतिशत दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर इस तथ्य से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया जाए तो हमें लगता है कि निर्णय कुछ और होगा. ठाकुर ने कहा कि उन्हें लगता है कि इलेक्शन कमीशन जल्दबाजी में इलेक्शन करा रहा है. उन्होंने कहा कि जब सरकार पिछले 2 साल से पंचायत इलेक्शन नहीं करा पा रही है फिर अभी ऐसी जल्दबाजी क्या है. ठाकुर ने कहा सरकार को अपने फैसले पर फिर से सोचना चाहिए और इलेक्शन फिलहाल टाल देना चाहिए.

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