भोपाल। प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के बाद से ही प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई है. जिसका कई शासकीय कामकाज पर भी सीधा असर पड़ा है. कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह ने भी कई अन्य योजनाओं को फिलहाल रोक दिया है, ताकि कोरोना संकट के समय बेहतर व्यवस्थाएं प्रदेश में की जा सके. इसके लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रबंधन किया गया है, ऐसी स्थिति में सरकार के ऊपर कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश की वित्तीय व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक से दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है.
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को दी कर्ज लेने की अनुमति
कोरोना संकट के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग साढ़े 14 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज लेने की सशर्त अनुमति दी है. इसे मिलाकर राज्य साल 2020-21 में 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज ले सकता है, देखा जाए तो हाल फिलहाल में हर माह ही कर्ज लिया जा रहा है. दूसरी ओर कोरोना संक्रमण की स्थिति में यदि सुधार नहीं होता है तो राज्य सरकार की कर्ज पर निर्भरता और बढ़ जाएगी क्योंकि प्रदेश सरकार को टैक्स से होने वाली आय में करीब 28 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
वित्त विभाग बना रहा कर्ज लेने की रणनीति
बताया जा रहा है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से कर्ज लेने की स्वीकृति और अतिरिक्त सीमा को लेकर बैठक की थी. जिसमें निर्देश दिए गए थे कि जो कर्ज सशर्त मिलना है, उसके लिए शर्तें समय सीमा में पूरी की जाएं, ताकि कर्ज लेकर व्यवस्थागत सुधार किया जा सके. राज्य की पूर्व से तय सीमा के भीतर कर्ज भी ऐसी रणनीति बनाकर लिया जाए, जिससे विकास परियोजनाओं की गति बनी रहे. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए वित्त विभाग कर्ज लेने की रणनीति को अंतिम रूप दे रहा है. इसमें हर माह जरूरत के मुताबिक कर्ज लेना भी शामिल है. केंद्र सरकार से लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बिना शर्त लेने की अनुमति मिल चुकी है.
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियां काफी हद तक प्रभावित हुई हैं. इस दौरान न तो निर्माण कार्य गति पकड़ पा रहे हैं और न ही औद्योगिक गतिविधियों को पटरी पर लाना संभव हो रहा है. जिसकी वजह से टैक्स से होने वाली आय काफी हद तक घट गई है. इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार इस बार बजट का आकार लगभग 28 हजार करोड़ रुपए से घटाकर दो लाख पांच हजार करोड़ रुपए से कुछ अधिक रखा है. इसमें भी अधिकांश विभागों पर राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेने का प्रावधान है.
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पिछले महीने वित्त सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वित्तीय प्रबंधन पर चर्चा की थी. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अनावश्यक खर्च पर रोक लगाई जाए क्योंकि आने वाले समय में राशि की जरूरत पड़ेगी. यही वजह है कि सीएम ने अपने वेतन भत्ते का 30 फीसदी हिस्सा सितंबर तक मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला किया है. इसके अलावा कई मंत्रियों ने भी अपने वेतन भत्ते का 30 फीसदी हिस्सा मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला लिया है, ताकि सरकार की वित्तीय व्यवस्थाओं को मजबूत किया जा सके.