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लॉकडाउन के बाद से बंद हैं शैक्षणिक संस्थान, हो रहा करोड़ों का नुकसान, टीचर और स्टूडेंट्स परेशान - ऑनलाइन पढ़ाई

लॉकडाउन के बाद से ही देशभर में शैक्षणिक संस्थान फिलहाल बंद हैं. जिससे छात्र और टीचर दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. कोचिंग संस्थान बंद होने से जहां शिक्षकों की आर्थिक स्थितियां खराब होने लगी हैं. वही पढ़ाई न होने से छात्रों को भी अपने भविष्य की चिंता सता रही है. लेकिन कोरोना के बढ़ते कहर के बीच शैक्षणिक संस्थानों की स्थितियां सामान्य कब होगी इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.

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लॉकडाउन कोचिंग संस्थान
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Published : Jul 18, 2020, 4:04 PM IST

भोपाल। देश में तेजी से बढ़ते कोरोना प्रकोप के बीच अनलॉक की प्रक्रिया भी जारी है. फिर भी देश में बहुत से कामों पर पाबंदी लगी है. शैक्षणिक संस्थानों को भी फिलहाल अनलॉक में छूट नहीं दी गई है. स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान पिछले चार महीनों से बंद हैं. ऐसे में एक तरफ जहां छात्रों को पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, जबकि शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के सामने भी अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा होता जा रहा है.

लॉकडाउन के बाद ही शैक्षणिक संस्थानों को हो रहा नुकसान

बात अगर राजधानी भोपाल की जाए तो यहां करीब 300 छोटी-बड़ी कोचिंग क्लासेस हैं, जो पिछले चार महीनें से बंद हैं. शैक्षणिक संस्थान बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान कोचिंग संस्थानों के टीचर्स को हो रहा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद से उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ कोचिंग संस्थान का किराया न देने से कोचिंग बंद करनी पड़ रही है. तो दूसरी तरफ उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई है.

ऑनलाइन क्लास से नहीं होता ज्यादा फायदा

कोचिंग संचालक सुहाग कारिया ने बताया कि इन दिनों ऑनलाइन क्लासों से छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है. लेकिन इसका इतना अच्छा रिजल्ट नही मिल पा रहा है जो लाइव क्लास में मिलता था. इस साल लॉकडाउन के कारण करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ है. आम दिनों में कोचिंग के अंदर कुर्सियों के लिए लड़ाई होती थी. वही आज कुर्सियां ओर कोचिंग में रखे सिस्टम खाली पड़े हैं. उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से जितना नुकसान कोचिंग संस्थानों को हुआ है उतना ही नुकसान छात्रों की पढ़ाई का भी हुआ है.

शैक्षणिक संस्थान बंद होने से न केलव टीचर को बल्कि स्टूडेंट्स को भी नुकसान हो रहा है. जिन स्टूडेंट्स ने कोचिंग संस्थानों में पहले से एडवांस फीस जमा कर दी थी. उन्हें पढ़ाई शुरू न होने से नुकसान उठाना पढ़ रहा है.

हालांकि अनलॉइन पढ़ाई की व्यवस्था देशभर में शुरू की गई है. लेकिन स्टूडेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई उतनी कारगर नहीं है, जितनी ऑफलाइन पढ़ाई होती है. स्टूडेंट्स कहते हैं लगातार ऑनलाइन क्लासों में लंबे समय तक बैठने से आंखों पर इसका गहरा असर होता है. जबकि मोबाइल से पढ़ने में डिस्टरबेन्स भी बहुत होते हैं. टीचर भी स्टूडेंट्स की बात पर सहमति जताते हैं. क्योंकि ऑफलाइन पढ़ाई के दौरान वे हर एक स्टूडेंट्स पर नजर रखते थे. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसा नहीं होता.

मई-जून में जहा एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारियो के लिए कोचिंग सेंटर में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए स्टूडेंट्स की लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती थी. आज वो कोचिंग संस्थान खाली पड़े हैं. यानि कोरोना से शिक्षा जगत को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में अगर जल्द कोई उपाय नहीं निकाला गया, तो शिक्षक और स्टूडेंट्स दोनों को और नुकसान उठाना पड़ेगा.

भोपाल। देश में तेजी से बढ़ते कोरोना प्रकोप के बीच अनलॉक की प्रक्रिया भी जारी है. फिर भी देश में बहुत से कामों पर पाबंदी लगी है. शैक्षणिक संस्थानों को भी फिलहाल अनलॉक में छूट नहीं दी गई है. स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान पिछले चार महीनों से बंद हैं. ऐसे में एक तरफ जहां छात्रों को पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, जबकि शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के सामने भी अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा होता जा रहा है.

लॉकडाउन के बाद ही शैक्षणिक संस्थानों को हो रहा नुकसान

बात अगर राजधानी भोपाल की जाए तो यहां करीब 300 छोटी-बड़ी कोचिंग क्लासेस हैं, जो पिछले चार महीनें से बंद हैं. शैक्षणिक संस्थान बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान कोचिंग संस्थानों के टीचर्स को हो रहा है. उनका कहना है कि लॉकडाउन के बाद से उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक तरफ कोचिंग संस्थान का किराया न देने से कोचिंग बंद करनी पड़ रही है. तो दूसरी तरफ उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई है.

ऑनलाइन क्लास से नहीं होता ज्यादा फायदा

कोचिंग संचालक सुहाग कारिया ने बताया कि इन दिनों ऑनलाइन क्लासों से छात्रों को परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है. लेकिन इसका इतना अच्छा रिजल्ट नही मिल पा रहा है जो लाइव क्लास में मिलता था. इस साल लॉकडाउन के कारण करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ है. आम दिनों में कोचिंग के अंदर कुर्सियों के लिए लड़ाई होती थी. वही आज कुर्सियां ओर कोचिंग में रखे सिस्टम खाली पड़े हैं. उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से जितना नुकसान कोचिंग संस्थानों को हुआ है उतना ही नुकसान छात्रों की पढ़ाई का भी हुआ है.

शैक्षणिक संस्थान बंद होने से न केलव टीचर को बल्कि स्टूडेंट्स को भी नुकसान हो रहा है. जिन स्टूडेंट्स ने कोचिंग संस्थानों में पहले से एडवांस फीस जमा कर दी थी. उन्हें पढ़ाई शुरू न होने से नुकसान उठाना पढ़ रहा है.

हालांकि अनलॉइन पढ़ाई की व्यवस्था देशभर में शुरू की गई है. लेकिन स्टूडेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई उतनी कारगर नहीं है, जितनी ऑफलाइन पढ़ाई होती है. स्टूडेंट्स कहते हैं लगातार ऑनलाइन क्लासों में लंबे समय तक बैठने से आंखों पर इसका गहरा असर होता है. जबकि मोबाइल से पढ़ने में डिस्टरबेन्स भी बहुत होते हैं. टीचर भी स्टूडेंट्स की बात पर सहमति जताते हैं. क्योंकि ऑफलाइन पढ़ाई के दौरान वे हर एक स्टूडेंट्स पर नजर रखते थे. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसा नहीं होता.

मई-जून में जहा एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारियो के लिए कोचिंग सेंटर में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए स्टूडेंट्स की लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती थी. आज वो कोचिंग संस्थान खाली पड़े हैं. यानि कोरोना से शिक्षा जगत को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में अगर जल्द कोई उपाय नहीं निकाला गया, तो शिक्षक और स्टूडेंट्स दोनों को और नुकसान उठाना पड़ेगा.

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