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MP में होगी चंदन की खेती, लोगों की आय बढ़ाने के लिए शिवराज सरकार की नई घोषणा - एमपी सरकार चंदन के प्रोड्क्ट के लिए मार्केट मुहैया कराएगी

MP में सरकार अब वनवासियों की आय में इजाफा के लिए चंदन की खेती शुरु करने जा रही है (sandalwood cultivation in mp). सीएम शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि वनोपज केसाथ-साथ चंदन की खेती से लोगों की जीवन को खुशहाल बनाने की कोशिशें शुरु हो गई हैं. सरकार चंदन के प्रोड्क्ट के लिए मार्केट मुहैया कराने में भी मदद करेगी (sandalwood product to increase income of triabls in mp). इसके साथ ही प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा.

Chandan farming in MP
एमपी में होगी चंदन की खेती
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Published : Dec 23, 2021, 2:00 PM IST

भोपाल। लघु वनोपजों के प्रसंस्करण पर राज्य सरकार अब खास ध्यान देगी. इसके लिए प्रदेश सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वनवासियों और वन समितियों को प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के काम को प्रोत्साहित करेगी. इसके तहत, सरकार चंदन की खेती (sandalwood cultivation in mp) को बढ़ावा देगी. राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में वन विभाग द्वारा आयोजित अतंर्राष्ट्रीय वन मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा. लघु वनोपजों के प्र-संस्करण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. वन-धन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी. उनकी उत्पादित सामग्रियों की पुख्ता विपणन व्यवस्था की जाएगी.

वनवासियों को आय के प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ, धान, चने का उत्पादन कार्य पारम्परिक रूप से बड़े पैमाने पर होता है. इन उत्पादनों के साथ ही चंदन की खेती, बांस उत्पादन, औषधियों के निर्माण में उपयोगी वनोपज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. पर्यावरण के लिए वनों को बचाना आवश्यक है और वनों से वनवासियों को आय भी हो, इसके प्रयास किए जाएंगे. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्राचीन विधा है, हर ग्राम में इसके जानकार होते थे. उन्होंने इंदौर के वैद्य पं. रामायण शास्त्री का उल्लेख करते हुए बताया कि वे खाने-पीने की चीजों में औषधि देते थे, हजारों रोगियों को इसका लाभ मिलता था. ऐलोपेथी के साथ आयुर्वेद का उपयोग भी करना उपयोगी है.

बाँस की मांग के साथ बढ़ रहा क्षेत्र

सीएम शिवराज ने कहा कि विश्व को बेहतर औषधियाँ चाहिए, जो हमें वनों से प्राप्त हो सकती हैं. हम दुनिया को औषधियां देकर मदद कर सकते हैं और अच्छा लाभ भी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए हमारे वनोपज से जुड़े भाई-बहनों को आगे आना चाहिए. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाँस की मांग बढ़ती जा रही है, इसका क्षेत्र बढ़ रहा है. बाँस से फर्नीचर बनाने और सजावटी सामान के साथ इसके उपयोग का दायरा बढ़ रहा है. वन समितियाँ बाँस के उत्पाद को बढ़ावा दें और बेहतर मुनाफा कमाएँ. (sandalwood product to increase income of triabls in mp)

कोरोना से डरना नहीं लड़ना है
कोरोना के खतरों को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने आगाह किया और कहा कि कोरोना संकट अभी टला नहीं है, हमें इसके लिए सतर्क रहना होगा. कोरोना से बचाव के लिए फेस मास्क का उपयोग आवश्यक है. हम आवश्यक सावधानियों से ही कोरोना की तीसरी लहर से बच सकते हैं. प्रदेश में वैक्सीनेशन का रिकार्ड बना है, प्रत्येक व्यक्ति को दो डोज लगवाना है. वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक काढ़े ने लाखों लोगों को महामारी से बचाया. मध्यप्रदेश ने आयुर्वेद के इस उत्पाद का प्रयोग कर दुनिया में उदाहरण प्रस्तुत किया. वन मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसके आयोजन का उद्देश्य वनोपज उत्पाद करने वाले वनवासियों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके तथा बिचोलियों से उन्हें बचाया जा सके.

वन मंत्री शाह ने कहा कि मेले में पहली बार छह-सात विदेशों के आयुर्वेद डॉक्टर भाग ले रहे हैं. इसके माध्यम से छोटे और गरीब विदेशी डॉक्टरों से इलाज मुफ्त में करा सकते हैं. प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चैहान ने अनेक वन समितियों के सदस्यों से भेंट की. अंतराष्ट्रीय वन मेले में लगभग 300 स्टॉल स्थापित की गई है, जिसमें मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि के हर्बल उत्पादक शामिल हुए है. हर्बल उत्पादों विशेषकर कच्चे माल से लेकर प्र-संस्कृत उत्पादों एवं इससे संबंधित तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया गया है. साथ ही विभिन्न शासकीय विभागों की योजनाओं को भी मेले में प्रदर्शित किया गया.

इनपुट - आईएएनएस

भोपाल। लघु वनोपजों के प्रसंस्करण पर राज्य सरकार अब खास ध्यान देगी. इसके लिए प्रदेश सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वनवासियों और वन समितियों को प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के काम को प्रोत्साहित करेगी. इसके तहत, सरकार चंदन की खेती (sandalwood cultivation in mp) को बढ़ावा देगी. राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में वन विभाग द्वारा आयोजित अतंर्राष्ट्रीय वन मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा. लघु वनोपजों के प्र-संस्करण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. वन-धन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी. उनकी उत्पादित सामग्रियों की पुख्ता विपणन व्यवस्था की जाएगी.

वनवासियों को आय के प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ, धान, चने का उत्पादन कार्य पारम्परिक रूप से बड़े पैमाने पर होता है. इन उत्पादनों के साथ ही चंदन की खेती, बांस उत्पादन, औषधियों के निर्माण में उपयोगी वनोपज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. पर्यावरण के लिए वनों को बचाना आवश्यक है और वनों से वनवासियों को आय भी हो, इसके प्रयास किए जाएंगे. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्राचीन विधा है, हर ग्राम में इसके जानकार होते थे. उन्होंने इंदौर के वैद्य पं. रामायण शास्त्री का उल्लेख करते हुए बताया कि वे खाने-पीने की चीजों में औषधि देते थे, हजारों रोगियों को इसका लाभ मिलता था. ऐलोपेथी के साथ आयुर्वेद का उपयोग भी करना उपयोगी है.

बाँस की मांग के साथ बढ़ रहा क्षेत्र

सीएम शिवराज ने कहा कि विश्व को बेहतर औषधियाँ चाहिए, जो हमें वनों से प्राप्त हो सकती हैं. हम दुनिया को औषधियां देकर मदद कर सकते हैं और अच्छा लाभ भी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए हमारे वनोपज से जुड़े भाई-बहनों को आगे आना चाहिए. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाँस की मांग बढ़ती जा रही है, इसका क्षेत्र बढ़ रहा है. बाँस से फर्नीचर बनाने और सजावटी सामान के साथ इसके उपयोग का दायरा बढ़ रहा है. वन समितियाँ बाँस के उत्पाद को बढ़ावा दें और बेहतर मुनाफा कमाएँ. (sandalwood product to increase income of triabls in mp)

कोरोना से डरना नहीं लड़ना है
कोरोना के खतरों को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने आगाह किया और कहा कि कोरोना संकट अभी टला नहीं है, हमें इसके लिए सतर्क रहना होगा. कोरोना से बचाव के लिए फेस मास्क का उपयोग आवश्यक है. हम आवश्यक सावधानियों से ही कोरोना की तीसरी लहर से बच सकते हैं. प्रदेश में वैक्सीनेशन का रिकार्ड बना है, प्रत्येक व्यक्ति को दो डोज लगवाना है. वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक काढ़े ने लाखों लोगों को महामारी से बचाया. मध्यप्रदेश ने आयुर्वेद के इस उत्पाद का प्रयोग कर दुनिया में उदाहरण प्रस्तुत किया. वन मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसके आयोजन का उद्देश्य वनोपज उत्पाद करने वाले वनवासियों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके तथा बिचोलियों से उन्हें बचाया जा सके.

वन मंत्री शाह ने कहा कि मेले में पहली बार छह-सात विदेशों के आयुर्वेद डॉक्टर भाग ले रहे हैं. इसके माध्यम से छोटे और गरीब विदेशी डॉक्टरों से इलाज मुफ्त में करा सकते हैं. प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चैहान ने अनेक वन समितियों के सदस्यों से भेंट की. अंतराष्ट्रीय वन मेले में लगभग 300 स्टॉल स्थापित की गई है, जिसमें मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि के हर्बल उत्पादक शामिल हुए है. हर्बल उत्पादों विशेषकर कच्चे माल से लेकर प्र-संस्कृत उत्पादों एवं इससे संबंधित तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया गया है. साथ ही विभिन्न शासकीय विभागों की योजनाओं को भी मेले में प्रदर्शित किया गया.

इनपुट - आईएएनएस

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