रायसेन। मध्य प्रदेश सरकार के कालेजों के हाल बुरे हैं. रायसेन जिले के बेगमगंज का कालेज इसका ताजा उदाहरण है. कहने को तो महाविद्यालय है, लेकिन व्यवस्था देखकर आप भी हैरान रह जाएगें. बेगमगंज के शासकीय महाविद्यालय को भोज मुक्त विश्वविद्यालय का एक्जाम सेंटर बनाया गया है. यहां पर परीक्षार्थी तो हैं, लेकिन परीक्षा लेने वाले केंद्राध्यक्ष, अधीक्षक और उप अधीक्षक सब गायब हैं.
ईटीवी भारत पहुंचा परीक्षा केंद्र: बेगमगंज के शासकीय महाविद्यालय में भोज मुक्त विश्वविद्यालय का सुबह 9 बजे से पेपर शुरू हुआ, ईटीवी भारत को बताया गया था कि इस कालेज में परीक्षा लेने वाला कोई भी मौजूद नहीं रहता और जब हमारे संवाददाता ने सुबह 11.30 बजे कालेज पहुंचकर जायजा लिया, तो पाया कि कालेज में परीक्षा तो चल रही थी, लेकिन परीक्षा लेना वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं था. कालेज में काम करने वाले कम्यूटर ऑपरेटर परीक्षा ले रहे थे.
12 बजे परीक्षा खत्म होने के बाद भी जिम्मेदार नहीं पहुंचे: दोबारा ईटीवी भारत ने देखा कि 12 बजे परीक्षा खत्म हो चुकी थी, लेकिन कोई भी जिम्मेदार स्टाफ कालेज नहीं पहुंचा. प्रिंसिपल कल्पना जांबुलकर 12.30 कालेज पहुंचती हैं, ताला खुलवाया जाता है और फिर कहती हैं " मैं तो बैंक गई हुई थी". ईटीवी भारत के संवाददाता ने प्रिंसिपल से बात की.
ड्यूटी रजिस्टर का सच: यहां का ड्यूटी रजिस्टर भी बता रहा है कि परीक्षा अधीक्षक साहू और उप अधीक्षक दीपक अहिरवार के आने का समय 12 बजे के बाद का है, जबकि पेपर का समय 9 से 12 होता है. प्रिंसिपल का खौफ इतना है कि कोई भी बोलने को तैयार नहीं हैं. अतिथि शिक्षक ही समय पर आते हैं, ये थोड़े लेट हो जाएं तो इनकी तनख्वा काट ली जाती है. अतिथि शिक्षकों को कई महीनों से वेतन ही नहीं दिया गया है. प्रिसिंपल का खौफ इतना कि कोई भी कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुआ. कोरोना काल के बाद कालेज तो खुल गए, छात्राएं कालेज आईं लेकिन कोई भी स्टाफ मौजूद नहीं जो उन्हें पढ़ाये.
ईटीवी भारत ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति से बात की: ईटीवी भारत ने जब भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जयंत सोनवलकर से जब फोन पर बात की और उनको पूरा किस्सा बताया तो उन्होंने कहा कि- " सीधे तौर पर इसकी जिम्मेदारी प्रिंसिपल की बनती है और आपने जो बताया है, इस मामले पर हमारा प्रबंधन कड़ी कार्रवाई करेगा.
MP Cabinet Decision: अब 10 साल गांव में पढ़ाना होगा अनिवार्य, कैबिनेट ने नई ट्रांसफर नीति को भी मंजूरी दी
बेगमगंज स्वास्थ्य मंत्री प्रभूराम चौधरी और रामपाल सिंह का क्षेत्र है: बेगमगंज जिला रायसेन में आता है और इस विधानसभा से प्रभुराम चौधरी जो कि स्वास्थ्य मंत्री हैं और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह भी आते हैं, लेकिन एक पूर्व मंत्री और एक वर्तमान मंत्री के जिले का क्या हाल है ये तो आपने देख ही लिया. यह कोई छोटा कस्बा नहीं बल्कि एक शहर है जहां सरकारी कॉलेज खोला गया है. अब ऐसे में सवाल है कि जब जिम्मेदारों को ये नजर नहीं आ रहा तो फिर पढ़ाई की गुणवत्ता कैसे सुधरेगी. बताया जाता है की प्रिंसिपल साहिबा का इतना रसूख है कि यदि इनके खिलाफ कोई जाता है तो उसके खिलाफ झूठी शिकायत कर उसकी छुट्टी कर दी जाती है.
कॉलेज प्रबंधन ने मामले में बचने का रास्ता निकाला : हालांकि, जो खबर मिली है उसके मुताबिक पूरे मामले को दबाने के लिये डॉक्टर का परचा बनवाया जा रहा है, जिससे ये बताया जा सके कि जिम्मेदारों के घर का सदस्य बीमार था इस वजह से परीक्षा केंद्र में परीक्षा आयोजन करने नहीं पहुंच पाये. (Bhoj Open University Exam Center without examiner)