भोपाल। शहर में अगर आपको किसी की भी यहां तक की प्रशासनिक अधिकारियों की कॉल डिटेल ही नहीं बल्कि व्हाट्सअप चैट तक भी मिल सकती है. इसके लिए आपको कुछ पैसे यानि 15 से 25 हजार खर्च करने होंगे. राजधानी में ऐसा हो भी रहा है और इस काम से जुड़ी कई डिटेक्टिव एजेंसियां भी सक्रिय हैं, हालांकि खुल के कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं है, लेकिन ईटीवी भारत ने एक ऐसी ही डिटेक्टिव एजेंसी के दावों के पड़ताल की. आप भी जानिए कैसे होता है ये गोरखधंधा.
जासूसी के नाम पर भंग की जा रही निजता
किसी को अपनी पत्नी या फिर किसी महिला मित्र की जासूसी करवाना है. उसके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करना है तो आपके के लिए शहर में सक्रिय कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां 15 से 25 हजार रुपए में इस काम को कर सकती है. इसके बदले में आपको किसी भी कंपनी (बीएसएनएल) के भी फोन नंबर की तीन महीने की कॉल डिटेल आपको 15 दिन के भीतर मिल जाएगी. डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वालों का दावा तो यह भी है कि ऐसा वे किसी आम आदमी के साथ ही नहीं ब्ल्कि किसी भी नंबर यहां तक भोपाल के ज्वाइंट कलेक्टर तक की कॉल डिटेल निकाल सकते हैं, हालांकि इसके लिए पेमेंट कुछ ज्यादा लगेगा.
ETV भारत ने जाना सच, ऐसे काम करती हैं डिटेक्टिव एजेंसियां
ETV भारत ने शहर के चूनाभट्टी इलाके में संचालित हो रही ग्रेविटी डिटेक्टिव सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के मोबाइल नंबर 07947319703 पर संपर्क किया. रिपोर्टर ने काॅल रिकॉर्डिंग ऑन कर ग्रेविटी के संचालक से प्री मैरिटल इंवेस्टीगेशन कराने के लिए काॅल किया. कॉल आने के कुछ देर बाद ही डिटेक्टिव एजेंसी से एसके झा ईटीवी भारत के रिपोर्टर से मिलने ISBT मिलने पहुंचे.
रिपोर्टर - एक रिश्तेदार की एक युवती से शादी होने जा रही है, जिसकी उन्हें पूरी इंफाॅर्मेशन चाहिए.
एसके झा - युवती की डिटेंल दे दें. 15 दिन में 3 माह की काॅल डिटेल आपको उपलब्ध करा दी जाएगी. कोशिश की जाएगी कि व्हाॅट्सअप चैटिंग की डिटेल भी मिल जाए, लेकिन काॅल डिटेल तो 100 फीसदी मिल जाएगी. इसके लिए 25 हजार रुपए लगेंगे.
एसके झा - भोपाल के एक संयुक्त कलेक्टर की भी तीन माह की काॅल डिटेल देने के लिए तैयार हो गए. इस बातचीत की ईटीवी भारत के पास ऑडियो रिकाॅर्डिंग भी मौजूद है.
अन्य एजेंसियां भी ऑडियो-वीडियो कॉल डिटेल देने को तैयार
ईटीवी भारत ने सिर्फ ग्रेविटी डिटेक्टिव एजेंसी ही नहीं भोपाल के मालवीय नगर से संचालित होने वाली एक अन्य प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी के संचालक से भी बात की. इन्होंने भी तीन माह की काॅल डिटेल 15 हजार रुपए तक में उपलब्ध कराने का दावा किया. एजेंसी संचालक ने बताया कि प्यार, शादी और धोखे के मामले में जरूरी सबूत उपलब्ध करा दिए जाते हैं. ये सबूत ऑडियो-वीडियो, काॅल डिटेल, व्हाट्सएप चैट डिटेल जैसे किसी भी रूप में हो सकता है, हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि डिमांड डिटेल की डिमांड के मुताबिक फीस निर्धारित रहती है.
पुलिस को जानकारी नहीं, रोक लगाने का कोई नियम नही
ईटीवी भारत ने राजधानी में प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों के इस गोरखधंधे का खुलासा करते हुए पुलिस को इसके बारे में बताया. क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़ ने कहा कि अभी तक उनकी जानकारी में इस तरह की कोई शिकायत या राजधानी में ऐसी गतिविधियां हो रही हैं इसकी कोई जानकारी नही हैं. उन्होंने यह जरूर कहा कि यदि इस तरह की गतिविधियां हो रही हैं तो संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें कि प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों को आपकी निजता में सेंध लगाने से रोकने के लिए अभी केंद्रीय स्तर पर कोई नियम नहीं है.केन्द्र सरकार प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियों के संचालन के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी रिगुलेशन बिल लेकर आई थी, लेकिन अभी तक इस बिल को मंजूरी नहीं मिली है.
निजी टेलीकॉम कंपनियों की मिली भगत से चल रहीं हैं डिटेक्टिव एजेंसियां
लंबे तक एक डिटेक्टिव एजेंसी संचालित करने वाले भोपाल के ही एक युवक नाम का खुलासा न करने की शर्त पर बताया कि कॉल डिटेल और व्हाट्सएप चैटिंग की डिटेल निकालने का यह पूरा खेल प्राइवेट टेलीकाॅम कंपनियों की मिलीभगत से चल रहा है. यह कॉल रिकाॅर्डिंग 10 से 15 हजार रुपए में दी जाती हैं. आपको बता दें कि राजधानी भोपाल में ही कई डिटेक्टिव एजेंसियां प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड कर संचालित की जा रही हैं. इनकी जानकारी कई साइट पर भी उपलब्ध है. हालांकि अधिकांश डिटेक्टिव एजेंसी संचालक शुरूआत में अपने क्लाइंट से मिलने से कतराते हैं. मोबाइल पर बीतचीत भी व्हाॅट्सअप काॅलिंग पर ही करते हैं, ताकि उनकी बातचीत रिकाॅर्ड न हो.
एमपी एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव को कुछ पता ही नहीं
आपको बता दें कि की मध्यप्रदेश में सिर्फ 6 प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां ही रजिस्टर्ड हैं. ईटीवी भारत की टीम ने एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र श्रीवास्तव से भी बात की. उन्होंने बताया कि उन्हें नहीं पता कि कौन सी एजेंसियां हैं जो ऐसा काम कर रही हैं. श्रीवास्तव ने बताया कि एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव के मुताबिक मध्यप्रदेश में एसोसिएशन से सिर्फ 6 एजेंसियां रजिस्टर्ड हैं. इनके अलावा यदि कोई डिटेक्टिव एजेंसी इस तरह की अनइथिकल प्रैक्टिस रही है तो उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि वे सावधान रहें और प्री मैट्रिमोनिएल वेरिफकेशन के लिए बेहतर एजेंसियों का चुनाव करें. उन्होंने यह साफ किया कि इस तरह की वेरिफिकेशन में कॉल डिटेल आदि की जरूरत ही नहीं होती है.
आपको बता दें कि इस तरह की प्री मैट्रिमोनियल वेरिफिकेशन करने को लेकर ईटीवी भारत पहले भी ऐसे मामले सामने ला चुका है. खासकर अपने होने वाले लाइफ पार्टनर से जुड़ी डिटेल हासिल करने और लॉयल्टी टेस्ट कराने के लोग एजेंसियों की मदद ले रहे हैं. खास बात यह है कि इस अनइथिकल प्रैक्टिस कर रही कई प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसियां एसोसिएशन के साथ रजिस्टर्ड नहीं है. इसलिए लोगों को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि वे कहीं गलत एजेंसी का चुनाव न कर लें क्योंकि ऐसा होने पर हो सकता है आपकी निजता फिर निजी न रहे.