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देश के 15 फीसदी कोर्ट परिसर में नहीं महिला शौचालय की सुविधा

न्यायिक सुधार के लिए वैध शोध करने वाली एक प्राइवेट थिंक टैंक विधि, सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में भारत के अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों की दयनीय स्थिति का खुलासा हुआ है.

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Published : Jul 28, 2019, 10:54 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 12:08 AM IST

भोपाल। 'बिल्डिंग बेटर कोर्ट्स' पर अदालती ढांचों की कमियों को प्रस्तुत करने और उनका विश्लेषण करने वाली एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक देश के 16 हजार अदालत परिसरों में से लगभग 15 प्रतिशत में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है.

भारत के 15 फीसदी कोर्ट परिसर में नहीं महिला शौचालय

केंद्र की प्रमुख योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में अदालती परिसरों, विशेषकर जिला न्यायालयों में शौचालयों के नवीनीकरण और मरम्मत करने के लिए स्वच्छ न्यायालय परियोजना लॉन्च की थी. इस परियोजना को सभी 16 हजार अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों को छह महीनों के अंदर बेहतर स्थिति में करने के लिए लॉन्च किया गया था.

न्यायिक सुधार के लिए वैध शोध करने वाली एक स्वायत्त थिंक टैंक विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों की दयनीय स्थिति का खुलासा हुआ. 'बिल्डिंग बेटर कोर्ट्स' पर अदालती ढांचों की कमियों को प्रस्तुत करने और उनका विश्लेषण करने वाली एक रिपोर्ट में थिंक टैंक ने कहा कि 15 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं.

आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं, जहां अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया, 'आंध्र प्रदेश में 69 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं. ओडिशा में 60 प्रतिशत और असम में 59 प्रतिशत अदालत परिसरों में यही स्थिति है.' गोवा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मिजोरम ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे कम अदालत परिसरों में शौचालय हैं.
झारखंड में आठ प्रतिशत अदालत परिसरों में शौचालय पूरी तरह संचालित हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में 11 प्रतिशत और मिजोरम में यह आंकड़ा 13 प्रतिशत है. सर्वेक्षण के अनुसार, झारखंड की राजधानी रांची के जिला अदालत परिसर में महिला और पुरुष-किसी के लिए भी शौचालय नहीं है.

भोपाल। 'बिल्डिंग बेटर कोर्ट्स' पर अदालती ढांचों की कमियों को प्रस्तुत करने और उनका विश्लेषण करने वाली एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक देश के 16 हजार अदालत परिसरों में से लगभग 15 प्रतिशत में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है.

भारत के 15 फीसदी कोर्ट परिसर में नहीं महिला शौचालय

केंद्र की प्रमुख योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में अदालती परिसरों, विशेषकर जिला न्यायालयों में शौचालयों के नवीनीकरण और मरम्मत करने के लिए स्वच्छ न्यायालय परियोजना लॉन्च की थी. इस परियोजना को सभी 16 हजार अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों को छह महीनों के अंदर बेहतर स्थिति में करने के लिए लॉन्च किया गया था.

न्यायिक सुधार के लिए वैध शोध करने वाली एक स्वायत्त थिंक टैंक विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों की दयनीय स्थिति का खुलासा हुआ. 'बिल्डिंग बेटर कोर्ट्स' पर अदालती ढांचों की कमियों को प्रस्तुत करने और उनका विश्लेषण करने वाली एक रिपोर्ट में थिंक टैंक ने कहा कि 15 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं.

आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं, जहां अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया, 'आंध्र प्रदेश में 69 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं. ओडिशा में 60 प्रतिशत और असम में 59 प्रतिशत अदालत परिसरों में यही स्थिति है.' गोवा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मिजोरम ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे कम अदालत परिसरों में शौचालय हैं.
झारखंड में आठ प्रतिशत अदालत परिसरों में शौचालय पूरी तरह संचालित हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में 11 प्रतिशत और मिजोरम में यह आंकड़ा 13 प्रतिशत है. सर्वेक्षण के अनुसार, झारखंड की राजधानी रांची के जिला अदालत परिसर में महिला और पुरुष-किसी के लिए भी शौचालय नहीं है.

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Last Updated : Jul 29, 2019, 12:08 AM IST
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