भोपाल। रूस यूक्रेन के युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है, वहीं भारत के लिहाज से देखें तो गेहूं उत्पादन करने वाले प्रदेशों के अन्नदाताओं और व्यापारियों के चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही है. लेकिन कोई दुखी है तो वह है आम जनता, सारी महंगाई की मार आम नागरिक को झेलनी पड़ रही है. (Wheat prices rise in India)
आवक बढ़ने से दामों में गिरावट
प्रदेश की राजधानी भोपाल की अनाज मंडी में गेहूं की आवक जोरदार हो रही है, किसानों को भी पता है कि रूस-यूक्रेन के युद्ध के बाद भारत के गेहूं की डिमांड बढ़ गई है. हालांकि बढ़ती डिमांड देख व्यापारियों ने किसानों से गेहूं तो खरीदा लेकिन कम दामों में पिछले दो दिनों में गेहूं 2300 रुपए प्रति क्विंटल बिका. इसके साथ ही, मंगलवार की सुबह भोपाल मंडी में गेहूं के दामों में गिरावट दर्ज हो गई और व्यापारी इसे 2000 से नीचे दाम में ले रहे हैं.
अच्छे दामों में एक्सपोर्ट होगा गेहूं
ईटीवी भारत ने जब भोपाल की गल्ला मंडी में जाकर व्यापारी और किसान से गेहूं की बढ़ती डिमांड पर बात की तो व्यापारी संजीव जैन का कहा कि, पूरे देशों से गेहूं की डिमांड आ रही है और मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां से भी गेहूं एक्सपोर्ट के ऑर्डर आ रहे हैं. संजीव जैन का कहना है कि, लगातार डिमांड के चलते पिछले हफ्ते गेहूं के दाम 2300 से 2400 प्रति क्विंटल बिके, व्यापारियों के चेहरों पर खुशी है क्योंकि उनको पता है कि किसानों से भले ही वह कम दामों में गेहूं लेंगे लेकिन उनके द्वारा लिया गया गेहूं अच्छे दामों में एक्सपोर्ट होगा.
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गेहूं बिक्री से किसान नाराज
गल्ला व्यापारी जब किसानों से पूछा की उनका गेहूं कितने में बिक रहा है तो कुछ किसानों ने कहा कि, पिछले चार-पांच दिन से गेहूं के अच्छे दाम मिल रहे हैं. मंडी में 2300 रुपए में गेहूं बिका, लेकिन कुछ किसान इस दौरान मायूस भी दिखे उनका कहना है कि, हमें पता चला है कि मंडी में गेहूं के भाव अच्छे हैं लेकिन जब हम यहां पर अपना माल लेकर आए तो व्यापारी 1600 से लेकर 1800 रुपए प्रति क्विंटल भाव में खरीद रहे है.
भारत है गेहूं का बड़ा सप्लायर
मण्डी में जब व्यापारी से पूछा कि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की किल्लत बनी हुई है और भारत एक बहुत बड़ा सप्लायर है और मध्य प्रदेश में भी गेहूं का खाता उत्पादन होता है तो क्या वजह है कि आप किसानों का गेहूं 1600 रुपए क्विंटल ले रहे हैं. व्यापारी का तर्क है कि, किसान इस वक्त गीला गेहूं आ रहा है और गीला गेहूं थोड़े दिन बाद काला पड़ जाता है. जिसके कारण गीले गेहूं का दाम कम है.
महंगाई की मार जनता पर
गल्ला व्यापारी व्यापारियों का अनुमान है कि, अब गेहूं 4 से 5 रुपये प्रति किलो महंगा हो जाएगा, जिसका असर सीधे जनता पर पड़ेगा. लेकिन इससे किसानों को फायदा होगा, वहीं आटे के थोक विक्रेता का कहना है कि, रूस यूक्रेन के युद्ध का असर आटे पर पड़ चुका है, आटे के दाम तीन से चार रुपए प्रति किलो बढ़ गए हैं और मैदा के दाम भी बढ़ चुके हैं.(Wheat Flour becomes expensive in Madhya Pradesh)
रसोई पर पड़ रहा युद्ध का असर
वहीं, अब इस युद्ध का असर बेकरी के क्षेत्र में भी पड़ेगा बेकरी के प्रोडक्ट्स भी महंगे हो गए हैं. मैदा, आटा और तेल महंगे होने से अब टोस्ट या फिर दूसरे बेकरी आइटम महंगे बिकने लगे हैं. (Russian-Ukraine war impact in mp)
हल साल मप्र कितना पैदा होता है गेहूं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछ्ले साल 88.28 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था. पिछले सालों में मध्य प्रदेश गेहूं में नंबर एक राज्य बन गया है. मध्य प्रदेश को 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड भी मिला है, गेहूं की उत्पादक 2850 किलोग्राम से बढ़कर 3115 किलोग्राम हो गई है जो कि देश की उत्पादकता के करीब है. मध्य प्रदेश सरकार का अनुमान है इस बार 140 लाख मैट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा और गेहूं का समर्थन मूल्य ₹2015 प्रति क्विंटल रखा गया है. हालांकि, केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में पंजाब में 132.10 मैट्रिक टन गेहूं खरीदा गया तो मध्यप्रदेश में 128.09 लाख मैट्रिक टन खरीदा. वहीं 2021-22 में 427.36 लाख मैट्रिक टन खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया था, गेहूं का समर्थन मूल्य 2017 में 1625 था, 2018 में 1735 , 2019 में 1840, 2020 में 1925, 2021 में 1975, 2022 में 2015 रहा है.