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MP मेडिकल यूनिवर्सिटी में 'व्यापमं' की आशंका, HC में याचिका दाखिल, ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने तैयार किया रिजल्ट, अंको में हेराफेरी के आरोप

इस मामले में एक जनहित याचिका दाखिल करते हुए राज्य सरकार से मेडिकल यूनिवर्सिटी का वित्तीय नियंत्रण अपने हाथ में लेने की मांग भी की गई थी. जिसका निराकरण करते हुए माननीय कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस संबंध में राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपने को कहा है.

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MP मेडिकल यूनिवर्सिटी में 'व्यापमं' की आशंका
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Published : Jul 22, 2021, 9:02 PM IST

जबलपुर। प्रैक्टिकल में कम अंक दिये जाने को चुनौती देते हुए एक पीडित छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में चली रही अनियमितताओं का भी खुलासा किया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस व्ही सिंह की युगलपीठ ने मेडिकल युनिवर्सिटी संचालकों और सरकार से जवाब मांगा है.

यह है पूरा मामला

प्रैक्टिकल में कम अंक दिये जाने को चुनौती दिए जाने को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता छात्रा राधा समता की तरफ से कहा गया है कि वह अरविंदो कॉलेज इंदौर में एमबीबीएस थर्ड ईयर की छात्रा है. उन्हे सभी विषय में अच्छें अंक प्राप्त हुए थे, जबकि एक विषय के प्रैक्टिकल में सिर्फ उन्हें 10 अंक प्रदान किये गए. जिसकी वजह से उसे प्रैक्टिकल में सेप्लिमेंटी दी गयी. छात्रा का कहना है कि उसका प्रैक्टिकल अच्छा रहा था बावजूद इसके सिर्फ 10 अंक दिये जाने के संबंध में उन्होंने मेडिकल यूनिवर्सिटी से पत्र लिखकर मामले की जांच कराने और पुनः प्रैक्टिकल करवाये जाने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं की गई है. इस मामले को चुनौती देते हुए छात्रा ने हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी.

कंपनी को दिया गया है रिजल्ट बनाने का ठेका
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने हाईकोर्ट की युगलपीठ को बताया कि परीक्षा तथा रिजल्ट बनाने के लिए विश्व विद्यालय ने एक ऐसी कंपनी को ठेका दिया था, जिसके खिलाफ अंको की हेराफेरी किये जाने के संबंध में धोखाधडी सहित अन्य धाराओं के तहत आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने साल 2018 में प्रकरण दर्ज करवाया था. कंपनी के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद भी ऐसी कंपनी को रिजल्ट तैयार करने का ठेका दिया गया. मध्य प्रदेश में भी कई दूसरे विश्व विद्यालय ने अंको की फेराफेरी करने के आरोप में उक्त कंपनी को हाल में ही निलंबित किया है. कंपनी ने कई छात्रों के अंको में हेराफेरी की है यह बात भी जांच में उजागर हुई है. अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान व्यापमं स्तर का घोटाला मध्य प्रदेष विष्व विद्यालय में हुआ है, जिसक खामियाज योग्य विद्यार्थियों को भुगतना पड रहा है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेष जारी किये।

राज्य सरकार अपने हाथ में ले नियंत्रण

इस मामले में दाखिल की गई एक जनहित में याचिका में हाईकोर्ट से मेडिकल यूनिवर्सिटी का वित्तीय नियंत्रण सरकार के हाथ में लेने के निर्देश जारी किए जाने की भी मांग की गई थी.जिसपर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्म्द रफीक तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने इसे व्यक्तिगत याचिका मानते हुए कहा है कि इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को है. याचिकाकर्ता को इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष ज्ञापन देना चाहिए. मामले में जनहित याचिका भारत विकास परिषद के प्रांत अध्यक्ष अलोक मिश्रा की तरफ से दायर की गयी थी. जिसमें मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई वित्तीय अनियमितताओं को चुनौती दी गयी थी. याचिका में प्रदेश सरकार से मेडिकल यूनिवर्सिटी अधिनियम की धारा 50 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यूनिवर्सिटी का वित्तीय नियंत्रण अपने हाथ में लेने की मांग की गई थी.

जबलपुर। प्रैक्टिकल में कम अंक दिये जाने को चुनौती देते हुए एक पीडित छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में चली रही अनियमितताओं का भी खुलासा किया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस व्ही सिंह की युगलपीठ ने मेडिकल युनिवर्सिटी संचालकों और सरकार से जवाब मांगा है.

यह है पूरा मामला

प्रैक्टिकल में कम अंक दिये जाने को चुनौती दिए जाने को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता छात्रा राधा समता की तरफ से कहा गया है कि वह अरविंदो कॉलेज इंदौर में एमबीबीएस थर्ड ईयर की छात्रा है. उन्हे सभी विषय में अच्छें अंक प्राप्त हुए थे, जबकि एक विषय के प्रैक्टिकल में सिर्फ उन्हें 10 अंक प्रदान किये गए. जिसकी वजह से उसे प्रैक्टिकल में सेप्लिमेंटी दी गयी. छात्रा का कहना है कि उसका प्रैक्टिकल अच्छा रहा था बावजूद इसके सिर्फ 10 अंक दिये जाने के संबंध में उन्होंने मेडिकल यूनिवर्सिटी से पत्र लिखकर मामले की जांच कराने और पुनः प्रैक्टिकल करवाये जाने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं की गई है. इस मामले को चुनौती देते हुए छात्रा ने हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी.

कंपनी को दिया गया है रिजल्ट बनाने का ठेका
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने हाईकोर्ट की युगलपीठ को बताया कि परीक्षा तथा रिजल्ट बनाने के लिए विश्व विद्यालय ने एक ऐसी कंपनी को ठेका दिया था, जिसके खिलाफ अंको की हेराफेरी किये जाने के संबंध में धोखाधडी सहित अन्य धाराओं के तहत आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने साल 2018 में प्रकरण दर्ज करवाया था. कंपनी के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद भी ऐसी कंपनी को रिजल्ट तैयार करने का ठेका दिया गया. मध्य प्रदेश में भी कई दूसरे विश्व विद्यालय ने अंको की फेराफेरी करने के आरोप में उक्त कंपनी को हाल में ही निलंबित किया है. कंपनी ने कई छात्रों के अंको में हेराफेरी की है यह बात भी जांच में उजागर हुई है. अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान व्यापमं स्तर का घोटाला मध्य प्रदेष विष्व विद्यालय में हुआ है, जिसक खामियाज योग्य विद्यार्थियों को भुगतना पड रहा है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेष जारी किये।

राज्य सरकार अपने हाथ में ले नियंत्रण

इस मामले में दाखिल की गई एक जनहित में याचिका में हाईकोर्ट से मेडिकल यूनिवर्सिटी का वित्तीय नियंत्रण सरकार के हाथ में लेने के निर्देश जारी किए जाने की भी मांग की गई थी.जिसपर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्म्द रफीक तथा जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने इसे व्यक्तिगत याचिका मानते हुए कहा है कि इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को है. याचिकाकर्ता को इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष ज्ञापन देना चाहिए. मामले में जनहित याचिका भारत विकास परिषद के प्रांत अध्यक्ष अलोक मिश्रा की तरफ से दायर की गयी थी. जिसमें मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुई वित्तीय अनियमितताओं को चुनौती दी गयी थी. याचिका में प्रदेश सरकार से मेडिकल यूनिवर्सिटी अधिनियम की धारा 50 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यूनिवर्सिटी का वित्तीय नियंत्रण अपने हाथ में लेने की मांग की गई थी.

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