जबलपुर। मध्य प्रदेश ओबीसी आयोग के मौजूदा चेयरमैन और भाजपा विधायक गौरीशंकर विसेन के खिलाफ लोकायुक्त जांच के आदेश हुए हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ औरा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने ऐसे आदेश जारी करते हुए लोकायुक्त को को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में कानून के मुताबिक कार्रवाई करें.
संपत्ति में असामान्य बढ़ोत्तरी का मामला: पूर्व विधायक किशोर समरिते ने 2012 में एक जनहित याचिका दाखिल कर आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन के पास वर्ष 1984 में कोई खास संपत्ति नहीं थी. विधायक व मंत्री रहते हुए उनकी संपत्तियों में लगातार असामान्य बढ़ोत्तरी हुई है. कई बेशकीमती संपत्तियां उनके व उनके परिवार के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गयी हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि सामान्य रूप से किसी व्यक्ति की संपत्ति में इतनी बढ़ोत्तरी नहीं हो सकती. विसेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए संपत्तियां हासिल कीं. श्री बिसेन द्वारा 2003 से 2011 के बीच चुनाव आयोग को दी गई संपत्तियों की जानकारियां भी याचिका के साथ प्रस्तुत की गयी थी. याचिका में कहा गया था संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नही करने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है.
कुछ ही सालों में खरीदी करोड़ों की संपत्ति: याचिका में कहा गया था कि मंत्री विसेन ने-
- अपनी पुत्री मौसम के नाम पर पुणे में 50 लाख रुपयों का फ्लैट खरीदा.
- बालाघाट कलेक्टर के निवास के सामने ढाई करोड़ रुपए की जमीन खरीदी.
- बालाघाट के पटेरिया कैम्पस में पत्नी रेखा बिसेन के नाम पर 91 लाख रुपयों की जमीन खरीदी, जबकि वह एक गृहिणी ही हैं.
- सेनीटरी पाइप बनाने वाली एक फैक्ट्री उन्होंने 90 लाख रुपयों में खरीदी.
- कोठारी दाल मिल गर्रा के पास 7 करोड़ रुपयों की कृषि भूमि और वारासिवनी में मदरसा के पास 5 एकड़ जमीन खरीदी.
- बालाघाट में करोड़ों रुपए में 11 एकड़ जमीन बेनामी संपत्ति के रूप में खरीदी है.
कोर्ट ने लिया संज्ञान, कोर्ट मित्र भी नियुक्त: हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए वरिष्ट अधिवक्ता अधिवक्ता नमन नागरथ को कोर्ट मित्र नियुक्त किया था. बेंच नेने जून 2014 को पारित आदेश में हाईकोर्ट को रजिस्ट्री को याचिका की प्रति लोकायुक्त को देने के निर्देश दिये थे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को लोकायुक्त के समक्ष जांच के लिए अभ्यावेदन पेश करने निर्देश दिए थे. युगलपीठ ने लोकायुक्त को निर्देश जारी किये थे कि शिकायत पर जांच कर विधि अनुसार कार्यवाही करें. हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ मंत्री विसेन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. जिसके बाद SC ने हाईकोर्ट को याचिका पर पुनः सुनवाई के निर्देश दिये थे. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में याचिका की पुनः सुनवाई प्रारंभ की थी. जिसपर हाईकोर्ट की बेंच ने बुधवार को याचिका का निराकरण करते हुए लोकायुक्त को इस मामले में उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.