भोपाल। शनिवार को संघ के शिक्षा वर्ग का समापन हुआ, जिसमें देश विदेश से आये स्वयं सेवकों ने हिस्सा लिया. समापन सत्र के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारत को विश्व गुरु बनाना है, तो हमें अर्थ काम बंधन से मुक्त होना होगा. आज पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा है, आज सब कुछ होने के बाद भी दुनिया में कलह कायम है. पर्यावरण संकट से जूझ रहे हैं, कट्टरता मिट नहीं रही. उन्होंने बताया कि, युवा पीढ़ी को संघ का काम सारे विश्व में ले जाना है. शाखा पद्धति व्यक्ति को सदाचारी बनाती है, पर ऐसा काम करें कि हिंदू समाज दुनिया में उदाहरण बने. संघ का प्रचार प्रसार इस तरह होना चाहिए कि विदेश के व्यक्तियों को भी लगने लगे कि हमारे देश में भी ऐसा संगठन होना चाहिए. संघ सबको आत्मीयता देता है और सनातन धर्म मुक्ति के द्वार खोलने की प्रेरणा दे रहा है.
विश्व में धाक जमा रहा संघ: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों में यह बता दिया कि जिस तरह से विरोधी संघ को प्रसारित करते हैं, संघ वैसा नहीं है. बल्कि संघ विश्व के लोगों में अपनी धाक जमा रहा है और अब लोग विदेशों में भी संघ से जुड़ रहे हैं और उसके आचरण और विचारधारा को अपना रहे हैं. स्वयंसेवक ऐसा उदाहरण पेश करें कि, विदेशी भी कहने लगे कि हमें भी संघ जैसा बनना है. अपने आचार विचार से भारत विश्व गुरु बने.
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मोहन भागवत की लोभ लालच से बचने की सलाह: संघ प्रमुख ने भारतीयों का उदाहरण देते हुए कहा कि, भारतवासी विदेशों में बसे हैं उन पर एक भी दाग नहीं है. बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीय ऐसेट (asset) बन गए हैं. अपने भाषण में उन्होंने साफ कहा कि, यदि भारत को विश्व गुरु बनना है तो लोगों को लोभ लालच से बचना चाहिए और एक अनुपम उदाहरण पेश करके ही भारत विश्व का सिरमौर बन सकता है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विश्व संघ शिक्षा वर्ग का समापन में 'विश्व विभाग द्वितीय वर्ष प्रगट कार्यक्रम' हुआ. शिक्षा वर्ग का आयोजन भोपाल में 18 जुलाई से चल रहा है. जिसमें अमेरिका, कनाडा, मोरिशस, सिंगापुर सहित 13 देशों से भोपाल आए 53 स्वयं सेवकों ने प्रशिक्षण लिया है. पिछले दो दिन से डॉ. भागवत प्रशिक्षणार्थियों की बैठकों में शामिल हुए.
हिंदू स्वयंसेवक का सपना सुंदर दुनिया: संघ सुप्रीमों मोहन भागवत ने संघ शिक्षा वर्ग के समापन पर समरसता का संदेश दिया. संघ प्रमुख ने कहा, सबको जोड़ने वाले सत्य को हमने पाया है. हमने असतित्व की एकता को खोज लिया. सब जुड़े हैं सब संबंधित हैं, इसलिए सबको साथ मिलकर चलना है. उन्होने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में मिलने वाली शिक्षा और संस्कार को रेखांकित करते हुए कहा कि, सारा विश्व मानव जीवन की ये शिक्षा भारत से पाए तभी तो भारत विश्व गुरु बनेगा. उन्होने कहा कि छोटा सा संघ आज विश्वव्यापी रुप ले चुका है. संघ का विश्व भर में विस्तार करने का आव्हान करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अप्रवासी भारतीयों का भी जिक्र किया और कहा कि उनके आचरण पर कोई धब्बा नहीं. ये सपना लेकर हिंदू स्वयंसेवक का काम उन देश में चलता है.