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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए फिर शुरु हुई सुगबुगाहट, दावेदारों ने दिल्ली दरबार में डाला डेरा

मध्य प्रदेश कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नए नाम की कवायद शुरु हो गई है. फिलहाल कमलनाथ मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. इसलिए पार्टी अब इस पद पर नए नेता का चयन करने की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है कि जनवरी में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा.

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Published : Jan 3, 2020, 11:56 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए हलचल शुरु हो गई है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष जनवरी में मिल जाएगा. यही वजह है कि सभी दावेदार दिल्ली दरबार में डेरा जमाए हुए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ने की बात कह चुके हैं. लेकिन सरकार बनने के एक साल बाद भी पार्टी अब तक नए अध्यक्ष का चयन नहीं कर सकी है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए फिर शुरु हुई सुगबुगाहट

कांग्रेस सरकार को एक साल हो चुका है, काम बढ़ा है, सीएम कमलनाथ पर भार भी बढ़ा है. इसलिए पार्टी अब उनके कंधों का भार कम कर प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान नए नेता को सौंपने की तैयारी में है. पार्टी ये जिम्मेदारी किसे देगी ये तो तय नहीं है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान सीएम कमलनाथ की पसंद को तरजीह दे सकता है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे चल रहा है. लेकिन सूबे की सियासत में दो पावर हाउस ना बन जाए, इसलिए आलाकमान फैसला लेने की जल्दबाजी नहीं कर रहा.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, अरुण यादव, मंत्री बाला बच्चन और शोभा ओझा भी दावेदार है. जबकि झारंखड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सह प्रभारी रहे वन मंत्री उमंग सिंघार का नाम भी तेजी से सुर्खियों में आया है. झारखंड में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए सत्ता में वापसी भी की है. जिससे दावा मजबूत है.

प्रदेश अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि आलाकमान मंथन में जुटा है. जल्द ही पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की सुगबुगाहट भी तेज हो चुकी है. इसलिए पार्टी निकाय चुनाव से पहले ही नया सेनापति चुन लेना चाहती है. ताकि नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ सीएम कमलनाथ निकाय के चुनावी रण में कांग्रेस को फतह दिला सके.

भोपाल। मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए हलचल शुरु हो गई है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष जनवरी में मिल जाएगा. यही वजह है कि सभी दावेदार दिल्ली दरबार में डेरा जमाए हुए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ने की बात कह चुके हैं. लेकिन सरकार बनने के एक साल बाद भी पार्टी अब तक नए अध्यक्ष का चयन नहीं कर सकी है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए फिर शुरु हुई सुगबुगाहट

कांग्रेस सरकार को एक साल हो चुका है, काम बढ़ा है, सीएम कमलनाथ पर भार भी बढ़ा है. इसलिए पार्टी अब उनके कंधों का भार कम कर प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान नए नेता को सौंपने की तैयारी में है. पार्टी ये जिम्मेदारी किसे देगी ये तो तय नहीं है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान सीएम कमलनाथ की पसंद को तरजीह दे सकता है.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे चल रहा है. लेकिन सूबे की सियासत में दो पावर हाउस ना बन जाए, इसलिए आलाकमान फैसला लेने की जल्दबाजी नहीं कर रहा.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, अरुण यादव, मंत्री बाला बच्चन और शोभा ओझा भी दावेदार है. जबकि झारंखड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सह प्रभारी रहे वन मंत्री उमंग सिंघार का नाम भी तेजी से सुर्खियों में आया है. झारखंड में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए सत्ता में वापसी भी की है. जिससे दावा मजबूत है.

प्रदेश अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि आलाकमान मंथन में जुटा है. जल्द ही पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की सुगबुगाहट भी तेज हो चुकी है. इसलिए पार्टी निकाय चुनाव से पहले ही नया सेनापति चुन लेना चाहती है. ताकि नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ सीएम कमलनाथ निकाय के चुनावी रण में कांग्रेस को फतह दिला सके.

Intro:भोपाल। मप्र के सियासी गलियारों में एक बार फिर नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति की हलचल बढ़ गई है। चर्चा है कि इसी माह मप्र कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है। इन सुगबुगाहट के बीच प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदार दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इन दावेदारों में जहां वरिष्ठ और दिग्गज कांग्रेसी नेता है। तो दूसरी तरफ आदिवासी समुदाय की अगुवाई करने वाले नेता भी है। नया नाम महिला प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर भी चर्चा में आया है। दरअसल मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ने का आग्रह एआईसीसी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से कर चुके हैं। लेकिन पिछली बार पूरी कवायद हो जाने के बाद सिंधिया समर्थकों के हंगामे के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। अब एक बार फिर नए प्रदेशाध्यक्ष की सुगबुगाहट सियासी गलियारों में सुनाई दे रही है।


Body:प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति की सुगबुगाहट के बीच दावेदारों ने दिल्ली में डेरा डाल लिया है। प्रदेशाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदारों में सबसे पहला नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का सामने आ रहा है।गांधी परिवार के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक लगातार उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन मप्र की सियासत में दो पावर हाउस ना बन जाए,इन परिस्थितियों के चलते आलाकमान निर्णय लेने की जल्दबाजी नहीं कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ जो दिग्गज दावेदारों के नाम सामने आ रहा है। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह का सामने आ रहा है। दिग्विजय सिंह से करीबी के चलते अजय सिंह मुख्यमंत्री कमलनाथ की गुड लिस्ट में है। माना जा रहा है कि अगर अजय सिंह अध्यक्ष बनते हैं, तो बतौर मुख्यमंत्री कमलनाथ को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।ऐसी स्थिति में अजय सिंह का दावा प्रबल हो रहा है. लेकिन सिंधिया खेमा अजय सिंह की दावेदारी का विरोध कर सकता है।

दिग्गज दावेदारों के अलावा वर्ग विशेष के आधार पर कमलनाथ सरकार के गृहमंत्री बाला बच्चन और वन मंत्री उमंग सिंगार का नाम भी तेजी से सुर्खियों में आया है। दरअसल इन दोनों मंत्रियों की दावेदारी आदिवासी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिए जाने के नाम पर आगे बढ़ रही है। क्योंकि मप्र विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से आदिवासी समुदाय की 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। ऐसे में आदिवासी समुदाय को प्रदेशाध्यक्ष का पद देकर कांग्रेस इस समुदाय में अपनी मजबूत पकड़ करना चाहती है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी गृहमंत्री बाला बच्चन के प्रबल दावेदार हैं। वहीं दूसरी तरफ पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंघार का नाम भी तेजी से सुर्खियों में आया है।

इस सारी कवायद के बीच एक सबसे बड़ा बदलाव महिला प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सामने आया है। दरअसल कांग्रेसी खेमे में चर्चा चल रही है कि लंबे समय से मध्यप्रदेश में किसी महिला को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। इसलिए यह जिम्मेदारी किसी महिला को दी जाए। इन दावेदारों में सबसे मजबूत नाम सीएम कमलनाथ और एआईसीसी की मुखिया सोनिया गांधी की करीबी शोभा ओझा का सामने आ रहा है। शोभा ओझा राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं और फिलहाल मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष हैं।कमलनाथ की करीबी हैं और गांधी परिवार का भी विश्वास उन्हें हासिल है। अगर कांग्रेस महिला प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने पर विचार करती है, तो शोभा ओझा का दावा सबसे मजबूत होगा।


Conclusion:इस मामले में मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि उम्मीद तो है और ऐसा होना भी चाहिए कार्यकर्ताओं की सोच है और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी निर्णय लिया है कि जल्दी से जल्दी मप्र को नया प्रदेश अध्यक्ष दिलवाए। क्योंकि वे मुख्यमंत्री के दायित्व में संगठन को उतना समय नहीं दे पा रहे हैं। वो खुद चाहते हैं कि संगठन को नया अध्यक्ष मिल जाए। निश्चित ही केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर विचार करेगा, जल्दी से जल्दी प्रदेश को एक नया अध्यक्ष मिलेगा और संगठन नई सोच और नई व्यक्ति के साथ नई तेजी से आगे बढ़ेगा।

नगरी निकाय चुनाव के पहले प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब यह तो निर्णय केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेना है।यदि नए नए नेतृत्व के साथ नगरीय निकाय चुनाव होगा तो पार्टी को फायदा मिलेगा।
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