भोपाल। मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में एक बार फिर नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए हलचल शुरु हो गई है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस को नया प्रदेश अध्यक्ष जनवरी में मिल जाएगा. यही वजह है कि सभी दावेदार दिल्ली दरबार में डेरा जमाए हुए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ने की बात कह चुके हैं. लेकिन सरकार बनने के एक साल बाद भी पार्टी अब तक नए अध्यक्ष का चयन नहीं कर सकी है.
कांग्रेस सरकार को एक साल हो चुका है, काम बढ़ा है, सीएम कमलनाथ पर भार भी बढ़ा है. इसलिए पार्टी अब उनके कंधों का भार कम कर प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान नए नेता को सौंपने की तैयारी में है. पार्टी ये जिम्मेदारी किसे देगी ये तो तय नहीं है. लेकिन कांग्रेस आलाकमान सीएम कमलनाथ की पसंद को तरजीह दे सकता है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे चल रहा है. लेकिन सूबे की सियासत में दो पावर हाउस ना बन जाए, इसलिए आलाकमान फैसला लेने की जल्दबाजी नहीं कर रहा.
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, अरुण यादव, मंत्री बाला बच्चन और शोभा ओझा भी दावेदार है. जबकि झारंखड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सह प्रभारी रहे वन मंत्री उमंग सिंघार का नाम भी तेजी से सुर्खियों में आया है. झारखंड में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए सत्ता में वापसी भी की है. जिससे दावा मजबूत है.
प्रदेश अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि आलाकमान मंथन में जुटा है. जल्द ही पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा. मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की सुगबुगाहट भी तेज हो चुकी है. इसलिए पार्टी निकाय चुनाव से पहले ही नया सेनापति चुन लेना चाहती है. ताकि नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ सीएम कमलनाथ निकाय के चुनावी रण में कांग्रेस को फतह दिला सके.