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संघ, शिवराज और सिंधिया की राय से बनेगा मंत्रिमंडल, 14 अप्रैल के बाद हो सकता है गठन !

मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के आसार अब 14 अप्रैल के बाद ही बनते दिख रहे हैं, माना जा रहा है कि जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा प्रदेश में सबसे पहले शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा. माना जा रहा है कि प्रदेश में होने वाले मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ आरएसएस का दखल रहेगा.

scindia and shivraj
ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान
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Published : Apr 5, 2020, 5:49 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बने दो हफ्ते से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है. जिससे प्रदेश के सभी अहम विभाग खाली पड़े हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही राजधानी भोपाल से पूरे प्रदेश का जिम्मा संभाल रहे हैं. माना जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद जैसे ही लॉकडाउन हटेगा, प्रदेश में सबसे पहला काम मंत्रिमंडल के गठन का होगा. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के बदले हालातों में अब शिवराज और सिंधिया के साथ संघ की पंसद के कुछ मंत्री भी शामिल होंगे.

क्षेत्रीय, जातिगत और वरिष्ठता के आधार पर चयन

सियासी जानकारों का मानना है कि प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते प्रदेश की सियासी स्थितियां भी बदली हैं. जिन 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां अब नए सिरे से ही रणनीतियां बनानी पड़ेगी. ऐसे में मंत्रिमंडल में बीजेपी उन चेहरों को जगह देना चाहती है, जो इन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दौरान कारगर सिद्ध हो सकें. पार्टी क्षेत्रीय के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी साधना चाहती है. क्योंकि प्रदेश की लगभग सभी अंचल की एक या एक से अधिक सीट पर चुनाव होना है, ऐसे में सभी को बराबर का प्रतिनिधित्व मिले इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

सिंधिया- शिवराज के तालमेल से मंत्रिमंडल का गठन

मध्य प्रदेश में दोबारा से बीजेपी की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से ही बनी है, ऐसे में मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक 10 मंत्रियों के शामिल होने की पूरी संभावना है. लेकिन बदली परिस्थितियों में अब सिंधिया समर्थकों में दो मंत्री कम भी किए जा सकते हैं जिन्हें बाद में उपचुनाव के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी. सिंधिया समर्थकों की बात करें तो 6 पूर्व मंत्रियों को तो जगह मिलना तय माना जा रहा. इसके अलावा बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और हरदीप सिंह डंग के नामों पर चर्चा चल रही है.

गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शुक्ल, यशोधरा राजे सिंधिया, भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के साथ इस बार शिवराज सिंह चौहान के भी कुछ खास विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. ताकि पार्टी में समन्वय बना रहे. तो पिछली सरकार में जो विधायक जूनियर मंत्री थे उन्हें इस बार सीधे कैबिनेट मंत्री भी बनाए जाने की पूरी संभावना है. जिनमें संजय पाठक, विश्वास सारंग का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है, क्योंकि इन दो नेताओं का सत्ता परिवर्तन में अहम योगदान रहा था. ऐसे में इन्हें इस बार सीधे कैबिनेट में जगह दी जाएगी.

संघ की पसंद को भी मिलेगी तवज्जो

बताया जा रहा है कि उपचुनाव को देखते हुए प्रदेश में संघ का दखल भी मंत्रिमंडल के विस्तार में रहेगा. क्योंकि उपचुनाव की अधिकतर सीटें ग्वालियर-चंबल और मालवांचल की हैं. जहां संघ का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. सूत्रों का दावा है कि संघ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को निर्देशित किया सभी से तालमेल बनाकर ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए. ताकि बीजेपी विधायकों में समनव्य बना रहे हैं. कुल मिलाकर बीजेपी मंत्रिमंडल का गठन ऐसा करना चाहती है कि किसी भी प्रकार से पार्टी में नाराजगी न हो.

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बने दो हफ्ते से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रदेश में अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हुआ है. जिससे प्रदेश के सभी अहम विभाग खाली पड़े हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही राजधानी भोपाल से पूरे प्रदेश का जिम्मा संभाल रहे हैं. माना जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद जैसे ही लॉकडाउन हटेगा, प्रदेश में सबसे पहला काम मंत्रिमंडल के गठन का होगा. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के बदले हालातों में अब शिवराज और सिंधिया के साथ संघ की पंसद के कुछ मंत्री भी शामिल होंगे.

क्षेत्रीय, जातिगत और वरिष्ठता के आधार पर चयन

सियासी जानकारों का मानना है कि प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते प्रदेश की सियासी स्थितियां भी बदली हैं. जिन 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां अब नए सिरे से ही रणनीतियां बनानी पड़ेगी. ऐसे में मंत्रिमंडल में बीजेपी उन चेहरों को जगह देना चाहती है, जो इन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दौरान कारगर सिद्ध हो सकें. पार्टी क्षेत्रीय के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी साधना चाहती है. क्योंकि प्रदेश की लगभग सभी अंचल की एक या एक से अधिक सीट पर चुनाव होना है, ऐसे में सभी को बराबर का प्रतिनिधित्व मिले इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

सिंधिया- शिवराज के तालमेल से मंत्रिमंडल का गठन

मध्य प्रदेश में दोबारा से बीजेपी की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से ही बनी है, ऐसे में मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक 10 मंत्रियों के शामिल होने की पूरी संभावना है. लेकिन बदली परिस्थितियों में अब सिंधिया समर्थकों में दो मंत्री कम भी किए जा सकते हैं जिन्हें बाद में उपचुनाव के नतीजों के बाद मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी. सिंधिया समर्थकों की बात करें तो 6 पूर्व मंत्रियों को तो जगह मिलना तय माना जा रहा. इसके अलावा बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव और हरदीप सिंह डंग के नामों पर चर्चा चल रही है.

गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शुक्ल, यशोधरा राजे सिंधिया, भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के साथ इस बार शिवराज सिंह चौहान के भी कुछ खास विधायकों को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. ताकि पार्टी में समन्वय बना रहे. तो पिछली सरकार में जो विधायक जूनियर मंत्री थे उन्हें इस बार सीधे कैबिनेट मंत्री भी बनाए जाने की पूरी संभावना है. जिनमें संजय पाठक, विश्वास सारंग का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है, क्योंकि इन दो नेताओं का सत्ता परिवर्तन में अहम योगदान रहा था. ऐसे में इन्हें इस बार सीधे कैबिनेट में जगह दी जाएगी.

संघ की पसंद को भी मिलेगी तवज्जो

बताया जा रहा है कि उपचुनाव को देखते हुए प्रदेश में संघ का दखल भी मंत्रिमंडल के विस्तार में रहेगा. क्योंकि उपचुनाव की अधिकतर सीटें ग्वालियर-चंबल और मालवांचल की हैं. जहां संघ का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. सूत्रों का दावा है कि संघ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को निर्देशित किया सभी से तालमेल बनाकर ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए. ताकि बीजेपी विधायकों में समनव्य बना रहे हैं. कुल मिलाकर बीजेपी मंत्रिमंडल का गठन ऐसा करना चाहती है कि किसी भी प्रकार से पार्टी में नाराजगी न हो.

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