भोपाल: नगर निगम की महापौर पद को लेकर आरक्षण प्रक्रिया हो चुकी है. इस बार राजधानी भोपाल में नगर निगम में महापौर का पद ओबीसी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया है. इस आरक्षण प्रक्रिया को लेकर वर्तमान में गोविंदपुरा से विधायक और पूर्व महापौर कृष्ण गौर इस निर्णय के बाद बेहद खुश नजर आईं, क्योंकि वे ओबीसी वर्ग से आती हैं. ईटीवी भारत ने उनसे जाना कि क्या वे दोबारा महापौर पद पर खुद को देखेंगी.
संगठन तय करेगा कौन लड़ेगा चुनाव
ईटीवी भारत से खास बातचीत में पूर्व महापौर कृष्णा गौर ने चुनाव लड़ने पर कहा, ''यह तो संगठन को तय करना है कि किसे क्या जिम्मेदारी देनी है. इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती हूं.'' वहीं कृष्णा गौर ने खुशी जताते हुए कहा ''मैं सबसे ज्यादा इस बात से खुश हूं कि एक बार फिर भोपाल की कमान महिला के हाथ मे जाने वाली है.''
छिंदवाड़ा सीट पर सियासत
कांग्रेस के आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाने पर कृष्णा गौर ने कहा, ''कांग्रेस के पास सवाल उठाने के अलावा कोई काम नहीं बचा है.'' कांग्रेस ने छिंदवाड़ा महापौर सीट को एसटी वर्ग के लिए आरक्षित करने पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि छिंदवाड़ा महापौर पद सामान्य वर्ग को आरक्षित होना चाहिए था.
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बीजेपी ने कहा पिछड़ा वर्ग विरोधी है कांग्रेस
उधर आरक्षण प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस द्वारा सवाल उठाए जाने को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है. बीजेपी प्रदेश पदाधिकारी भगवानदास सबनानी ने कहा कि कांग्रेस पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण दिए जाने के विरोध में है. यही वजह है कि छिंदवाड़ा को एसटी के लिए आरक्षित किए जाने का कांग्रेस द्वारा विरोध किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरी आरक्षण प्रक्रिया नियम के आधार पर हो रही है.
25 फीसदी के मान से ओबीसी आरक्षण
आगामी नगरी निकाय चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी हो गई है. भोपाल और खंडवा में अगला महापौर ओबीसी महिला वर्ग से होगा. इसके अलावा ग्वालियर, बुरहानपुर, सागर, कटनी और देवास में सामान्य महिला महापौर बनेगी. जबलपुर, सिंगरौली, रीवा और इंदौर फ्री फॉर ऑल रहेगी. इन चारों नगर निगम को अनारक्षित और मुक्त घोषित किया गया है. भोपाल के रविंद्र भवन में नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त की मौजूदगी में नगरीय निकायों की आरक्षण की प्रक्रिया हुई. इस दौरान कई राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी मौजूद रहे. आरक्षण प्रक्रिया के दौरान 16 नगर निगमों के महापौर के अलावा 99 नगर पालिका की आरक्षण प्रक्रिया की गई. नगर निगम में महापौर के लिए अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण आबादी के अनुसार किया गया है. जबकि ओबीसी आरक्षण 25 फ़ीसदी के मान से किया गया.