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कमलनाथ की भूल! जानें- क्या है नियुक्ति विवाद, क्यों राजभवन में दर्ज हुई शिकायत?

मध्य प्रदेश में आयोगों की नियुक्ति पर कमलनाथ और शिवराज सरकार आमने-सामने हैं. नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. ऐसे में कमलनाथ द्वारा प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जाति विभाग मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से नया विवाद खड़ा हो गया है. जिसको लेकर राजभवन में शिकायत दर्ज कराई है.

Kamal Nath and Shivraj government face to face on appointment of commissions
आयोगों की नियुक्ति पर कमलनाथ और शिवराज सरकार आमने सामने
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Published : May 29, 2022, 5:12 PM IST

सागर। इसे मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की भूल कहा जाए या फिर जानबूझकर की गई गलती, लेकिन ये मामला अब राजभवन पहुंच चुका है. कमलनाथ अपनी सरकार गिरते समय कई आयोगों की नियुक्ति कर गए थे. शिवराज सरकार के अस्तित्व में आने के बाद इन आयोगों को काम नहीं करने दिया और मामला कानूनी दांवपेच में उलझ गया. ना ही शिवराज सरकार नए सिरे से नियुक्ति कर पाई और ना ही कमलनाथ द्वारा नियुक्त किए गए आयोग के पदाधिकारी पूरी तरह से हटाए गए. हाल ही में कमलनाथ द्वारा एमपी कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष पद पर प्रदीप अहिरवार की नियुक्ति की है. जबकि प्रदीप अहिरवार को कमलनाथ द्वारा मुख्यमंत्री रहते हुए अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनाया गया था और आयोग का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट ने सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं.

संवैधानिक पद वाले व्यक्ति को बांट दिया राजनीतिक पद: कमलनाथ सरकार द्वारा अनुसूचित जाति आयोग के पद पर पूर्व सांसद आनंद अहिरवार की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की गई थी. इसके अलावा प्रदीप अहिरवार को आयोग का सदस्य बनाया था. हालांकि शिवराज सरकार ने अस्तित्व में आते ही कमलनाथ द्वारा गठित किए गए आयोग को काम नहीं करने दिया और ये मामला हाई कोर्ट पहुंच गया था. हाईकोर्ट ने अभी तक इस मामले का निराकरण नहीं किया है और यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. ऐसी स्थिति में शिवराज सरकार आयोग में नई नियुक्ति नहीं कर पा रही है. हाई कोर्ट के निर्देश के चलते आयोग में यथास्थिति चल रही है.

कमलनाथ की भूल या जानबूझकर की गई गलती: हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले पर मुहर लगी थी. इस लिहाज से मध्य प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, जो कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे. उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष पद से एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के आधार पर इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तत्काल उनका इस्तीफा स्वीकार करके प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जाति विभाग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था. जबकि मौजूदा स्थिति में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार प्रदीप अहिरवार मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य हैं.

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राजभवन में दर्ज हुई शिकायत: मध्य प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति महिला विंग की पूर्व प्रदेश प्रभारी इंदु जया चौधरी ने इस मामले में राजभवन में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार ने कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण पद धारण किया है. प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जाति विभाग मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इस मामले में निवेदन है कि अनुसूचित जाति आयोग समेत अन्य आयोग संवैधानिक संस्थाओं का दर्जा रखते हैं.

निष्पक्ष होना बहुत जरूरी: इंदु चौधरी ने कहा कि इन संस्थानों में नियुक्त व्यक्ति को सीधे तौर पर राजनीति से नहीं जोड़ा सकता है. ऐसी स्थिति में संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा और निष्पक्षता प्रभावित होती है. क्योंकि संवैधानिक संस्थाएं जैसे आयोग आदि शासन प्रशासन पर टिप्पणी ही नहीं बल्कि सीधे दिशा निर्देश देने का अधिकार रखते हैं. इसलिए जरूरी है कि इन आयोगों में पदेन व्यक्ति को राजनीति से दूरी बना कर रखना चाहिए. इन संस्थाओं का निष्पक्ष देखना बहुत जरूरी है. इसलिए प्रदीप अहिरवार को आयोग के सदस्य पद से हटाने की कार्यवाही की जाना चाहिए.

सागर। इसे मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की भूल कहा जाए या फिर जानबूझकर की गई गलती, लेकिन ये मामला अब राजभवन पहुंच चुका है. कमलनाथ अपनी सरकार गिरते समय कई आयोगों की नियुक्ति कर गए थे. शिवराज सरकार के अस्तित्व में आने के बाद इन आयोगों को काम नहीं करने दिया और मामला कानूनी दांवपेच में उलझ गया. ना ही शिवराज सरकार नए सिरे से नियुक्ति कर पाई और ना ही कमलनाथ द्वारा नियुक्त किए गए आयोग के पदाधिकारी पूरी तरह से हटाए गए. हाल ही में कमलनाथ द्वारा एमपी कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष पद पर प्रदीप अहिरवार की नियुक्ति की है. जबकि प्रदीप अहिरवार को कमलनाथ द्वारा मुख्यमंत्री रहते हुए अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनाया गया था और आयोग का मामला हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट ने सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं.

संवैधानिक पद वाले व्यक्ति को बांट दिया राजनीतिक पद: कमलनाथ सरकार द्वारा अनुसूचित जाति आयोग के पद पर पूर्व सांसद आनंद अहिरवार की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की गई थी. इसके अलावा प्रदीप अहिरवार को आयोग का सदस्य बनाया था. हालांकि शिवराज सरकार ने अस्तित्व में आते ही कमलनाथ द्वारा गठित किए गए आयोग को काम नहीं करने दिया और ये मामला हाई कोर्ट पहुंच गया था. हाईकोर्ट ने अभी तक इस मामले का निराकरण नहीं किया है और यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं. ऐसी स्थिति में शिवराज सरकार आयोग में नई नियुक्ति नहीं कर पा रही है. हाई कोर्ट के निर्देश के चलते आयोग में यथास्थिति चल रही है.

कमलनाथ की भूल या जानबूझकर की गई गलती: हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले पर मुहर लगी थी. इस लिहाज से मध्य प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, जो कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे. उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष पद से एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के आधार पर इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने तत्काल उनका इस्तीफा स्वीकार करके प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जाति विभाग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था. जबकि मौजूदा स्थिति में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार प्रदीप अहिरवार मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य हैं.

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राजभवन में दर्ज हुई शिकायत: मध्य प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति महिला विंग की पूर्व प्रदेश प्रभारी इंदु जया चौधरी ने इस मामले में राजभवन में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार ने कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण पद धारण किया है. प्रदीप अहिरवार को अनुसूचित जाति विभाग मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इस मामले में निवेदन है कि अनुसूचित जाति आयोग समेत अन्य आयोग संवैधानिक संस्थाओं का दर्जा रखते हैं.

निष्पक्ष होना बहुत जरूरी: इंदु चौधरी ने कहा कि इन संस्थानों में नियुक्त व्यक्ति को सीधे तौर पर राजनीति से नहीं जोड़ा सकता है. ऐसी स्थिति में संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा और निष्पक्षता प्रभावित होती है. क्योंकि संवैधानिक संस्थाएं जैसे आयोग आदि शासन प्रशासन पर टिप्पणी ही नहीं बल्कि सीधे दिशा निर्देश देने का अधिकार रखते हैं. इसलिए जरूरी है कि इन आयोगों में पदेन व्यक्ति को राजनीति से दूरी बना कर रखना चाहिए. इन संस्थाओं का निष्पक्ष देखना बहुत जरूरी है. इसलिए प्रदीप अहिरवार को आयोग के सदस्य पद से हटाने की कार्यवाही की जाना चाहिए.

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