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"नंद के घर आनंद भयो" से गूंजी राजधानी, मंदिरों में देर रात तक चला भक्ति संगीत का कार्यक्रम

राजधानी में भगवान श्री कृष्ण के जन्माष्टमी पर्व की धूम देर रात तक रही. मंदिरों में रात 12 बजे से भक्तों का तांता लगा रहा. इस बार जन्माष्टमी का पर्व शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन ही मनाया जा रहा है.

राजधानी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया
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Published : Aug 24, 2019, 11:08 AM IST

भोपाल| राजधानी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. रात 12 बजते ही "नंद के घर आनंद भयो" के जयकारे हर तरफ सुनाई देने लगे. सभी मंदिर रात भर भक्तों के लिए खुले रहे भक्ति संगीत का कार्यक्रम पूरी रात जारी रहा. जिस वजह से मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

राजधानी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया


जन्माष्टमी का पर्व शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन ही मनाया जाएगा जिसे देखते हुए आकर्षक झांकियां सजाई गई है. साथ ही कई स्थानों पर मटकी फोड़ की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं. मंदिरों में रात 12 बजे श्री कृष्ण का विशेष अभिषेक किया गया, दही और गंगाजल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए गए. भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने के बाद आरती संपन्न होने के बाद भक्तों को पंजीरी और ककड़ी का प्रसाद दिया गया.


मंदिरों में करीब 15 दिन पहले से ही जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू कर दी जाती है. जिस तरह घर में बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं उसी तरह श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वैसे तो श्रीकृष्ण सभी के आराध्य देव हैं लेकिन आज के दिन वह बाल स्वरूप में आते हैं यही वजह है कि कई मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा के साथ बच्चों को लुभाने वाले बैलून भी लगाए जाने लगे हैं. वहीं घरों में जन्माष्टमी पर्व को मनाने में बच्चे सबसे ज्यादा आगे रहते हैं जो खुद तैयारियां करते हैं.

भोपाल| राजधानी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. रात 12 बजते ही "नंद के घर आनंद भयो" के जयकारे हर तरफ सुनाई देने लगे. सभी मंदिर रात भर भक्तों के लिए खुले रहे भक्ति संगीत का कार्यक्रम पूरी रात जारी रहा. जिस वजह से मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली.

राजधानी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया


जन्माष्टमी का पर्व शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन ही मनाया जाएगा जिसे देखते हुए आकर्षक झांकियां सजाई गई है. साथ ही कई स्थानों पर मटकी फोड़ की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं. मंदिरों में रात 12 बजे श्री कृष्ण का विशेष अभिषेक किया गया, दही और गंगाजल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाए गए. भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने के बाद आरती संपन्न होने के बाद भक्तों को पंजीरी और ककड़ी का प्रसाद दिया गया.


मंदिरों में करीब 15 दिन पहले से ही जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू कर दी जाती है. जिस तरह घर में बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं उसी तरह श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वैसे तो श्रीकृष्ण सभी के आराध्य देव हैं लेकिन आज के दिन वह बाल स्वरूप में आते हैं यही वजह है कि कई मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा के साथ बच्चों को लुभाने वाले बैलून भी लगाए जाने लगे हैं. वहीं घरों में जन्माष्टमी पर्व को मनाने में बच्चे सबसे ज्यादा आगे रहते हैं जो खुद तैयारियां करते हैं.

Intro:जन्माष्टमी पर देर रात तक भक्तों का लगा रहा मंदिरों में तांता


भोपाल | राजधानी में भगवान श्री कृष्ण के जन्माष्टमी पर्व की धूम देर रात तक दिखाई देती रही . श्री कृष्ण जन्मोत्सव देर रात 12:00 बजे शुरू हुआ जो सुबह तक चलता रहा . सभी मंदिर रात भर भक्तों के लिए खुले रहे . जन्माष्टमी के पर्व पर कई मंदिरों में भक्ति संगीत का कार्यक्रम भी रात भर जारी रहा .


Body:रात 12 बजते ही" नंद के घर आनंद भयो " के जयकारे हर तरफ सुनाई देने लगे . जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए श्रद्धालुओं ने घर और मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा की थी जो देखते ही बनती थी भगवान कृष्ण के लिए आकर्षक पालना भी सजाया गया था जिसमें लड्डू गोपाल को झूला झुलाया जा रहा था श्री कृष्ण का विशेष अभिषेक रात 12:00 बजे किया गया . इसके बाद भक्तों को पंजीरी और ककड़ी का प्रसाद वितरित किया गया राजधानी के कई मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व शनिवार सुबह तक मनाया जाता रहा श्रद्धालुओं ने अपने घर की पूजा करने के बाद मंदिरों का रुख किया यही वजह रही कि रात 12:00 बजे के बाद मंदिरों में अच्छी खासी भीड़ देखी गई .


Conclusion:श्रद्धालुओं ने बताया कि जन्माष्टमी का पर्व मनाने का उत्साह सभी वर्ग के लोगों में दिखाई देता है लेकिन इस उत्सव को मनाने में बच्चे सबसे ज्यादा आगे रहते हैं यहां तक कि बच्चे जन्माष्टमी की तैयारियां भी स्वयं करते हैं उन्होंने बताया कि मंदिरों में भी करीब 15 दिन पहले से ही जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू कर दी जाती है जिस तरह से हम अपने घर में बच्चे का जन्मदिन मनाते हैं उसी तरह से श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है वैसे तो श्री कृष्ण सभी के आराध्य देव हैं लेकिन आज के दिन वह बाल स्वरूप में आते हैं यही वजह है कि कई मंदिरों में आकर्षक साज-सज्जा के साथ बच्चों को लुभाने वाले बैलून भी लगाए जाने लगे हैं जन्माष्टमी पर्व शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन ही मनाया जाएगा इसे देखते हुए आकर्षक झांकियां भी सजाई गई है जिसे भक्त शनिवार को भी देख सकते हैं इसके अलावा कई स्थानों पर मटकी फोड़ की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का दही और गंगाजल से स्नान कराया गया इसके बाद नए वस्त्र पहनाए गए श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करने के बाद आरती संपन्न हुई और उसके बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया .

शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में भादपद शुक्ल पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए हैं . जन्माष्टमी के पर्व पर शुक्रवार सुबह से ही श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम दिखाई देने लगी थी यह सिलसिला शनिवार को भी जारी रहेगा क्योंकि इस बार जन्माष्टमी 2 दिन मनाई जा रही है .
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