भोपाल। मध्य प्रदेश और देश की पुलिस को डिजिटल-स्मार्ट बनाने के लिए आईपीएस अधिकारी मैथिली शरण गुप्ता ने क्राइम फ्री भारत मुहिम की शुरूआत की है. इसके लिए एक यूट्यूब चैनल बनाकर देश भर से स्टूडेंट को जोड़ा जा रहा है, इस मुहिम के तहत भविष्य में ऑनलाइन एफआईआर इन्वेस्टिगेशन और विवेचना समेत कोर्ट की प्रोसेस तक एक सिस्टम के जरिए होगी. इतना ही नहीं आम जनता को इससे जोड़ने और उनकी सुविधा के लिए एक इन्वेस्टिगेशन ऐप भी तैयार किया जा रहा है.
जनता को थाने जाने की जरूरत नहीं
मध्यप्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और मध्य प्रदेश पुलिस सुधार के स्पेशल डीजी मैथिली शरण गुप्ता ने इस मुहिम को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की, उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी और ह्यूमन का एक ताना-बाना तैयार कर उसका नाम क्राइम फ्री भारत दिया गया है. इसके तहत ऐसी रणनीति तैयार की गई है कि आम जनता को थाने जाने की जरूरत नहीं पड़े और उसकी एफआईआर लिख ली जाए. स्पेशल डीजी ने पुलिस की ही कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि कानून ने एक कमजोर पुलिस पैदा की है, लेकिन बर्बरता के लिए हमारी पुलिस बहुत मजबूत है. सीसीटीएनएस सिस्टम को लेकर डीजी ने कहा कि आज भी सीसीटीएनएस सिस्टम में एफआईआर नहीं लिखी जाती है, बल्कि उसे सिर्फ प्रिंटआउट लेने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
सब होगा ऑटोमैटिक
इस नई टेक्नोलॉजी के तहत आम व्यक्ति भी घटनास्थल पर पहुंचकर अपने मोबाइल से वीडियो और साक्ष्य इकट्ठा कर सकता है और वीडियो खुद-ब-खुद सिस्टम में अपलोड होकर संबंधित थाना प्रभारी के पास पहुंच जाएगा. अगर संबंधित थाना प्रभारी उस पर डिजिटल सिग्नेचर नहीं करता है तो यह रिपोर्ट सीधे संबंधित एसपी के पास पहुंचेगी. इतना ही नहीं इसी टेक्नोलॉजी के जरिए मेडिकल ऑफिसर तक भी यह वीडियो और साक्ष्य पहुंचेंगे, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी. उन्होंने बताया कि सिस्टम ही साक्ष्य और ऑडियो वीडियो के जरिए एफआईआर जनरेट करेगा और यह भी बताया गया कि किन धाराओं के तहत यह मामला दर्ज किया जा रहा है और क्या अपराध बन रहा है. जिससे पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ भी कम होगा.
इन्वेस्टिगेशन ऐप भी होगा तैयार
स्पेशल डीजी मैथिली शरण गुप्ता ने बताया कि इसके साथ-साथ है एक इन्वेस्टिगेशन ऐप तैयार किया जा रहा है. हजारों एप्स को कन्वर्ट कर एक ही प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है, जो एक स्मार्ट इन्वेस्टिगेशन एप होगा. इसके तहत एफएसएल की रिपोर्ट भी जल्द आ सकेगी अभी एफएसएल की रिपोर्ट आने में ही 4 से 6 महीने का वक्त लग जाता है. इसके अलावा स्टार्टअप भी लाने की तैयारी की जा रही है, जिससे एप खुद-ब-खुद ऐसी निजी कंपनियों से संपर्क करेगा जो ड्रोन कैमरा या रोबोट की मदद से घटनास्थल के सबूत इकट्ठा करेंगी. इस पूरी टेक्नोलॉजी को लेकर आईपीएस अधिकारी एक यूट्यूब चैनल के जरिए मुहिम चला रहे हैं, जिसमें कई लोग जुड़ रहे हैं, हालांकि कई लोग इसमें खामियां भी निकाल रहे हैं लेकिन डिजिटल इंडिया के लिए इस तरह की पहल वाकई सराहनीय है.